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High Court News: चारागाह को खेत बनाने की जिद, 27 साल का कब्जा भी हक में नहीं बदला, हाई कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

High Court News: छत्तीसगढ़ के एक गांव के ग्रामीण सरकारी जमीन पर बीते 27 साल से कब्जा कर खेती बाड़ी कर रहा है। अब इस जमीन की लीज के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। सरकारी और वह भी चारागाह की भूमि को अपने नाम पर लीज आवंटित करने की मांग की। मामले की सुनवाई हाई कोर्ट के सिंगल बेंच में हुई। हाई कोर्ट ने कुछ ऐसा दिया है फैसला

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By Radhakishan Sharma

बिलासपुर। राज्य सरकार ने ग्रामीण इलाकों में मवेशियों के एक अलग ही व्यवस्था करके रखा है। हर गांव में चारागाह की जमीन आवंटित की गई है। इस जमीन की खासियत ये कि इसे ना तो किसी को लीज पर दिया जा सकता है और ना ही इस जमीन का हेड बदलता है। मसलन इस जमीन का मद परिवर्तन भी नहीं होता। इसी जमीन की लीज के एक ग्रामीण ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट की नोटिस के बाद मामला जब सामने आया तो अफसरों के होश उड गए।

पूरा मामला छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के ग्राम धनगंवा का है। यहां के एक ग्रामीण ने याचिका दायर कर बताया कि वह वर्ष 1998 से 0.94 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा कर खेती बाड़ी कर रहा है। उसके बाद इसके अलावा और कोई जमीन नहीं है। इसी जमीन को लीज पर देने की मांग की है। राज्य शासन की ओर से कोर्ट को बताया गया कि जिस जमीन की याचिकाकर्ता लीज मांग रहे हैं वह जमीन चारागाह के लिए राजस्व रिकार्ड में दर्ज है और यह जमीन चारागाह के लिए सुरक्षित है।

इस जमीन को लीज पर नहीं दिया जा सकता और ना ही इसका मद परिवर्तन हो सकता है। मामले की सुनवाई जस्टिस राकेश मोहन पांडेय के सिंगल बेंच में हुई। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि चारागाह की जमीन किसी को आवंटित नहीं की जा सकती। ग्रामीण ने सबसे पहले कलेक्टर को आवेदन देकर चारागाह की जमीन को लीज पर देने की मांग की थी। कलेक्टर के द्वारा आवेदन को खारिज करने के बाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।


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