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हाई कोर्ट का निर्देश, छत्तीसगढ़ के जैन तीर्थ बकेला के निर्माणाधीन मंदिर में भू-दानी का नाम होगा अंकित...

High Court:छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि जैसे ही मंदिर आम लोगों के उपयोग के लिए तैयार हो जाएगा, तब याचिकाकर्ता मनीष जैन के पिता स्व गौतमचंद जैन का नाम एक सुंदर, सुसज्जित पत्थर पर लिखा जाएगा, ताकि याचिकाकर्ता की भावना संतुष्ट हो सके। कोर्ट ने यह भी कहा है कि केवल अपने पिता के नाम का उल्लेख होने के कारण, याचिकाकर्ता मनीष जैन संबंधित भूमि पर मालिकाना हक का दावा नहीं करेंगे, लेकिन यदि वे याचिका दायर करना चाहते हैं तो वे सिविल कानून के तहत उपलब्ध उपाय का सहारा ले सकते हैं। इस आदेश के साथ कोर्ट ने अवमानना याचिका को निराकृत कर दिया है।

हाई कोर्ट का निर्देश, छत्तीसगढ़ के जैन तीर्थ बकेला के निर्माणाधीन मंदिर में भू-दानी का नाम होगा अंकित...
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By NPG News

बिलासपुर। जैन तीर्थ बकेला के मामले में पेश अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने तीर्थ स्थल में भू- दानी स्व. गौतम चंद जैन का नाम अंकित करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही याचिका को निराकृत कर मंदिर निर्माण में किसी प्रकार की बाधा नहीं आने देने निर्देशित किया है।

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि जैसे ही मंदिर आम लोगों के उपयोग के लिए तैयार हो जाएगा, तब याचिकाकर्ता मनीष जैन के पिता स्व गौतमचंद जैन का नाम एक सुंदर, सुसज्जित पत्थर पर लिखा जाएगा, ताकि याचिकाकर्ता की भावना संतुष्ट हो सके। कोर्ट ने यह भी कहा है कि केवल अपने पिता के नाम का उल्लेख होने के कारण, याचिकाकर्ता मनीष जैन संबंधित भूमि पर मालिकाना हक का दावा नहीं करेंगे, लेकिन यदि वे याचिका दायर करना चाहते हैं तो वे सिविल कानून के तहत उपलब्ध उपाय का सहारा ले सकते हैं। इस आदेश के साथ कोर्ट ने अवमानना याचिका को निराकृत कर दिया है।

0 विवाद के पीछे की वजह यह

पंडरिया ब्लाक के बकेला में स्व. गौतम चंद जैन ने आचार्य मनोज्ञ सागर की प्रेरणा से 13 एकड़ 56 डिसमिल जमीन खरीदी थी। इसके लिए उन्होंने ट्रस्ट बनाया था। जमीन खरीदने के बाद जैन मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ कराया था। इसी बीच उनका निधन हो गया। स्व गौतम चंद जैन के निधन के बाद मुंगेली के दूसरे जैन ट्रस्ट ने उक्त भूमि पर अपना दावा करते हुए नामांतरण करा लिया। जमीन के नामांतरण के बाद ट्रस्टी अनूपचंद बैद ने मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करा दिया।

इसका विरोध करते हुए स्व. गौतम जैन के पुत्र मनीष जैन ने अदालती लड़ाई लड़ी। हाई कोर्ट में मामला दायर कर न्याय की गुहार लगाई। मामले की सुनवाई के बाद छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने जनवरी 2003 में अपना फैसला सुनाते हुए यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया था। हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी मंदिर निर्माण कार्य प्रारंभ रहने के कारण मनीष जैन ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से न्यायालयीन आदेश की अवहेलना करने का आरोप लगाते हुए अवमानना याचिका दायर की थी। अवमानना याचिका पर जस्टिस एनके व्यास के सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि संपत्ति का मालिक कौन है, इस बारे में विवाद है। दोनों पक्षों के बीच आपसी विवाद के कारण मंदिर निर्माण कार्य अटका हुआ है। भवन निर्माण सामग्री की बढ़ती कीमतों के कारण मंदिर निर्माण का बजट भी बढ़ने की संभावना है। इसके अलावा निर्माण कार्य में हो रहे विलंब के कारण जैन समुदाय के लोगों की भावनाएं भी आहत हो रही है।

0 पिता ने खरीदी थी ट्रस्ट की ओर से जमीन

अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता मनीष जैन और मुकेश जैन कोर्ट में उपस्थित होकर जानकारी दी कि जिस जमीन में जैन तीर्थ में मंदिर का निर्माण किया जा रहा है वह उसके पिता ने ट्रस्ट की ओर से खरीदी थी। लिहाजा तीर्थ स्थल में पिता का नाम भूमि दाता के रूप में दर्ज की जाए। बकेला चिंतामणि पाश्र्वनाथ जैन श्वेतांबर तीर्थ ट्रस्ट, बकेला पंडरिया के अध्यक्ष सुधीर जैन ने कोर्ट से कहा कि यदि स्व गौतम जैन का नाम तीर्थ स्थल में अंकित किया जाता है तो ट्रस्ट को कोई आपत्ति नहीं है।

0 कोर्ट ने दिया ऐसा आदेश

मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस एनके व्यास ने अपने आदेश में लिखा है कि याचिकाकर्ता मनीष जैन के पिता स्व गौतमचंद जैन का नाम सुसज्जित पत्थर में लिखा जाए और इसे तीर्थ स्थल में सुरक्षित जगह पर लगाया जाए। ट्रस्ट द्वारा ऐसा करने से याचिकाकर्ता मनीष जैन की भावना संतुष्ट होगी। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि केवल अपने पिता का नाम उल्लेखित करने के कारण याचिकाकर्ता विचाराधीन भूमि पर स्वामित्व का दावा नहीं कर सकेंगे। कोर्ट ने कहा कि अगर उनकी मंशा कुछ इस तरह की होगी तो उन्हें सिविल कानून का सहारा लेने की छूट रहेगी।

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