Begin typing your search above and press return to search.

Shaheed Mahendra Karma University: बस्तर के शहीद महेंद्र कर्मा यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती में लगा घोटाले का आरोप: राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट व बिलासपुर हाई कोर्ट से की मामले की शिकायत...

Shaheed Mahendra Karma University: शहीद महेंद्र कर्मा बस्तर यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती में घोटाले का आरोप लगा है। मामले की गंभीरता का अंदाजा इस बात बात स लगाया जा सकता है कि पूरे मामले की जांच को लेकर राष्ट्रपति,सुप्रीम कोर्ट व बिलासपुर हाई कोर्ट से की है। शिकायकतकर्ताओं ने दस्तावेज भी सौंपे हैं। भर्ती प्रक्रिया में घोटाले से मामला गरमाने लगा है।

Shaheed Mahendra Karma University: बस्तर के शहीद महेंद्र कर्मा यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती में लगा घोटाले का आरोप: राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट व बिलासपुर हाई कोर्ट से की मामले की शिकायत...
X
By Gopal Rao

Shaheed Mahendra Karma University: रायपुर। सीजीपीएससी फर्जीवाड़े के बाद छत्तीसगढ़ में एक और बड़ा भर्ती घोटाला फूटा है। बस्तर यूनिवर्सिटी के कर्ताधर्ताओं ने अपनों को पिछले दरवाजे से नौकरी देने के लिए नियम कायदे को दरकिनार कर दिया है। भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर नए सिरे से भर्ती करने और पूरी प्रक्रिया की उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है। घोटाले की जांच की मांग को लेकर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, सुप्रीम कोर्ट व बिलासपुर हाई कोर्ट से की है। शिकायतकर्ताओं ने घोटाले के संबंध में दस्तावेज भी पेश किया है।

शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि अपनों को पिछले दरवाजे से नियुक्ति देने के लिए विश्विवद्यालय प्रबंधन ने नियमों को ताक पर रख दिया है। आरोप है कि गुरुघासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी बिलासपुर से पीएचडी धारक आदिवासी महिला अभ्यर्थी को भी अयोग्य ठहराते हुए भर्ती प्रक्रिया से बाहर कर दिया है। विवि प्रबंधन पर आरोप लगाया गया है कि कई योग्य और गोल्ड मेडलिस्ट अभ्यर्थियों को दरकिनार करते हुए अयोग्य और चहेतों को गुपचुप तरीके से नियुक्ति दे दी गई है।

क्या है मामला

शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय बस्तर में शैक्षणिक और अशैक्षणिक 365 पदों पर भर्तियां होनी हैं। इसके लिए विश्वविद्यालय की 58 वीं कार्यपरिषद की बैठक में निर्णय लिया जा चुका है। शहीद महेंद्र कर्मा विश्वद्यालय में 59 प्राध्यापकों की भर्ती की चल रही प्रक्रिया में धांधली के आरोप भी लग रहे हैं। इसे नियम विरुद्ध बता भर्ती प्रक्रिया को स्थगित कर नए सिरे से नियमानुसार भर्ती की मांग की गई है।

पूर्व विधायक तोड़ेम व एनएसयूआई के प्रदेश सचिव रंजेश ने की शिकायत

छत्तीगढ़ सर्व आदिवासी समाज के कार्यकारी अध्यक्ष पूर्व विधायक राजाराम तोड़ेम और एनएसयूआई के प्रदेश सचिव रंजेश सिंह ने तत्काल भर्ती प्रक्रिया को स्थगित करने की मांग की है। शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय में 200 शैक्षणिक सहित 165 रिक्त पदों पर भर्ती होनी है। इसके लिए शनिवार को विश्वविद्यालय में हुई कार्य परिषद की 58 वो बैठक में सहमति बनाते हुए आरक्षण रोस्टर पर भी सहमति बनाई गई। वहीं 10 प्राध्यापकों की भर्ती पर सहमति बन गई है।

59 शैक्षणिक पदों पर भर्ती पर विवाद

एनएसयूआई के प्रदेश सचिव रंजेश सिंह ने शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय में भर्ती में घोटाले का आरोप लगाते हुए कुलपति को हटाने की मांग की है। रंजेश का आरोप है कि तय सेटअप के अनुसार पद स्वीकृति के लिए भेजा गया था, उच्च शिक्षा विभाग की गलती से दूसरा सेटअप स्वीकृत कर दिया गया है। इसी का फायदा विवि के कुलपति ने उठाया है। कुलपति पर आरोप लगाते हुए कहा कि पीएचडी धारकों के लिए नियम विरुद्ध प्रक्रिया और भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण रोस्टर और आयु सीमा नियमों की अनदेखी कर दी गई है। सिर्फ एक आवेदक को उम्र सीमा में छूट देने और एक महिला आवेदिका के लिए भर्ती प्रक्रिया को काफी दिनों तक स्थगित रखा गया, ताकि वे भर्ती प्रक्रिया में शामिल हो सके। इसी तरह का आरोप पूर्व विधायक राजाराम तोड़ेंम ने भी लगाया है। अचरज की बात ये कि जिन पर आरोप लगाए गए उन दोनों उम्मीदवार का चयन विवि प्रबंधन ने सहायक प्राध्यापक के लिए कर लिया है।

