NPG's News Impact: हाई कोर्ट ने कलेक्टर को नोटिस जारी कर मांगा जवाब, शपथ पत्र के साथ देना होगा जवाब
NPG's News Impact: NPG.NEWS ने 21 अगस्त को सरकारी अस्पताल की ऐसी बदहाली हेड लाइन से खबर प्रकाशित की थी। इसमें गरियाबंद के सरकारी अस्पताल की तस्वीर के साथ अस्पताल की अव्यवस्था की पोल खोली थी। जिसमें महिला सिक्योरिटी गार्ड महिला मरीज को इंजेक्शन लगाते दिखाई दे रही है। मामले की गंभीरता, अस्पताल की अव्यवस्था और जिम्मेदारी की लापरवाही से नाराज बिलासपुर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा से स्वत: संज्ञान में लेते हुए पीआईएल के रूप में सुनवाई प्रारंभ की है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस विभुदत्त गुरु की डिवीजन बेंच ने कलेक्टर गरियाबंद को नोटिस जारी कर शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।

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NPG's News Impact: बिलासपुर। गरियाबंद के सरकारी अस्पताल की अव्यवस्था को लेकर सबसे पहले एनपीजी ने तस्वीरों के साथ रिपोर्ट प्रकाशित की थी। तस्वीर में महिला सिक्योरिटी गार्ड मरीज को इंजेक्शन लगाते हुए नजर आ रही है। तस्वीरों से अव्यवस्था की पोल खाेलते हुए रिपोर्ट प्रकाशित की थी। मरीजों की जानमाल की चिंता, अस्पला की अव्यवस्था और जिम्मेदारों की लापरवाही से नाराज चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने गरियाबंद कलेक्टर को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। कलेक्टर को शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करना होगा। पीआईएल की अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी।
ये है मामला
गरियाबंद के जिला चिकित्सालय में एक महिला मरीज को डॉक्टर– नर्स की बजाय एक महिला गार्ड इंजेक्शन लग रही थी। पूर्व पार्षद अपने भतीजे का इलाज करवाने पहुंचे हुए थे। उन्होंने जब देखा तो इसका कारण पूछा तब डॉक्टरों के द्वारा जवाब दिया गया कि इंजेक्शन लगाना प्रैक्टिस का विषय है और महिला गार्ड अक्सर इंजेक्शन लगा लेती है। पूर्व पार्षद ने इसका फोटो वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। इसके बाद कलेक्टर बीएस उइके ने सिविल सर्जन यशवंत कुमार ध्रुव और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी CMHO यूएस नवरत्ने को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया,इसके लिए तीन दिन की मोहलत दी थी। संतोषप्रद जवाब नहीं मिलने पर कार्यवाही की चेतावनी भी दी थी।
बताया जाता है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारियों के हड़ताल में चले जाने के कारण आयुक्त स्वास्थ्य सेवाएं द्वारा हड़ताल खत्म होने तक आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाएं सुनिश्चित करने हेतु निर्देश दिए गए थे। इसके बावजूद स्वास्थ्य अधिकारियों ने लापरवाही की जिसके चलते यह स्थिति निर्मित हुई। हालांकि डॉक्टर और नर्स के उपस्थित होने के बावजूद गार्ड के द्वारा इंजेक्शन लगाना बेहद गंभीर है और मरीजों की जान से खिलवाड़ है।
