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CG Housing Scam: छत्तीसगढ़ में PM मोदी के गरीबों के सपने पर अघात, नगरीय प्रशासन मंत्रीजी हजारों गरीबों का सवाल...नियम बदलवा क्यों नहीं रहे हैं?...

CG Housing Scam: छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम पर डाका डाल दिया गया। जाहिर है, पीएम मोदी ने सपना देखा है कि देश में हर गरीबों के पास अपना आशियाना हो। मगर छत्तीसगढ़ में उसे ऐसा झटका दिया गया कि सिर्फ एक साल में 27 हजार गरीब आवास से वंचित हो गए। बता दें, सूबे के बिल्डर पिछले 15 साल से प्रयास करते रहे। रमन सरकार में हाथ-पैर जोड़ते रहे। कांग्रेस सरकार में भी साढ़े चार साल तक उनकी दाल नहीं गली। मगर विधानसभा चुनाव 2023 के ऐलान होने से महीने भर पहले नियम बदलवाने में कामयाब हो गए।

CG Housing Scam: छत्तीसगढ़ में PM मोदी के गरीबों के सपने पर अघात, नगरीय प्रशासन मंत्रीजी हजारों गरीबों का सवाल...नियम बदलवा क्यों नहीं रहे हैं?...
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By Gopal Rao

CG Housing Scam: रायपुर। सवाल उठता है कि अगर नियम बदलवाना जायज था तो पिछले विधानसभा चुनाव के ऐन पहले क्यों किया गया। गरीबों का हक मारने और कॉलोनाईजरों को मालामाल करने वाले नियम चूकि पिछली सरकार में नगरीय प्रशासन विभाग ने बदलवाया इसलिए वर्तमान बीजेपी सरकार नगरीय प्रशासन विभाग को खुद से पहल करते हुए इसे बदलवाना चाहिए।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी कल विधानसभा में पिछली सरकार की गड़बड़ियों पर बड़ा हमला बोला। पीएम नरेंद्र मोदी के अफोर्डेबल हाउसिंग के सपने को पूरी करने के लिए नगरीय प्रशासन मंत्री का दायित्व है कि वे पहल करके नियम बदलवाएं।

नगरीय प्रशासन मंत्री की खामोशी आश्चर्यजनक

अरुण साव सिर्फ नगरीय प्रशासन मंत्री ही नहीं हैं बल्कि उप मुख्यमंत्री भी हैं। प्रोटोकॉल में सीएम के बाद दूसरे नंबर पर। इससे पहले वे सांसद रह चुके हैं फिर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी। कहने का आशय यह है कि प्रभावशाली मंत्री होने के बाद भी वे गरीबों का हक छीनने वाले नियम क्यों नहीं बदलवा पा रहे। जबकि, पिछली सरकार में शिव डहरिया सिर्फ नगरीय प्रशासन मंत्री थे। इसके बाद भी नियम बदल गया।

एक साल में 27 हजार मकानों का नुकसान

इस कालोनाईजर नियम बदलने से सिर्फ एक साल में 200 एकड़ जमीनों का नुकसान हुआ, इसमें गरीबों का 27 हजार ईडब्लूएस आवास बनता। विधानसभा चुनाव का ऐलान होने से महीने भर पहले नगरीय प्रशासन विभाग ने बड़ी चतुराईपूर्वक कालोनाईजर नियम बदल दिया था। गरीबों के ईडब्लुएस आवास का परसेंटेज 15 परसेंट से घटाकर नौ परसेंट किया ही, कुल क्षेत्रफल की जगह कुल संख्या का 9 परसेंट कर बड़ा षडयंत्र किया गया। याने पहले कुल क्षेत्रफल के आधार पर गरीबों के लिए जमीनें दी जाती थी, अब से संख्या के आधार पर किया गया ताकि कालोनाईजर छोटे टुकड़ों को गिनकर 9 परसेंट का नियम पूरा कर दे।

ने किया एक्सपोज

नगरीय प्रशासन विभाग के इस स्कैम को छत्तीसगढ़ के सबसे तेज न्यूज वेबसाइट एनपीजी न्यूज ने खुलासा किया। एनपीजी ने प्रमाण के तौर पर 13 सितंबर 2023 को प्रकाशित राजपत्र को भी खबर में लगाया था।

23 साल से प्रयासरत

छत्तीसगढ़ के कालोनाईजर पिछले 23 साल से इस नियम को बदलवाने के लिए जी तोड़ प्रयास कर रहे थे। मगर न ही अजीत जोगी की सरकार ने बदला और न ही 15 साल वाली रमन सरकार ने। भूपेश बघेल की सरकार में भी पौने पांच साल तक बिल्डरों ने काफी प्रेशर बनाया मगर दाल नहीं गल पाई। अचानक चुनाव से महीने भर पहले नगरीय प्रशासन विभाग ने बिल्डरों की इच्छा के मुताबिक नियम बदल दिया। 16 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव का ऐलान हुआ और 13 सितंबर को नया नियम राजपत्र में प्रकाशित हो गया। हालांकि, चुनाव ऐलान में करीब दसेके दिन विलंब हुआ, वरना अक्टूबर के पहले हफ्ते में ही चुनाव की घोषणा हो जाती। जैसा कि विधानसभा चुनाव 2018 का ऐलान 6 अक्टूबर को हुआ था। कहने का मतलब यह है कि अक्टूबर फर्स्ट वीक में आचार संहिता लगने की संभावना को देखते आनन-फानन में नगरीय निकाय विभाग ने चुपके से नियम बदल दिया।

चोरी-छिपे क्यों बदला नियम?

