High Court News: भ्रष्टाचार के आरोपी जूनियर को बनाया प्रभारी डीईओ, पूर्व डीईओ पहुंचे हाई कोर्ट – समिति को तीन हफ्ते में सुनवाई का निर्देश
High Court News: बिलासपुर जिले के पूर्व DEO डॉ अनिल तिवारी ने स्थानांतरण आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायरकी है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अमृतो दास ने राज्य शासन द्वारा तय गाइड लाइन का हवालो देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के स्थानांतरण में राज्य सरकार के अधिकारियों ने नियमों का सीधेतौर पर उल्लंघन कर दिया है। जिस बीईओ के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की पुष्टि हो गई है,ऐसे भ्रष्ट अफसर को डीईओ बनाया गया है। बीईओ विजय तांडे जिसे डीईओ बनाया है वह याचिकाकर्ता से जूनियर है। सीनियर को हटाकर जूनियर को जिम्मेदारी देना नियम विपरीत है।

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High Court News: बिलासपुर। बिलासपुर जिले के पूर्व डीईओ डॉ अनिल तिवारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल ने याचिकाकर्ता द्वारा पूर्व में स्थानांतरण समिति के समक्ष पेश किए गए अभ्यावेदन पर समिति को सुनवाई का निर्देश दिया है। कोर्ट ने समिति को तीन सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर सुनवाई करने और नियमानुसार निर्णय लेने कहा है। याचिकाकर्ता डा तिवारी ने राज्य शासन द्वारा किए गए तबादले को नियम विरुद्ध बताते हुए याचिका दायर की है।
याचिकाकर्ता डॉ तिवारी ने अपनी याचिका में 10 जुलाई 2025 के स्थानांतरण आदेश को चुनौती दी है। जिसके तहत जिला शिक्षा अधिकारी, बिलासपुर और जिला शिक्षा अधिकारी, गौरेला पेंड्रा मरवाही के अतिरिक्त प्रभार के रूप में तैनात याचिकाकर्ता को सहायक संचालक के रूप में संभागीय संयुक्त संचालक (शिक्षा), संभाग बिलासपुर के कार्यालय में स्थानांतरित किया गया है। विजय तांडे खंड शिक्षा अधिकारी बीईओ कोटा के रूप में कार्यरत हैं, याचिकाकर्ता के स्थान पर प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी, बिलासपुर के पद पर स्थानांतरित और तैनात किया गया।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अमृतो दास ने कहा कि 09 जनवरी 2025 के आदेश के तहत याचिकाकर्ता को सहायक जिला परियोजना अधिकारी बिलासपुर के पद से प्रत्यावर्तित करने के बाद प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी, बिलासपुर के पद पर स्थानांतरित किया गया और उन्होंने वहां जिला शिक्षा अधिकारी, बिलासपुर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। 20 मई 2025 के आदेश के तहत उन्हें जिला शिक्षा अधिकारी गौरेला पेंड्रा मरवाही का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया।
खंड शिक्षा अधिकारी, कोटा के रूप में पदस्थ रहने के दौरान विजय तांडे के खिलाफ फर्जीवाड़ा की शिकायत थी और जिला कलेक्टर बिलासपुर ने शिकायत के खिलाफ जांच के लिए एक समिति गठित की। समिति द्वारा की गई जांच के बाद 21 मार्च 2025 को जिला शिक्षा अधिकारी बिलासपुर के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिसमें शिकायत को सही पाया गया और आगे की विस्तृत जांच और विभागीय कार्यवाही के लिए अनुशंसा की गई।
वरिष्ठता का भी नहीं रखा ध्यान, भ्रष्टाचार का आरोप सही पाए जाने के बाद भी तांडे को बना दिया प्रभारी डीईओ
