High Court News: रेलवे कर्मचारी की करंट लगने से मौत, हाईकोर्ट ने परिवार को 5 लाख रुपये मुआवजा देने का दिया आदेश
बिलासपुर में रेलवे ठेका श्रमिक प्रताप बर्मन की हाईटेंशन तार से झुलसने से मौत हो गई थी। इस मामले में हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने संबंधित ठेकेदार को मृतक के परिवार को 5 लाख मुआवजा 6 हफ्ते के भीतर देने के निर्देश दिए।

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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में रेलवे ठेका श्रमिक प्रताप बर्मन की OHE हाईटेंशन तार से झुलसने से मौत हो गई थी। हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच में जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने संबंधित ठेकेदार को मृतक के परिवार को 5 लाख मुआवजा देने के निर्देश दिए। इसके लिए ठेकेदार को 6 हफ्ते की मोहलत दी है।
रेलवे की ओर से कोर्ट को जानकारी दी गई कि मृतक के परिवार को 16 लाख 40 हजार का मुआवजा पहले ही दिया जा चुका है। रेल अफसरों के जवाब के बाद बेंच ने पीआईएल को निराकृत कर दिया है।
दूसरी तरफ परिजन और समाज 1 करोड़ रुपए मुआवजा और नौकरी की मांग पर अब भी अड़ा हुआ है। DRM ऑफिस के बाहर बीते 6 दिनों से धरना-प्रदर्शन जारी है। पिछले 4 दिन से मृत युवक का शव मॉर्च्यूरी के फ्रीजर में रखा हुआ है। करंट से झुलसने और पोस्टमॉर्टम के बाद लाश केसड़ने की आशंका जताई जा रही है।
ये है पूरा मामला
23 अगस्त को रेलवे के कोचिंग डिपो में वंदे भारत ट्रेन के एक्स्ट्रा कोच के एसी की सफाई और मरम्मत की जा रही थी। इसी दौरान जांजगीर-चांपा जिले के पामगढ़ निवासी ठेका श्रमिक प्रताप बर्मन OHE की चपेट में आ गया। हादसे के बाद उसे अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया। 28 अगस्त को मजदूर की इलाज के दौरान मौत हो गई।
रेलवे ने मुआवजा देने से किया इनकार
रेलवे प्रशासन ने पहले इलाज में मदद करने से मना कर दिया। फिर मजदूर की मौत के बाद मुआवजा देने से इनकार कर दिया। हालांकि, जिला प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद शासन और रेल प्रशासन ने 21 लाख 50 हजार रुपए देने का प्रस्ताव रखा। लेकिन, परिजन ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
पत्नी मांग रही एक करोड़ मुआवजा और नौकरी
मृतक प्रताप बर्मन की पत्नी खुशबू बर्मन और परिजन एक करोड़ रुपए मुआवजा, पत्नी को सरकारी नौकरी देने के साथ ही बच्चे की पढ़ाई का खर्च देने की मांग कर रहे हैं।
PIL पर हुई सुनवाई
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने हादसे के बाद मीडिया रिपोर्ट्स पर स्वतः संज्ञान लिया था, जिसके बाद जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। नाराज चीफ जस्टिस ने रेलवे के रवैए पर कड़ी नाराजगी जाहिर की थी। साथ ही तीन दिन के भीतर रेलवे के जीएम को शपथपत्र के साथ जवाब मांगा था।
