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High Court News: हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, अब संविदा महिला कर्मचारियों को भी मातृत्व अवकाश में मिलेगा पूरा वेतन

हाई कोर्ट की सख्ती के बाद संविदा महिला कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश का अब पूरा वेतन प्रदान किया जाएगा। संविदा महिला कर्मचारियों के लिए राहत भरा फैसला है। हाई कोर्ट के इस फैसले को महिला सम्मान और अधिकारों की मिसाल के तौर पर देखा जा रहा है।

High Court News: हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, अब संविदा महिला कर्मचारियों को भी मातृत्व अवकाश में मिलेगा पूरा वेतन
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By Radhakishan Sharma

बिलासपुर। बिलासपुर हाई कोर्ट की सख्ती के बाद प्रदेश की महिला संविदा कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश वेतन का बड़ा अधिकार हासिल हुआ है। मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे महाधिवक्ता कार्यालय के ला अफसरों ने बताया कि जिला अस्पताल कबीरधाम में पदस्थ स्टाफ नर्स राखी वर्मा को मातृत्व अवकाश अवधि का पूरा वेतन भुगतान कर दिया गया है। अदालत का यह रुख और शासन की स्वीकारोक्ति न केवल एक महिला कर्मचारी के लिए राहत है, बल्कि पूरे प्रदेश की हजारों संविदा महिला कर्मियों के लिए ऐतिहासिक जीत साबित हुई है।

मामला कैसे शुरू हुआ-

स्टाफ नर्स राखी वर्मा ने 16 जनवरी 2024 से 16 जुलाई 2024 तक मातृत्व अवकाश लिया था। इस दौरान 21 जनवरी को उन्होंने बेटी को जन्म दिया और लगभग छह माह बाद 14 जुलाई को पुनः कार्यभार ग्रहण किया। अवकाश पूरी तरह विधिवत स्वीकृत था, इसके बावजूद शासन ने उस अवधि का वेतन रोक दिया।

याचिकाकर्ता का तर्क था कि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 2010 में मातृत्व अवकाश के दौरान वेतन भुगतान का स्पष्ट प्रावधान है। इसके बावजूद उन्हें वेतन नहीं दिया गया, जो न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि महिला कर्मचारियों के संवैधानिक अधिकार और सम्मान पर भी आघात है। इसी आधार पर उन्होंने पहले रिट याचिका और आदेश पालन न होने पर अवमानना याचिका दायर की। मामले की सुनवाई के दौरान रविन्द्र कुमार अग्रवाल ने विभाग के अधिकारियों से पूछा कि आदेश के बावजूद अब तक वेतन भुगतान क्यों लंबित रखा गया। कोर्ट ने कहा, यह मामला केवल आर्थिक अधिकार से संबंधित नहीं है, बल्कि महिला सम्मान और गरिमा का भी प्रश्न है। इस सख्ती के बाद राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता को मातृत्व अवकाश अवधि का पूरा वेतन भुगतान कर दिया गया है।

संवैधानिक अधिकार और महिला सम्मान की पुष्टि-

हाई कोर्ट का यह फैसला महिला कर्मियों के लिए केवल वित्तीय राहत नहीं है, बल्कि यह उनकी गरिमा, सम्मान और संवैधानिक अधिकारों की पुष्टि भी है। लंबे समय से संविदा महिला कर्मचारी मातृत्व अवकाश के दौरान वेतन भुगतान को लेकर असमंजस और संघर्ष की स्थिति में थीं। हाई कोर्ट के फैसले से राहत मिली है।


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