Raipur-Vishakhapatanam Expressway Land Scam: SDM का कमालः 35 करोड़ के बदले 326 करोड़ का क्लेम, 248 करोड़ पेमेंट कर दिया, कलेक्टर ने सरकार को जांच रिपोर्ट सौंपी...
Raipur-Vishakhapatanam Expressway Land Scam:y: छत्तीसगढ़ के एसडीएम ने गजब कर डाला। महाराष्ट्र के समृद्धि मार्ग की तरह बनने वाले रायपुर-विशाखापट्टन सिक्स लेन ग्रीन कारिडोर में फर्जीवाड़ा करते हुए 35 करोड़ के बजाए 326 करोड़ का मुआवजे का न केवल क्लेम बना दिया बल्कि उसमें से 248 करोड़ बांट भी डाला। इसके लिए उसने शातिर तरीका अपनाते हुए 42 प्लाटों को 242 टुकड़ों में बांट डाला। ये काम उसने तब किया, जब 3ए का प्रकाशन हो गया था। याने इसके बाद उस इलाके में जमीनों खसरे में कोई छेड़छाड़ नहीं हो सकता। रायपुर कलेक्टर ने भी जांच में पाया कि मुआवजा बांटने में ब्लंडर किया गया है। कलेक्टर ने राजस्व विभाग को जांच रिपोर्ट भेज दी है। नेता प्रतिपक्ष ने जब इस बारे में सवाल पूछा तो राजस्व मंत्री ने कह डाला, उनके पास इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है।

Raipur-Vishakhapatnam Expressway
Raipur-Vishakhapatnam Expressway: रायपुर। राजधानी रायपुर से सटे अभनपुर में एक के बाद एक आए दो एसडीएम ने मुआवजे के वितरण में बड़ा कांड कर दिया। कायदे से सिक्स लेन रोड के लिए जमीनों के अधिग्रहण के लिए 35 करोड़ मुआवजा बनना चाहिए था मगर दोनों एसडीएम ने छोटे टुकड़ों का खेल करके मुआवजे को 326 करोड़ कर डाला। कमाल की बात यह कि इसमें से 248 करोड़ का वितरण भी हो गया। बचे 78 करोड़ को लेकर किसानों ने जब बवाल किया तो इस स्कैम का भंडाफोड़ हुआ।
बताते हैं, 3ए के प्रकाशन के बाद संबंधित इलाके में जमीनों की खरीद-बिक्री के साथ उसके खसरे, बटांकन पर रोक लग जाती है। मगर अभनपुर के नायकबांधा और उरला गांव में 3ए के प्रकाशन के बाद 42 प्लाटों को 242 छोटे टुकड़ों में बदल दिया ताकि नेशनल हाईवे से ज्यादा मुआवजा लिया जा सके।
एनपीजी के सूत्र बताते हैं, कायदे से 42 प्लाटों के लिए 35 करोड़ मुआवजा बनता। मगर एसडीएम ने बड़े लोगों से मिलकर प्रतिबंध के बावजूद उसे 142 टुकड़ों में बांट 248 करोड़ मुआवज दे दिया। इसके बाद 78 करोड़ का और क्लेम कर दिया।
ऐसे फूटा मामला
248 करोड़ रुपए देने के बाद 78 करोड़ के और क्लेम के बाद नेशनल हाईवे अथारिटी के अफसरों के कान खड़े हुए। अफसरों ने इसकी जानकारी शीर्ष अफसरों को भेजी। इस पर एनएचआई के चीफ विजिलेंस आफिसर ने रायपुर कलेक्टर से इसकी जांच कराने कहा। कई साल से इसकी जांच पेंडिंग रही। दिल्ली के प्रेशर के बाद इसकी जांच रिपोर्ट अब राजस्व सिकरेट्री को भेज दी गई है। इसमें कलेक्टर ने माना है कि 35 करोड़ के आसपास मूल मुआवजा बनता है। याने 213 करोड़ ज्यादा मुआवजा बांट दिया गया।
बड़े बिजनेसमैन शामिल
भारतमाला रोड का ऐलान होते ही रायपुर, धमतरी के बड़े बिजनसमैन आसपास की जमीनें खरीद ली। 500 वर्ग फुट से अगर प्लॉट छोटा है तो आठ गुना अधिक मुआवजा बनता है। अभनपुर में 14 लाख रुपए जमीनों का सरकारी रेट है। तो भूअर्जन नियमों से दुगुना याने 28 लाख रुपए मिलेगा। और इसे 500 वर्गफुट के टुकड़ों में बांट दें तो इसका रेटा एक करोड़ से अधिक पहुंच जाएगा। क्योंकि मुआवजे का रेट आठ गुना बढ़ जाएगा।
स्पीकर का बड़ा निर्देश
नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन याने 25 फरवरी को प्रश्नकाल में अभनपुर में हुए मुआवजा घोटाले का मुद्दा उठाया। इसके लिखित जवाब में राजस्व मंत्री ने बताया कि इसके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। इस पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ0 रमन सिंह ने अहम व्यवस्था देते हुए कहा कि अगले प्रश्नकाल में सबसे पहले इस प्रश्न को उठाया जाए। उन्होंने मंत्री को निर्देशित किया कि इस अवधि में पूरी जानकारी आप जुटा लेंवे।
