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Bilaspur News: SBI कर्मचारी पर यौन उत्पीड़न के आरोप साबित, हाई कोर्ट ने सजा को रखा बरकरार

हाई कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक SBI के एक कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई को बरकरार रखा है। कर्मचारी पर एक महिला ग्राहक के साथ दुर्व्यवहार करने और यौन उत्पीड़न का आरोप है। संचयी प्रभाव से दो इंक्रीमेंट रोकने का दंड लगाया है।

CG High Court News:
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Bilaspur High Court

By Radhakishan Sharma

बिलासपुर। भारतीय स्टेट बैंक ने अपने एक कर्मचारी पर महिला ग्राहक के साथ यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार करने के आरोप की पुष्टि के बाद दो इंक्रीमेट रोकने की सजा सुनाई है। इसके खिलाफ कर्मचारी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने एसबीआई के निर्णय को सही ठहराते हुए याचिका को खारिज कर दिया है।

याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की डिवीजन बेंच में हुई। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने कहा कि दस्तावेजों से यह पता चलता है कि शिकायत की जांच सक्षम अधिकारी द्वारा की गई है। अधिकारी की क्षमता के संबंध में कोई आरोप नहीं है। जांच रिपोर्ट के बाद एसबीआई ने रिटायरमेंट तक संचयी प्रभाव से उसके वर्तमान वेतनमान से दो वेतन वृद्धि कम करने का दंड लगाया गया था। जिसे अपीलीय प्राधिकारी द्वारा संचयी प्रभाव से दो वेतन वृद्धि रोकने के लिए संशोधित किया गया था,। लिहाजा लगाया गया दंड न तो चौंकाने वाला है और न ही असंगत है।

हाई कोर्ट एसबीआई शाखा के ग्राहक सहायक ने सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच में याचिका दायर की थी। शुरुआत में याचिकाकर्ता पर महिला ग्राहक के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगाया गया था। आरोप की जांच के दौरान जांच अधिकारी ने जांच का दायरा बढ़ाते हुए पड़ताल शुरू की। इसमें ग्राहक, कर्मचारियों और सहकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार, कर्मचारियों/ग्राहकों का यौन उत्पीड़न, ग्राहक सेवा में देरी, महिला ग्राहकों पर अपमानजनक टिप्पणी करना और आदतन देर से आना और बहस करने वाला रवैया। याचिकाकर्ता पर आरोप लगाया गया कि ब्रांच में नकारात्मक माहाैल बनाने के चलते बिजनेस प्रभावित होने के अलावा आफिस का अनुशासन बिगाड़ने का आरोप लगाया गया। इसके अलावा यौन उत्पीड़न पर आंतरिक शिकायत समिति के अध्यक्ष ने उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की। याचिकाकर्ता को 3 आरोपों में दोषी पाया गया और 3 अन्य आरोप आंशिक रूप से साबित हुए।

इंक्रीमेंट रोक की मिली सजा-

अनुशासनात्मक अधिकारी ने रिटायरमेंट तक संचयी प्रभाव से उनके वर्तमान वेतनमान से दो वेतन वृद्धि कम करने का दंड लगाया और आगे यह दंड लगाया गया कि वे 2 साल की अवधि के लिए वेतन वृद्धि के लिए पात्र नहीं होंगे। इस आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ता ने बी एंड ओ रायपुर मॉड्यूल से अपील की, जिन्होंने सजा को संशोधित करते हुए संचयी प्रभाव से दो वेतन वृद्धि रोकने के लिए दंड को बढ़ा दिया। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में बताया है कि उसके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे थे और पीड़ितों के बयान दर्ज नहीं किए गए थे। याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया है कि गवाहों से जिरह करने का अवसर नहीं दिया गया।

बैंक प्रबंधन ने कोर्ट को दी ये जानकारी-

याचिकाकर्ता के खिलाफ गंभीर प्रकृति के आरोप थे। यौन उत्पीड़न से संबंधित आरोपों की जांच आंतरिक शिकायत समिति ने की थी। जांच के बाद आरोप को प्रमाणित किया गया। याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए तीन आरोप पूरी तरह और तीन आंशिक रूप से साबित हुए थे। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने रिट याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने सिंगल बेंच के फैसले को सही ठहराते हुए रिट याचिका को खारिज कर दिया है।

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