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Bilaspur High Court: युक्तियुक्तकरण विवाद पर हाई कोर्ट की शरण में शिक्षक, बोले- कलेक्टर को नहीं है अधिकार, डीईओ नहीं दे रहे अपील का अवसर

स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों और स्कूलों के किए जा रहे युक्तियुक्तकरण का विवाद अब बिलासपुर हाई कोर्ट पहुंच गया है। छत्तीसगढ़ विद्यालयीन कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष सहित 34 शिक्षकों ने याचिका दायर कर पूर्व में राज्य शासन द्वारा तय मापदंडों के आधार पर प्रक्रिया पूरी करने की मांग की है।

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Bilaspur High Court

By Radhakishan Sharma

बिलासपुर। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा स्कूल और शिक्षकों के किया जा रहे युक्तियुक्तकरण का मामला अब हाई कोर्ट पहुंच गया है। काउंसलिंग में नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए छत्तीसगढ़ विद्यालयीन कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष सहित 34 शिक्षकों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। प्रदेश के कुछ जिलों में शिक्षकों ने नियम विपरीत युक्तियुक्तकरण किए जाने का हवाला देते हुए आपत्ति दर्ज कराते हुए आवेदन देने की कोशिश की थी। डीईओ कार्यालय ने आवेदन तो जमा किया पर पावती नहीं दी। कलेक्टर जनदर्शन में आवेदन पेश कर इस पर हस्तक्षेप की मांग की थी।

स्कूलों को मर्ज कर पद समाप्त कर रही सरकार-

छत्तीसगढ़ विद्यालयीन कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष संजय कुमार तिवारी और पाटन तथा दुर्ग ब्लॉक के 34 शिक्षकों ने याचिका दायर की है। याचिका में कहा है कि प्राइमरी स्कूल अब मिडिल स्कूल में मर्ज हो जाएगा। जिसके चलते प्राइमरी का प्रधानपाठक अब सहायक शिक्षक बन जाएगा। जिन जगहों पर हायर सेकेंडरी स्कूल और मिडिल स्कूल एक साथ है, वहां दोनों के मर्ज होने के बाद माध्यमिक शाला का प्रधान पाठक फिर से शिक्षक बन जाएगा। इस तरह से युक्तियुक्तकरण के माध्यम से पदों को समाप्त किया जा रहा है। याचिकाकर्ता शिक्षकों ने अपनी याचिका में हाई कोर्ट में लंबित एक याचिका का हवाला देते हुए बताया कि राज्य शासन ने हाई कोर्ट में पेश जवाब में कहा है कि हेड मास्टर का पद एक प्रशासनिक पद है, उसे शिक्षक नहीं बनाया जा सकता।

पदोन्नति नियमों का सरकार कर रही उल्लंघन, अपील का अवसर भी नहीं दे रहे डीईओ-

पदोन्नति के लिए बनाए गए नियमों की जानकारी देते हुए याचिकाकर्ता शिक्षकों ने कहा है कि संविधान के आर्टिकल 309 के तहत राज्यपाल द्वारा छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा सेवा भर्ती व पदोन्नति नियम 2019 में पदोन्नति का प्रावधान किया गया है। इसमें संशोधन किए बिना काउंसलिंग कराई जा रही है। नियम में अपील करने का प्रावधान है, परंतु उसका पालन नहीं किया जा रहा है। शिक्षा अधिकारियों द्वारा शिक्षकों को अपील करने का अवसर भी हीं दिया जा रहा है। कलेक्टर को इस प्रक्रिया का नोडल अफसर बनाया गया है, जबकि लेक्चरर के पोस्टिंग में कलेक्टर को कोई क्षेत्राधिकार नहीं है।

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