78 करोड़ के लिए काम बंद
326 करोड़ में से बचे 78 करोड़ के भुगतान के लिए अभनपुर के किसान सिक्स लेन का काम नहीं होने दे रहे हैं। दिल्ली में केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्र नीतीन गडकरी के साथ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और पीडब्लूडी मंत्री अरुण साव की बैठक हुई थी। इस बैठक में पीडब्लूडी मंत्री ने गडकरी को भरोसा दिया था कि एनएचआई के किसी कार्य में व्यवधान नहीं आने दिया जाएगा। इस आश्वासन के दो घंटे के भीतर किसानों ने फिर काम रोक दिया था। एनपजी न्यूज में इस संबंध में खबर प्रकाशित होते ही सिस्टम हरकत में आया और मुआवजा प्रकरण में दो पटवारी और एक तहसीलदार को सस्पेंड किया गया।
एसडीएम को सस्पेंड क्यों नहीं
2019 से लेकर 2021 तक अभनपुर में मुआजवा का खेला हुआ। इस दौरान दो एसडीएम रहे, इसमें दोनों की अहम भूमिका रही। वैसे भी मुआवजे में एसडीएम ही भूअर्जन अधिकारी के तौर पर पूरा डील करते हैं। लेकिन, राजस्व विभाग ने किसी एसडीएम पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। एफआईआर लिखाने की तो दूर की बात है।
रायपुर से विशाखापटनम की दूरी कम करने के लिए भारत सरकार याने नेशनल हाईवे 25 हजार करोड़ की लागत से 464 किलोमीटर लंबी सिक्स लेन एक्सप्रेस वे बना रहा है। छत्तीसगढ़ में इसके तहत 124 किलोमीटर रोड बनाया जाएगा। उसके बाद 240 किलोमीटर ओड़िसा में और फिर आंध्रप्रदेश में 100 किलोमीटर का हिस्सा आएगा। इस एक्सप्रेस वे के बन जाने के बाद रायपुर से विशाखापत्तनम की दूरी 14 घंटे से आधी होकर सात घंटे हो जाएगी।
एक्सप्रेस वे का ओड़िसा और आंध्रप्रदेश के हिस्से में काम जोर-शोर से चल रहा है। मगर किसानों के विरोध की वजह से अभनपुर के पास काम घिसट-घीसटकर चल रहा है। पिछली सरकार में कभी डीएफओ ने काम रोकवा दिया तो कभी अभनपुर एसडीएम ने। एनएच के अधिकारियों ने रायपुर कलेक्टर के पास मुआवजा प्रकरण की जांच के लिए गुहार लगाई मगर चार साल से उस पर कोई फैसला नहीं हो पाया। उधर, किसान मुआवजे की राशि बढ़ाने के लिए बार-बार निर्माण कार्यो के पास प्रदर्शन कर काम रोक दे रहे हैं।
जानिये ग्रीन कारिडोर रोड के बारे में
तीन राज्यों से होकर गुजर रहे इस रायपुर-विशाखापत्तनम एक्सप्रेस वे को ग्रीन कारिडोर नाम दिया गया है। इसके दोनों ओर बाउंड्री बनाई जाएगी ताकि कोई मवेशी या वाहन अचानक रोड पर न आ जाए। इसमें टोल बैरियर भी दो ही रहेगा, एक अभनपुर के पास और दूसरा विशाखापटनम में। 464 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे रायपुर के पास अभनपुर से शुरू होगा और विशाखापत्तनम के बाहरी इलाके में सब्बावरम तक जाएगा। इसे 2025 तक पूरा होने का टारगेट था। मगर जिस रफ्तार से काम चल रहा 2026 में भी पूरा हो जाए तो बहुत है.
छत्तीसगढ़ की यह पहली परियोजना है जो 6 लेन पूरी तरह दोनों तरफ से बंद होगी किसी प्रकार का जानवर या अन्य कोई प्रवेश नहीं कर पायेगा। इस रोड पर प्रवेश के लिए जहां रास्ता बनाया जायेगा उसी स्थल से ही प्रवेश हो पायेगा। तैयार होने पर रायपुर से विशाखापटनम की दूरी 590 किमी से घटकर 464 किमी हो जाएगी और यात्रा का समय 14 घंटे से घटकर लगभग 7 घंटे हो जाएगा।
वर्तमान में विशाखापट्टनम और छत्तीसगढ़ के बीच में लगभग 3 लाख मीट्रिक टन माल का आना जाना होता है। यह रोड बनने से समुद्री मांग से आने वाले माल की ढुलाई आसान होगी जिससे व्यापार बढ़ने की उम्मीद है।