आमतौर पर सरकार कोई नियम बदलती है तो उसकी जानकारी मीडिया को दी जाती है। खासकर, पब्लिक से जुड़ा कोई मुद्दा हो तो। मगर नगरीय निकाय विभाग ने किसी को कानोकान इसकी खबर नहीं होने दी। और कालोनाईजरों को उपकृत कर दिया।

छत्तीसगढ़ का यूएसपी था ईडब्लूएस मकान

छत्तीसगढ़ में गरीबो का ईडब्लूएस आवास योजना स्टेट का बड़ा यूएसपी थी। भारत सरकार की बैठकों में छत्तीसगढ़ को काफी सराहना मिलती थी। इसलिए क्योंकि, बाकी राज्यों में ऐसी योजना नहीं। इसलिए वहां शहर से 30-40 किलोमीटर बाहर गरीबों के लिए आवास बनाए जाते हैं। छत्तीसगढ़ के रायपुर, बिलासपुर जैसे शहरों के भीतर सरकारों ने गरीबों को आवास मुहैया कराया है तो कालोनाईजरों से मिली जमीनों के चलते। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अफोर्डेबल हाउसिंग का सपना पूरा करने में छत्तीसग़ढ़ सबसे आगे था।

70 हजार में मकान

कालोनाईजरों से मिली जमीनों की वजह से गरीबों को पांच लाख का मकान यहां 70 हजार रुपए में मिल जाता था। बाकी राशि केंद्रांश और राज्यांश से पूर्ति की जाती थी। अब नए नियम के तहत कालोनाईजर नगरपालिकाओं और नगर निगमों को जमीन ही नहीं देंगे तो फिर उनके लिए मकान बनेंगे कैसे? फिर गरीबों को 70 हजार में मिलने वाले आवास कालोनाईजरों से पांच लाख से उपर में खरीदना होग, जो कि मुमकिन नहीं। याने कालोनाईजर जिसे चाहे मनमाफिक रेट पर गरीबों के नाम पर बनाए गए मकानों को बेच देंगे।

एक साल में 27 हजार मकानों का नुकसान

रेरा के अनुसार छत्तीसगढ़ में एक साल में 217 नई कालोनियां एप्रूव्ह हुई है। इनमें 54.65 लाख वर्ग मीटर एरिया 25170 मकान बनेंगे। 54.65 लाख वर्ग मीटर में 15 परसेंट के हिसाब से अगर कालोनाईजर नगरपालिकाओं, नगर निगमों को 200 एकड़ लैंड मिलता। इसमें गरीबों के लिए 300 वर्ग फुट की 27 हजार कालोनियां बन जाती।

ये सिर्फ एक साल का आंकड़ा है। इससे समझा जा सकता है कि कालोनाईजर नियम बदलकर कालोनाईजरों को कितना बड़ा फायदा पहुंचाने का सरकार ने इंतजाम कर दिया। दूसरा, शहरों के भीतर गरीबों के लिए शानदार व्यवस्थापन छत्तीसगढ़ की यूएसपी थी...भारत सरकार की बैठकों में इसे नजीर के तौर पर पेश किया जाता था कि छत्तीसगढ़ ने ऐसी व्यवस्था गरीबों के लिए बना रखी है। उसे भी अब खतम कर दिया गया

13 सितंबर 2023 से पहले के नियम के अनुसार 54.65 लाख वर्ग मीटर में से 15 परसेंट के हिसाब से कालोनाईजर गरीबों के लिए आवास के लिए नगरपालिकाओं या नगर निगमों को 200 एकड़ जमीन देते। इसमें गरीबों के लिए 300 वर्ग फुट के 27 हजार पक्के मकान बनते।

200 की बजाए अब 20 एकड़

नए नियम के अनुसार अब 200 एकड़ की जगह कालोनाईजर 20 एकड़ जमीन गरीबों के लिए सुरक्षित रख फुरसत पा जाएंगे। जबकि, 54.65 लाख वर्ग मीटर में से 15 परसेंट के हिसाब से उन्हें 200 एकड़ जमीन देना पड़ता। मगर 15 को घटाकर 9 परसेंट करने और क्षेत्रफल को संख्या में परिवर्तित करने के चतुराई भरे खेल से अब वे 20 एकड़ जमीन ही रिर्जव करेंगे। क्योंकि, सबसे छोटे साइज के 500 फुट के प्लाट की बात करें तो 9 परसेंट अनुसार 20 एकड़ होगा।

Gopal Rao

गोपाल राव रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

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