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Big Scam: ऐसी अंधेरगर्दी देखी नहीं कहीं! कोर्ट के आदेश को ठेंगा दिखाकर अफसरशाही ने किया पोस्टिंग घोटाला

युक्तियुक्तकरण को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी और टीम ने कितना बड़ा खेल खेला है जिसका आपको अंदाजा भी नहीं होगा। विभाग में ऐसे दिग्गज अधिकारी बैठे हैं जो न्यायालय के निर्णय से भी नहीं डरते हैं। अब बिलासपुर जिले के इस मामले को ही देख लीजिए जिसमें शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सरवानी के भौतिकी व्याख्याता राजेश कुमार तिवारी का प्रशासनिक स्थानांतरण शासन द्वारा शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हरदी जिला मुंगेली में हुआ था

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ऐसी अंधेरगर्दी देखी नहीं कहीं! कोर्ट के आदेश को ठेंगा दिखाकर अफसरशाही ने किया पोस्टिंग घोटाला

By Radhakishan Sharma

युक्तियुक्तकरण को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी और टीम ने कितना बड़ा खेल खेला है जिसका आपको अंदाजा भी नहीं होगा। विभाग में ऐसे दिग्गज अधिकारी बैठे हैं जो न्यायालय के निर्णय से भी नहीं डरते हैं। अब बिलासपुर जिले के इस मामले को ही देख लीजिए जिसमें शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सरवानी के भौतिकी व्याख्याता राजेश कुमार तिवारी का प्रशासनिक स्थानांतरण शासन द्वारा शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हरदी जिला मुंगेली में हुआ था और उनके स्थान पर घनश्याम देवांगन को शासन द्वारा प्रस्तुत किया गया था। इस निर्णय के विरुद्ध राजेश कुमार तिवारी न्यायालय चले गए थे और उन्होंने मिड सेशन में ट्रांसफर से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने का तर्क दिया था जिसके बाद न्यायालय ने उनके केस में सुनवाई करते हुए उन्हें सत्र के लिए स्टे देते हुए शासन के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। इसके बाद उन्होंने शासन के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत किया जिसे शासन द्वारा अमान्य कर दिया गया था फिर न्यायालय की शरण ली और उनके इस केस में न्यायालय ने केस को खारिज करते हुए शासन के निर्णय का पालन करने को आदेशित किया।















कोर्ट के निर्णय के बाद भी जमे रहे बिलासपुर में-

न्यायालय ने राजेश कुमार तिवारी के केस में उनके विरुद्ध फैसला दिया था ऐसे में स्कूल शिक्षा विभाग बिलासपुर को उन्हें मुंगेली के लिए कार्य मुक्त करना था लेकिन ऐसा न करके सरवानी स्कूल में राजेश कुमार तिवारी को यथावत रखा गया और साथ ही शासन के निर्देश पर घनश्याम देवांगन को भी रख लिया गया यानी एक ही विषय के दो शिक्षक पिछले दो साल से कार्यरत हैं और दोनों का वेतन बिलासपुर जिले से ही निकल रहा है । इसका सीधा मतलब है कि मुंगेली को शिक्षक मिला ही नहीं और बिलासपुर ने एक शिक्षक को न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध अपने पास न केवल रखा बल्कि वेतन भुगतान भी करते रहे।

युक्तियुक्तकरण से हुआ पर्दाफाश, तिवारी को बचाने के लिए देवांगन का कर दिया शिकार

इस मामले का शायद आगे भी पर्दाफाश नहीं होता लेकिन यहीं पर अधिकारियों से चूक हो गई। राजेश कुमार तिवारी को बचाने के लिए अतिशेष की सूची में घनश्याम कुमार देवांगन को डाल दिया गया। जो शिक्षक शासन के निर्देश पर सरवानी विद्यालय में पोस्टेड हुआ था उसे ही अतिशेष की सूची में डाला गया और जिस शिक्षक को मुंगेली जाना था उस शिक्षक को वरिष्ठ बताते हुए अतिशेष सूची से बाहर रख दिया गया और यही पर मामले का खुलासा हो गया। अतिशेष सूची में नाम आते ही घनश्याम कुमार देवांगन जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय अपना ज्ञापन देने पहुंचे जहां उनसे ज्ञापन तो लिया गया, पर पावती नहीं दी गई। इसके बाद उन्होंने कलेक्टर को ज्ञापन दिया सबसे मजेदार बात यह है कि ज्ञापन जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में किसी को नहीं दिया गया पर एक दो आवेदन पर जो अधिकारियों के करीबी थे बाकायदा कार्रवाई करते हुए लिस्ट को संशोधित किया गया लेकिन घनश्याम कुमार देवांगन के मामले में किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई और आज सुबह जो सूची जारी हुई उसमें भी उनका नाम था जिसके बाद वह कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और कलेक्टर साहब जब काउंसलिंग के लिए निकल रहे थे उसी समय उनको पूरा प्रकरण बताया और अपने आवेदन की कॉपी सौंपी। अब देखना होगा कि इतने बड़े अंधेरगर्दी पर विभाग क्या निर्णय लेता है क्योंकि घनश्याम कुमार देवांगन ने न केवल अपने हक की लड़ाई लड़ी है बल्कि शासन प्रशासन को धोखा दे रहे जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय और प्राचार्य कार्यालय सरवानी की भी पोल खोल कर रख दी है, हो सकता है कि ऐसे कई मामले और प्रदेश में हो जहां पर ट्रांसफर होने के बाद भी उसका परिपालन न हुआ हो, बहरहाल इस मामले ने यह तो बता दिया है कि अपनों को बचाने के लिए केवल दुर्ग और सारंगढ़ के जिला शिक्षा अधिकारियों ने रिस्क नहीं लिया है बल्कि अन्य जिलों में भी यही हाल है और न्याय की चौखट पर शिक्षक सर पिट पिट कर परेशान हो रहे हैं लेकिन अधिकारियों पर इसका कोई असर नहीं हो रहा है।

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