Begin typing your search above and press return to search.

Bilaspur Highcourt News: बाल तस्करी मामलों को लेकर हाईकोर्ट के निर्देश, हाईकोर्ट ने कहा- 6 माह में पूरे करने होंगे ट्रायल

Bilaspur Highcourt News: बाल तस्करी से जुड़े सभी मामलों का ट्रायल 6 माह में पूरा करने के निर्देश हाईकोर्ट ने दिए हैं। गंभीर प्रकृति और संगठित अपराध होने के बावजूद ट्रायल में देर होने पर अपराधियों का हौसला बुलंद होता था। इसके अलावा ट्रायल में देरी होने से पीड़ित बच्चों को बार-बार आघात झेलना पड़ता था। जिसके चलते हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने सर्कुलर जारी कर कहा है कि ट्रायल को 6 माह में पूरा किया जाए। इसके लिए जरूरत हो तो रोजाना भी सुनवाई की जाए। इसमें लापरवाही बरतने पर सख्त कार्यवाही के निर्देश भी दिए गए है।

CG Highcourt News
X

CG Highcourt News

By Radhakishan Sharma

Bilaspur Highcourt News: बिलासपुर। चाइल्ड ह्यूमन ट्रैफिकिंग यानी बाल तस्करी के मामले में हाईकोर्ट ने सख्त निर्देश जारी किया है। हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला देते हुए सभी जिला एवं सत्र न्यायालयों को इसके लिए निर्देश जारी कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि बाल तस्करी से जुड़े सभी मामलों का ट्रायल सर्कुलर जारी होने के दिनांक से 6 महीने के भीतर अनिवार्य रूप से पूरा किया जाए। इसके लिए यदि जरूरत पड़े तो रोजाना भी सुनवाई की जाए। हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल मनीष ठाकुर ने यह आदेश जारी किया है।

बाल तस्करी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। जल्दी सुनवाई और सजा नहीं होने के चलते संगठित किस्म के इस अपराध को करने वालों के हौसले बुलंद है। इनके हौसले तोड़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भी अप्रैल 2025 में जारी अपने एक आदेश में ट्रायल जल्दी पूरा करने के निर्देश जारी किए थे। अब बिलासपुर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने भी इस संबंध में आदेश जारी किया है। अपने आदेश मेरे स्टार जनरल ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का अक्षरशः पालन करने को कहा है।

हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल मनीष कुमार ठाकुर द्वारा 8 अक्टूबर 2025 को जारी किए गए सर्कुलर में कहा गया है कि ट्रायल को छह माह में पूरा करने के लिए यदि आवश्यक हो, तो उन्हें दैनिक आधार पर सुनवाई की जाए। यह निर्देश सुप्रीम कोर्ट द्वारा 15 अप्रैल 2025 को पिंकी विरुद्ध उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य के मामले में दिए गए निर्देशों के पालन में दिया गया है। हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय में दिए गए दिशा-निर्देशों का शब्दशः और भावना के साथ पालन सुनिश्चित किया जाए ।

ट्रायल में देरी से पीड़ितों को हो रहा नुकसान

बाल तस्करी के बढ़ते मामलों और ट्रायल में होने वाली अनावश्यक देरी को देखते हुए यह निर्देश दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में पाया था कि मुकदमों के लंबे समय तक लंबित रहने के कारण अपराध की गंभीरता और संगठित प्रकृति के बावजूद न्याय मिलने में देरी होती है। इस देरी से न केवल बाल संरक्षण कानूनों का उद्देश्य विफल होता है, बल्कि नाबालिग पीड़ितों को मानसिक पीड़ा की स्थिति की का भी सामना करना पड़ता है ।

एक्ट्रोसिटी के साथ सभी कोर्ट को भेजा गया आदेश

हाईकोर्ट का यह निर्देश छत्तीसगढ़ के सभी जिला और सत्र न्यायाधीशों के साथ-साथ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत मामलों की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीशों को भेजा गया है ।

लापरवाही पर होगी सख्त कार्रवाई

हाईकोर्ट ने कहा है बाल तस्करी जैसे संगठित अपराधों में ट्रायल में देरी से पीड़ित बच्चों को बार-बार आघात झेलना पड़ता है। हाई कोर्ट ने साफ चेतावनी दी है कि उसके निर्देशों का पालन न करने या किसी भी तरह की लापरवाही दिखाने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

Next Story