उन्होंने आगे दलील दी कि याचिकाकर्ता, वर्तमान प्रभारी डीईओ विजय तांडे से वरिष्ठ हैं और उसका नाम क्रम संख्या 237 पर है जबकि तांडे का क्रम संख्या 330 पर है। तांडे के विरुद्ध शिकायत होने और प्रथम दृष्टया शिकायत को सही पाए जाने के बावजूद 10 जुलाई 2025 के आदेश द्वारा याचिकाकर्ता के स्थान पर बिलासपुर में प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर नियुक्त किया गया है। उक्त स्थानांतरण आदेश के विरुद्ध, याचिकाकर्ता ने 10 जुलाई 2025 की स्थानांतरण नीति की धारा-8 के अंतर्गत गठित समिति के समक्ष अपना अभ्यावेदन प्रस्तुत किया है। आज तक समिति द्वारा इस पर निर्णय नहीं लिया गया है। हालांकि याचिकाकर्ता को जिला शिक्षा अधिकारी, बिलासपुर के पद से कार्यमुक्त कर दिया गया है, लेकिन वह अपने कनिष्ठ के अधीन काम करने के लिए विवश है।
राज्य सरकार के आदेश का दिया हवाला
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने राज्य सरकार के 14 जुलाई 2014 को जारी परिपत्र का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी कनिष्ठ को स्थानांतरित किए गए कर्मचारियों के स्थान पर प्रभार नहीं दिया जाएगा। इसके अलावा, स्थानांतरण नीति के खंड 2.2 में स्पष्ट रूप से प्रावधान है कि कर्मचारी के स्थानांतरण के बाद, प्रभार समान स्थिति वाले कर्मचारी को दिया जाना चाहिए और कनिष्ठ को नहीं दिया जाना चाहिए।
विभागीय अधिकारियों ने नियमों का किया उल्लंघन
याचिकाकर्ता ने स्थानांतरण नीति के 05 जून 2025 के खंड 3.9 में यह स्पष्ट प्रावधान है कि कर्मचारी को एक वर्ष के भीतर स्थानांतरित नहीं किया जाना चाहिए, फिर भी याचिकाकर्ता को केवल विजय तांडे को उसकी पसंद के स्थान पर समायोजित करने के लिए स्थानांतरित किया गया है।
राज्य सरकार ने ये कहा
राज्य सरकार के वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता और विजय तांडे का स्थानांतरण आदेश प्रशासनिक आवश्यकता के आधार पर पारित किया गया है। आदेश के बाद बीईओ विजय तांडे ने प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी, बिलासपुर का कार्यभार संभाल लिया है। याचिकाकर्ता भी अपने स्थानांतरित स्थान से मुक्त हो गया है। इसलिए, इस समय याचिकाकर्ता को कोई राहत नहीं दी जा सकती।
समिति ने अब तक नहीं किया फैसला
याचिकाकर्ता ने 10 जुलाई 2025 के आक्षेपित स्थानांतरण आदेश को चुनौती देते हुए इस न्यायालय के समक्ष विभिन्न दलीलें प्रस्तुत की हैं, फिर भी उन्होंने एक और दलील दी है कि उन्होंने राज्य सरकार द्वारा 05 जून 2025 की स्थानांतरण नीति के खंड-8 के अंतर्गत गठित समिति के समक्ष अपना अभ्यावेदन पहले ही प्रस्तुत कर दिया है, जो 13 जुलाई 2025 से लंबित है। चूंकि स्थानांतरण नीति स्वयं खंड-8 के अंतर्गत स्थानांतरण नीति की शर्तों के उल्लंघन के विरुद्ध गठित समिति के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत करने हेतु एक आंतरिक उपाय प्रदान करती है और याचिकाकर्ता ने इसका लाभ उठाया है। इसलिए उक्त समिति द्वारा कोई निष्कर्ष दर्ज किए बिना इस स्तर पर मामले के गुण-दोष पर विचार करना उचित नहीं होगा।
कोर्ट ने समिति ने याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर समिति को निर्णय लेने दिया आदेश
मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल ने स्थानांतरण समिति, जिसके समक्ष याचिकाकर्ता का 13 जुलाइ 2025 का अभ्यावेदन लंबित है, को निर्देश दिया जाता है कि वह इस आदेश की प्रति प्राप्त होने की तिथि से तीन सप्ताह के भीतर संबंधित पक्षों को सुनवाई का अवसर प्रदान करने के बाद, विधि के अनुसार, गुण-दोष के आधार पर निर्णय ले। उसके बाद, यदि पहले से निर्णय नहीं लिया गया है, तो अभ्यावेदन में उठाए गए आधारों पर विचार करते हुए, वस्तुनिष्ठ तरीके से एक तर्कसंगत आदेश पारित करे। तब तक 10 जुलाई 2025 के स्थानांतरण आदेश के अनुसरण में याचिकाकर्ता के विरुद्ध कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। स्थानांतरण समिति द्वारा आदेश पारित किए जाने की स्थिति में, याचिकाकर्ता उक्त आदेश के विरुद्ध उपलब्ध कानून का सहारा लेने के लिए स्वतंत्र होगा।
