Begin typing your search above and press return to search.

High Court News: ब्लैक स्पॉट पर लापरवाही पड़ी भारी, छत्तीसगढ़ में सड़क हादसों में इजाफा, हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी

छत्तीसगढ़ में रोड एक्सीडेंट में बीते साल की तुलना में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई है। ब्लैक स्पाट को PWD व NHAI के अफसरों ने ठीक भी नहीं किया है। पीआईएल की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई और जवाब-तलब किया है। डिवीजन बेंच ने सड़क परिवहन सचिव, एनटीपीसी और एसईसीएल को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

High Court News: ब्लैक स्पॉट पर लापरवाही पड़ी भारी, छत्तीसगढ़ में सड़क हादसों में इजाफा, हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी
X

High Court News

By Radhakishan Sharma

बिलासपुर। बिलासपुर हाई कोर्ट में जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश किए गए आंकड़े बेहद चौकाने वाले है। छत्तीसगढ़ में वर्ष 2023 की तुलना में 2024 में 10.28% की वृद्धि हुई है। मृत्यु दर के आंकड़े भी परेशान करने वाला है। मृत्यु दर में 9.50% की वृद्धि हुई है। पीडब्ल्यूडी व एनएचएआई द्वारा पहचान किए गए 'ब्लैक स्पॉट' को अधिकारियों ने अभी तक दुरुस्त नहीं किया है।

हाई कोर्ट द्वारा नियुक्ति कोर्ट कमिश्नर द्वारा पेश आंकड़ों के अनुसार रोड एक्सीडेंट में घायलों की दर में भी बढ़ोतरी हुई है। यह आंकड़ा 7.25% के करीब है। रायपुर, दुर्ग, जांजगीर, सक्ती और मुंगेली जिलों में चिन्हित 'ब्लैक स्पॉट'- दुर्घटना संभावित क्षेत्र को सुधारा नहीं गया है। कोर्ट कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि पर्याप्त संख्या में दुर्घटना संभावित क्षेत्र हैं। कोरबा और सरगुजा जिलों में दुर्घटनाओं में क्रमशः 25.44% और 42.25% की वृद्धि हुई है। अतिरिक्त महाधिवक्ता शशांक ठाकुर ने कोरबा और सरगुजा में वृद्धि के लिए कोल माइंस क्षेत्रों में कोयला ले जाने वाले डंपरों की अधिक संख्या को जिम्मेदार ठहराया है। माइंस इलाकों में दुर्घटनाएं 42% बढ़ी है। जनहित याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की डिवीजन बेंच में हुई। कोर्ट कमिश्नर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि रायपुर, दुर्ग, जांजगीर, सक्ती और मुंगेली जिलों में चिन्हित ब्लैक स्पॉट-दुर्घटना संभावित क्षेत्रों को ठीक नहीं किया गया है।

कोर्ट कमिश्नर रोड एक्सीडेंट के लिए इसे भी बड़ा कारण बताया है।

नगरपालिका सीमा के भीतर अपर्याप्त स्ट्रीट लाइटिंग है।

सड़कों पर आवारा पशुओं का खतरा बढ़ा है।

मालवाहक वाहनों में यात्रियों को ले जाने की अवैध प्रथा, कोयला-उत्पादक क्षेत्रों में कोयला ले जाना

मालवाहक वाहनों में यात्रियों को ले जाने की अवैध प्रथा की ओर न्यायालय का ध्यान आकृष्ट किया गया।

भारी वाहनों में कोल परिवहन, डस्ट, दुर्घटना का कारण बन रहा है।

एनएचएआई के वकील ने बताया कि कोयले से निकलने वाली धूल और ट्रकों द्वारा फ्लाई ऐश परिवहन, विशेष रूप से कोरबा-रायपुर और सूरजपुर-अंबिकापुर सड़कों पर, दुर्घटनाएं ज्यादा हो रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि फ्लाई ऐश को खुले कंटेनरों के बजाय कैप्सूल में ले जाया जाना चाहिए।

एनएचएआई ने 17.95 करोड़ की लागत से 5 फुट ओवरब्रिज बनाने की योजना बनाई है, जिनकी पहचान दुर्घटनाग्रस्त क्षेत्रों के रूप में की गई है, जहां पैदल चलने वालों की संख्या अधिक है। एनएचएआई ने बताया कि कोयले और बिजली से निकलने वाली धूल से यातायात प्रभावित होता है। एनएचएआई रायपुर ने एक हलफनामा दायर किया जिसमें 2021, 2022 और 2023 में राष्ट्रीय राजमार्गों पर ब्लैक स्पॉट्स के लिए उठाए गए और प्रस्तावित सुधारात्मक उपायों का विवरण दिया गया है।

डिवीजन बेंच ने इन्हें पक्षकार बनाने का दिया निर्देश-

हाई कोर्ट ने एनटीपीसी, सीपत और साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल), बिलासपुर को प्रतिवादी पक्ष के रूप में पक्षकार बनाने का निर्देश दिया है। दोनों कंपनियों के सक्षम अधिकारियों को कोयला और फ्लाई ऐश परिवहन में सावधानियों की कमी को स्पष्ट करते हुए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। परिवहन विभाग के सचिव को भी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

सड़क हादसों में हुई वृद्धि-

घायल: 12,573 ( वर्ष 2024) और 6,166 ( वर्ष 2023)

मृत्यु: 11,723 ( वर्ष 2024) और 6,752 ( वर्ष 2023)

दुर्घटनाओं की संख्या: 14,853 ( वर्ष 2024) और 13,468 (वर्ष 2023)

कोर्ट कमिश्नर के रिपोर्ट से अफसरों की खुली पोल, ब्लैक स्पाट्स पर आज तक नहीं हुआ काम

हाईकोर्ट के सामने पेश की गई रिपोर्ट में सड़क दुर्घटनाओं को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जिन क्षेत्रों को ब्लैक स्पाट यानी दुर्घटना-प्रवण क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया गया था, उनमें से 9.50 प्रतिशत अब तक सुधारे ही नहीं गए। कोर्ट कमिश्नर रविंद्र शर्मा ने बताया कि रायपुर, दुर्ग, जांजगीर, सक्ती और मुंगेली जैसे जिलों में चिन्हित ब्लैक स्पाट आज भी वैसे ही हैं, जिन पर कोई सुधारात्मक कार्रवाई नहीं की गई है।

Next Story