Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में आया प्राकृतिक न्याय सिद्धान्त के उल्लंघन का मामला, कोर्ट ने दिया कुछ ऐसा आदेश
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में एक रोचक मामला आया। पंचायत विभाग के अफसरों ने याचिकाकर्ता कर्मचारी को अपना पक्ष रखने का अवसर दिए बिना ही सेवा समाप्ति का आदेश जारी कर दिया। सिंगल बेंच ने इसे प्राकृतिक न्याय सिद्धान्त के विपरीत मानते हुए जिला पंचायत सीईओ के आदेश को रद्द कर दिया है। याचिकाकर्ता कर्मचारी ने अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और नरेंद्र मेहेर के माध्यम से याचिका दायर की थी।

Bilaspur High Court
Chhattisgarh News: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में पंचायत विभाग द्वारा अपने कर्मचारी के खिलाफ जारी आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने इसे प्राकृतिक न्याय सिद्धांत के उल्लंघन का मामला माना है। मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की सिंगल बेंच ने पंचायत विभाग को यह छूट दी है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोपों की दोबारा जांच करें और उन्हें सुनवाई का पर्याप्त अवसर दें।
बैकुंठपुर कोरिया जिले के जनपद पंचायत खडगवा में पदस्थ अभिषेक सिन्हा सहायक ग्रेड 3 (संविदा) महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना को वित्तीय अनियमितता के आरोप में छत्तीसगढ़ सिविल सेवा संविदा नियुक्ति नियम 2012 के प्रावधान अनुसार एक माह का वेतन प्रदान कर नियुक्ति समाप्त किए जाने के आदेश 16 अक्टूबर 2017 को हाई कोर्ट निरस्त कर दिया है।
कार्यालय कलेक्टर जिला कोरिया बैकुंठपुर के आदेश 15 फरवरी 2011 के तहत याचिकाकर्ता अभिषेक सिन्हा की नियुक्ति सहायक ग्रेड 3 के पद पर हुई थी। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत जनपद पंचायत में कार्यरत कर्मचारियों की संविदा नियुक्ति नियम 2012 के प्रावधानों के अनुसार सचिव छत्तीसगढ़ शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संविदा अवधि को प्रत्येक वर्ष बढ़ाई गई। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत कोरिया ने 10 अगस्त 2017 को वित्तीय अनियमितता के चलते कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा। आरोप था कि पंचायत में सामग्री व श्रम की राशि में अतिरिक्त भुगतान पाया गया है।
0 जांच में ये मिला
मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत द्वारा आवंटित स्वीकृत से ज्यादा राशि भुगतान किया जाना जांच में पाया गया। याचिका के अनुसार कारण बताओ नोटिस का जवाब प्रस्तुत करने के बाद, 16 अक्टूबर 2017 को मुख्य कार्यपालिका अधिकारी जिला पंचायत कोरिया ने जवाब समाधान कारक नहीं पाए जाने के कारण एक माह का वेतन प्रदाय कर संविदा नियुक्ति समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया।
0 सीईओ के आदेश को दी चुनौती
सीईओ के आदेश को चुनौती देते हुते याचिकाकर्ता ने अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और नरेंद्र मेहेर के माध्यम से याचिका पेश की है।मामले की सुनवाई राकेश मोहन पांडेय के सिंगल बेंच में हुई।
0 नही मिला जवाब पेश करने का अवसर
अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी ने पैरवी करते हुए कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता को आवंटित 24 पंचायत में से 18 पंचायत का सामग्री व श्रम की राशि का एफटीओ तैयार करने के बाद भुगतान हेतु नस्ति, कार्यक्रम अधिकारी एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी की ओर से सहायक प्रोग्रामर को अवलोकन हेतु प्रस्तुत किया गया था। उसके बाद कार्यक्रम अधिकारी एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा याचिकाकर्ता को आवंटित 24 पंचायत में से 18 पंचायत का सामग्री व श्रम की राशि का भुगतान किया गया। इससे साफ है कि याचिकाकर्ता द्वारा कोई गलत दस्तावेज तैयार नहीं किया गया था।
0 आरोप पत्र भी नहीं दिया
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सिद्दीकी ने कोर्ट से कहा कि उपरोक्त वित्तीय अनियमितता में हुई विभागीय जांच के संबंध में याचिकाकर्ता को नोटिस जारी किया गया और ना ही आरोप पत्र जारी किया गया है। विभाग ने इसलिए प्राकृतिक न्याय जे सिद्धान्त का भी उल्लंघन किया है। मामले की सुनवाई के बाद कोर्टने मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत कोरिया द्वारा जारी संविदा नियुक्ति समाप्ति आदेश को निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने पंचायत विभाग को प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन करते हुए पुनः जांच करने की छूट दी है।