कुलपित को हटाने की मांग, नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ करने बनाया दबाव

प्रदेश सचिव रंजेश सिंह और पूर्व विधायक राजाराम तोड़ेंम ने कुलपति मनोज श्रीवास्तव पर 59 शैक्षणिक पदों में भर्ती प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए कुलपति को हटाने की मांग कुलाधिपति और राज्यपाल से पहले ही की थी। शिकायत में बताया गया था कि विश्वविद्यालय के सेटअप में सीक्रेट पदों में बिना संशोधन के रोस्टर तैयार कर विज्ञापन जारी किया गया है। जिसमें व्याख्याता के चार पदों को सहायक प्राध्यापक और सहायक प्राध्यापक के एक पद को सह प्राध्यापक में बदल दिया गया है। रंजेश सिंह के अनुसार बीएड संकाय में व्याख्याता के चार पद थे। बीएड स्कूल शिक्षा से जुड़ी बॉडी होती है। यहां व्याख्याता नियुक्त होते है, पर नियम विरुद्ध व्याख्याताओं के चार पद को सहायक प्राध्यापक में बिना शासन की अनुमति के बदल दिया गया।

इस तरह के लगे गंभीर आरोप

संविदा सहायक प्राध्यापक रश्मि देवांगन की पीएचडी कंप्लीट नहीं हो पाई थी, इसलिए अक्टूबर 2023 में भर्ती प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया। उपाधि प्राप्त होने के बाद भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई। विवि प्रबंधन ने रश्मि का चयन भी कर लिया है। आवेदनों की जांच बिना विषय विशेषज्ञों के की गई। कई पदों पर सह विषय मान कई विषयों को मान्यता नहीं दी गई और भर्ती के लिए पात्र नहीं किया गया। भर्ती कमेटी में साक्षात्कार के लिए सह विषय के लोगों ने ही साक्षात्कार लिया। अलायड विषयों में दोहरा मापदंड विश्वविद्यालय द्वारा रिलीवेंट अलायड विषयों की कोई स्पष्ट सूची जारी नहीं की गई,जिससे कुछ विषयों के सह विषय के रूप में मान्यता दी गई तो कुछ में नहीं।

नियमों के विपरीत आयु सीमा में दी छूट

भर्ती के लिए राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग के प्रावधानों के तहत विज्ञापन प्रकाशित करवाया गया था। जिसके अनुसार आयु सीमा में छूट को 40 वर्ष तक एवं अन्य राज्यों के अभ्यर्थियों को आयु सीमा में 35 वर्षों तक छूट दी गई थी। पर विश्वविद्यालय प्रबंधन ने अपने चहेतों को आयुसीमा का लाभ पहुंचाने के लिए यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के तहत छूट प्रदान कर दी। इसके चलते रूरल टेक्नोलॉजी के पीआर डडसेना नामक व्यक्ति को मिलने का आरोप लगाया गया था। शनिवार को हुई व्यक्ति में उनको भी नियुक्ति प्रदान की गई है।

अभ्यर्थियों ने की शिकायत, आरोप भी लगाए

पूर्व विधायक और एनएसयूआई नेता रंजेश सिंह की शिकायत के अलावा प्रक्रिया में शामिल हुए अन्य प्रभावित अभ्यर्थियों ने भी यूनिवर्सिटी के कुलपति और कुल सचिव को शिकायत सौंपी है। शिकायत में बताया गया है कि 8 मई को ग्रामीण प्रौद्योगिकी विषय में सहायक प्राध्यापक के तीन पदों पर चयन हेतु साक्षात्कार संपन्न हुआ। इसमें कुल 13 अभ्यर्थियों ने भाग लिया था। 25 मई को समाचार पत्रों के माध्यम से जानकारी प्राप्त हुई कि ग्रामीण प्रौद्योगिकी विषय में दुर्गेश डिक्सेना का चयन अनारक्षित वर्ग में किया गया है। उनकी नियुक्ति आदेश भी जारी हो गई है, किंतु 26 मई तक विश्वविद्यालय द्वारा वेबसाइट या किसी माध्यम से साक्षात्कार के परिणाम दर्शित या सूचित नहीं किए गए हैं। साक्षात्कार में नियमानुसार तीन विषय विशेषज्ञों की बजाय दो विशेषज्ञ थे जो कि बायोटेक्नोलॉजी और कला संकाय से थे। यूजीसी नियमानुसार एक भी विषय विशेषज्ञ ग्रामीण प्रौद्योगिकी विषय से नहीं थे। कुछ आवेदकों से साक्षात्कार के पूर्व पैसों के लेनदेन के लिए संपर्क का भी आरोप लगाया गया है। पूरे मामले में बिना भेदभाव के निष्पक्ष रूप से जांच कराने और दुर्गेश डिक्सेना को पदभार ग्रहण नहीं कराने की मांग की गई है।

Gopal Rao

गोपाल राव रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

Read MoreRead Less

Next Story