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CG Principal Promotion: प्राचार्य पदोन्नति में नियमों की अनदेखी पर हाईकोर्ट सख्त, सुनवाई के लिए तय हुई अंतिम तारीख

प्राचार्य पदोन्नति में मापदंडों व दिशा निर्देशों का पालन करने की मांग करते हुए दायर याचिका पर सोमवार को हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने रिटन फाइल करने के लिए समय की मांग की। डिवीजन बेंच ने एक दिन का समय देते हुए 11 जून को सुनवाई की तिथि तय कर दी है। माना जा रहा है कि इस दिन डिवीजन बेंच का फैसला आएगा।

CG High Court News:
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Bilaspur High Court

By Radhakishan Sharma

बिलासपुर। समर वेकेशन के बाद सोमवार को बिलासपुर हाई कोर्ट में नियमित कामकाज प्रारंभ हुआ। जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डिवीजन बेंच में प्राचार्य पदोन्नति को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई प्रारंभ हुई। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने जवाब दावा पेश करने के लिए कोर्ट से समय की मांग की। डिवीजन बेंच ने एक दिन का समय देते हुए सुनवाई के लिए 11 जून की तिथि तय कर दी है। इस दिन डिवीजन बेंच में फाइनल हियरिंग होगी। हाई कोर्ट में याचिका की सुनवाई के दौरान प्राचार्य पदोन्नति फोरम की ओर से अनिल शुक्ला, राकेश शर्मा, श्याम कुमार वर्मा, रुद्र कुमार वर्मा एवं विनोद कुमार वर्मा मौजूद थे

समर वेकेशन से पहले हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए प्राचार्य प्रमोशन के मामले में किसी भी प्रक्रिया पर 9 जून तक रोक लगा दी थी। कोर्ट ने समर वेकेशन के तत्काल बाद 9 जून को ही सुनवाई की तिथि तय कर दी थी। प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए हाई कोर्ट ने काउंसलिंग और ज्वाइनिंग पर कोई भी प्रक्रिया नहीं करने का आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान राज्य शासन और स्कूल शिक्षा विभाग नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि आदेश के बाद भी शिक्षकों को प्राचार्य पद पर ज्वाइन कराया गया। नाराज कोर्ट ने तब कहा था कि यह न्यायालयीन अवमानना का मामला बनता है। आगामी आदेश तक सभी ज्वाइनिंग को भी हाईकोर्ट ने अमान्य कर दिया था।

प्राचार्य प्रमोशन को लेकर हाईकोर्ट में कई याचिकाएं लगी है। एक मामला 2019 से जुड़ा हुआ है, जबकि दूसरा प्रकरण 2025 और बीएड-डीएलएड से जुड़ा है। 28 मार्च 2025 को जब हाई कोर्ट की पिछली सुनवाई हुई थी, तो राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को आश्वस्त किया गया था कि अगली सुनवाई तक प्राचार्य प्रमोशन का आदेश जारी नहीं किया जाएगा। कोर्ट का आश्वस्त करने के बाद भी 30 अप्रैल को प्रमोशन लिस्ट जारी कर दी गई। अगले दिन एक मई को हाई कोर्ट ने इस पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।

शिक्षकों की ज्वाइनिंग पर हाई कोर्ट हुआ था नाराज-

हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान शिक्षकों की ज्वाइनिंग का मुद्दा भी याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने उठाया था। व्याख्याता से प्राचार्य पद की पदोन्नति पर 7 मई तक रोक थी। इसके बाद भी कई जिलों में ज्वाइनिंग करा दी गई। बताया गया कि प्राचार्यों के प्रमोशन आदेश में स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया गया था कि यह पदोन्नति हाई कोर्ट के आदेश के अधीन रहेगी। इसके बाद भी कई जगहों पर प्राचार्य पद पर ज्वाईनिंग देकर पावती ले ली गई। इसमें डीईओ और व्याख्याताओं के मिलीभगत की बात भी उठाई गई। ऐसे शिक्षकों की निलंबन की मांग भी की गई। ज्ञात हो कि 30 अप्रैल को ही प्राचार्य प्रमोशन की सूची जारी की गई थी। इसके तहत छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग के ई संवर्ग के 1524 एवं टी संवर्ग के 1401 कुल 2925 प्राचार्य के पदों पर स्कूल शिक्षा एवं आदिम जाति कल्याण विभाग के व्याख्याता नियमित,व्याख्याता एल बी तथा प्रधान पाठक माध्यमिक विद्यालय को पदोन्नति प्रदान कर प्राचार्य बनाया था।

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