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CG High Court News: हाईकोर्ट ने पांच दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदला, पढ़िए पूरा मामला

16 वर्षीय पहाड़ी कोरवा जनजाति की नाबालिग के गैंगरेप और गैंगरेप के बाद नाबालिग,उसके पिता समेत परिवार के तीन की सामूहिक हत्या के मामले में सत्र न्यायालय की विशेष न्यायाधीश ने पांच आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी। सजा की पुष्टि के लिए हाईकोर्ट में मामला भेजा गया। हाईकोर्ट ने इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस न मानते हुए पांचों आरोपियों को दी गई फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया।

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Bilaspur High Court

By Radhakishan Sharma

बिलासपुर। कोरबा जिले के देवपहरी में विशेष जनजाति कोरवा समुदाय की 16 साल की पहाड़ी कोरवा लड़की के साथ गैंगरेप के बाद लड़की,उसके पिता और चार वर्षीय नातिन की हत्या के मामले में सत्र न्यायालय की विशेष न्यायाधीश द्वारा पांच आरोपियों को दी गई फांसी की सजा को हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दिया है। आरोपियों की आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं होने और उनकी उम्र को देखते हुए हाईकोर्ट ने यह फैसला दिया है। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह केस जरूर समाज को झकझोरने वाला है। लेकिन आरोपियों को मृत्युदंड की कठोर सजा देना उचित नहीं है क्योंकि यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर का मामला नहीं है।

जनवरी 2021 में कोरबा जिले में एक 16 साल की पहाड़ी कोरवा लड़की के साथ गैंगरेप हुआ फिर उसकी उसके 45 वर्षीय पिता और उसके पिता की 4 वर्षीय नातिन की हत्या कर दी गई थी। कोरबा जिले के देवपहरी निवासी विशेष जनजाति कोरवा समुदाय के परिवार का 45 वर्षीय मुखिया संतराम मंझवार के मवेशियों को चराने का काम करता था। इसके एवज में 8 हजार रुपए सालाना और हर महीने 10 किलो चावल देने की बात हुई थी। लेकिन, संतराम मंझवार ने साल भर से बकाया भुगतान नहीं किया। पत्नी ने पुलिस को बताया कि वो अपने पति और बच्ची के साथ मवेशी चराने का हिसाब-किताब करने संतराम के पास गई थी। इस दौरान कहा था कि हमारा पैसा दे दो फिर हम अपने घर चले जाएंगे, तब संतराम ने उसे 600 रुपए नकद, अनाज दे दिया। जिसके बाद उसका अपने गांव जाने के लिए ग्राम सतरेंगा के बस स्टैंड निकल गया। कुछ देर बाद संतराम अपने साथियों के साथ आया।

सभी को बाइक से घर छोड़ने की बात कही। पत्नी को एक बाइक से आगे भेज दिया। उसके पति, नाबालिग बेटी और नातिन को रोक लिया। इसके बाद जब तीनों घर नहीं पहुंचे, तब पत्नी तीनों की तलाश करते हुए संतराम के घर भी गई थी। लेकिन उनकी कोई जानकारी नहीं मिली। उसने थाने में शिकायत की। उसकी शिकायत पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी। घटना के दूसरे दिन 29 जनवरी 2021 को गढ़-उपोड़ा के कोराई जंगल में पिता (45), उसकी बेटी (16) और नातिन (4) के शव 30 जनवरी को मिले। पत्नी के बयान के आधार पर पुलिस ने संदेहियों को पकड़कर पूछताछ की तो पता चला कि आरोपी संतराम और अन्य मिलकर पिता को अपने साथ ले गए। रास्ते में आरोपियों ने शराब पी और उसको भी पिलाई। आरोपियों ने पहले से तय साजिश के अनुसार घटना को अंजाम दिया। पिता के सामने उसकी बेटी से गैंगरेप किया। उसने विरोध किया तो लाठी-डंडे से पीट-पीटकर पिता की हत्या कर दी। इसके बाद उसकी बेटी और चार साल की नातिन को भी मार डाला।

विशेष न्यायाधीश ने सुनाई थी फांसी की सजा-

जांच के बाद पुलिस ने संतराम मंझवार (45), अनिल कुमार सारथी (20), आनंद दास (26), परदेशी दास (35) और जब्बार उर्फ विक्की (21) के साथ ही उमाशंकर यादव (22) को गैंगरेप और हत्या के केस में गिरफ्तार किया। पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया। मामले की सुनवाई के बाद जिला एवं अपर सत्र न्यायालय (पॉक्सो कोर्ट) की विशेष न्यायाधीश डॉ. ममता भोजवानी ने अपने फैसले में कहा, अमानवीय और निर्दयतापूर्वक किया गया कृत्य वीभत्स, पाशविक और कायरतापूर्ण है। वासना को पूरा करने के लिए निर्दोष और कमजोर लोगों की हत्या की गई, जिससे पूरे समाज की सामूहिक चेतना को आघात पहुंचा है। इसलिए आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई। जबकि, एक आरोपी उमाशंकर यादव को उम्रकैद की सजा दी। फांसी की सजा पुष्टि के लिए प्रकरण हाईकोर्ट भेजा गया था। जिस पर हाईकोर्ट ने इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस न मानते हुए सभी आरोपियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है।

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