Raipur-Vishakhapatnam Expressway: 25000 करोड़ के सिक्स लेन का काम रुका, गडकरी को दिया भरोसा दो घंटे में टूटा, डिप्टी CM और अफसरों ने किया था ये वादा...
Raipur-Vishakhapatnam Expressway: जिस दिन दिल्ली में केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नीतीन गडकरी को छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम और पीडब्लूडी के अधिकारियों ने भरोसा दिया था कि किसी भी जिले में मुआवजे को लेकर अब काम नहीं रुकेगा...सूबे के कलेक्टरों के साथ उसकी नियमित मॉनिटरिंग की जाएगी। उसके दो घंटे बाद ही मंत्रालय से 10 किलोमीटर दूर अभनपुर में मुआवजा प्रकरण में किसानों ने रायपुर-विशाखापटनम ग्रीन कारिडोर का काम रोक दिया।
Raipur-Vishakhapatnam Expressway: रायपुर। रायपुर से विशाखापटनम की दूरी कम करने के लिए भारत सरकार याने नेशनल हाईवे 25 हजार करोड़ की लागत से 464 किलोमीटर लंबी सिक्स लेन एक्सप्रेस वे बना रहा है। छत्तीसगढ़ में इसके तहत 124 किलोमीटर रोड बनाया जाएगा। उसके बाद 240 किलोमीटर ओड़िसा में और फिर आंध्रप्रदेश में 100 किलोमीटर का हिस्सा आएगा। इस एक्सप्रेस वे के बन जाने के बाद रायपुर से विशाखापत्तनम की दूरी 14 घंटे से आधी होकर सात घंटे हो जाएगी।
एक्सप्रेस वे का ओड़िसा और आंध्रप्रदेश के हिस्से में काम जोर-शोर से चल रहा है। मगर किसानों के विरोध की वजह से अभनपुर के पास काम घिसट-घीसटकर चल रहा है। पिछली सरकार में कभी डीएफओ ने काम रोकवा दिया तो कभी अभनपुर एसडीएम ने। एनएच के अधिकारियों ने रायपुर कलेक्टर के पास मुआवजा प्रकरण की जांच के लिए गुहार लगाई मगर चार साल से उस पर कोई फैसला नहीं हो पाया। उधर, किसान मुआवजे की राशि बढ़ाने के लिए बार-बार निर्माण कार्यो के पास प्रदर्शन कर काम रोक दे रहे हैं।
गडकरी की मीटिंग में दिया भरोसा टूटा
पिछले सप्ताह 30 सितंबर को दिल्ली में केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नीतीन गडकरी ने छत्तीसगढ़ की सड़क परियोजनाओं को लेकर बड़ी बैठक बुलाई थी। इस मीटिंग में उन्होंने छत्तीसगढ़ को 11000 करोड़ की सड़कों की सौगात देने में देर नहीं लगाई। आलम यह था कि सरकार ने जो मांगा, गडकरी ने ओके करने में विलंब नहीं किया। मगर वे सड़कों के निर्माण में विलंब को लेकर भी गंभीर थे। इतने गंभीर कि उन्होंने पहली बार हाई प्रोफाइल मीटिंग में ठेकेदारों को भी बुला लिया था कि उनकी समस्या भी जानी जा सकें। ताकि पता चले कि सड़कों के निर्माण में रुकावट कहां पर आ रही है।
इस बैठक में नीतीन गडकरी ने बकायदा जिलों का नाम लेकर कहा था कि वहां पर कलेक्टरों से बात मामलों को सुलझाया जाए, जिससे सड़कों का काम में कोई रोड़ा नहीं आए। इस पर डिप्टी सीएम और पीडब्लूडी विभाग के अधिकारियों ने उन्हें बताया था कि चीफ सिकरेट्री लगातार रिव्यू कर रहे हैं। गडकरी को अश्वस्त किया गया कि अब इसमें कोई कोताही नहीं बरती जाएगी...कलेक्टरों के साथ नियमित मॉनिटरिंग की जाएगी। मगर इसके दो घंटे बाद 30 सितंबर की शाम चार बजे किसानों के विरोध की वजह से एक्सप्रेस वे का निर्माण रोकना पड़ा।
दरअसल, कुछ दिन पहले निर्माण कार्य बाधित होने से बचाने फोर्स लगाई गई थी मगर 30 सितंबर को पता नहीं ऐसा क्या हुआ कि एसडीएम ने आंदोनकारियों को रोकने से पुलिस को मना कर दिया। और जब पुलिस के जवानों ने देखा कि उनका अब यहां कोई काम ही नहीं है...किसानों के विरोध पर जब काम रुक ही गया है तो वे थाने लौट गए। ठेकेदार भी काम बंद कर दिया है।
जानिये ग्रीन कारिडोर रोड के बारे में
तीन राज्यों से होकर गुजर रहे इस रायपुर-विशाखापत्तनम एक्सप्रेस वे को ग्रीन कारिडोर नाम दिया गया है। इसके दोनों ओर बाउंड्री बनाई जाएगी ताकि कोई मवेशी या वाहन अचानक रोड पर न आ जाए। इसमें टोल बैरियर भी दो ही रहेगा, एक अभनपुर के पास और दूसरा विशाखापटनम में। 464 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे रायपुर के पास अभनपुर से शुरू होगा और विशाखापत्तनम के बाहरी इलाके में सब्बावरम तक जाएगा। इसे 2025 तक पूरा होने का टारगेट था। मगर जिस रफ्तार से काम चल रहा 2026 में भी पूरा हो जाए तो बहुत है.
छत्तीसगढ़ की यह पहली परियोजना है जो 6 लेन पूरी तरह दोनों तरफ से बंद होगी किसी प्रकार का जानवर या अन्य कोई प्रवेश नहीं कर पायेगा। इस रोड पर प्रवेश के लिए जहां रास्ता बनाया जायेगा उसी स्थल से ही प्रवेश हो पायेगा। तैयार होने पर रायपुर से विशाखापटनम की दूरी 590 किमी से घटकर 464 किमी हो जाएगी और यात्रा का समय 14 घंटे से घटकर लगभग 7 घंटे हो जाएगा।
वर्तमान में विशाखापत्तनम और छत्तीसगढ़ के बीच में लगभग 3 लाख मीट्रिक टन माल का आना जाना होता है। यह रोड बनने से समुद्री मांग से आने वाले माल की ढुलाई आसान होगी जिससे व्यापर बढ़ने की उम्मीद है।