Bilaspur HighCourt: हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: पीएससी में चयनित डिप्टी कलेक्टर व डीएसपी अभ्यर्थियों को दे ज्वाइनिंग
Bilaspur HighCourt: बिलासपुर हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में पीएससी 2021 में डीएसपी व डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयनित ऐसे उम्मीदवार जिनके खिलाफ सीबीआई ने अब तक चालान पेश नहीं किया है और जिनके खिलाफ ठोस सबूत नहीं जुटा पाई है,ऐसे चयनित अभ्यर्थियों को ज्वाइनिंग कराने का आदेश राज्य सरकार को दिया है।

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Bilaspur HighCourt: बिलासपुर। पीएससी 2021 में डिप्टी कलेक्टर व डीएसपी के पद पर 44 अभ्यर्थियों का चयन हुआ था। इसमें से चार अभ्यर्थियों के खिलाफ सीबीआई ने स्पेशल कोर्ट में चालान पेश किया था। चार अभ्यर्थी जेल में है। शेष 40 अभ्यर्थियों ने अपने अधिवक्ताओं के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर कर ज्वाइनिंग की मांग की थी। याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा है कि उनके खिलाफ अब तक ना तो किसी तरह का कोई आरोप तय हुआ है और ना ही गड़बड़ी की ठोस सबूत ही मिला है। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने ऐसे अभ्यर्थियों जिनके खिलाफ सीबीआई ने अब तक चालान पेश नहीं किया है और जिनके खिलाफ ठोस सबूत नहीं मिला है। 60 दिनों के भीतर ज्वाइनिंग कराने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है।
वर्ष 2021 सीसजीपीएससी में डिप्टी कलेक्टर व डीएसपी के पद पर 40 अभ्यर्थी सलेक्ट हुए थे। इनमें से चार अभ्यर्थियों के खिलाफ सीबीआई को गड़बड़ी की पुख्ता सबूत मिलने पर स्पेशल कोर्ट में चालान पेश किया था। चालान पेश करने के साथ ही गड़बड़ी के आरोप में चारों अभ्यर्थी जेल में बंद हैं। शेष 40 अभ्यर्थियों ने राजीव श्रीवास्तव, मनोज शर्मा, शर्मिला सिंघवी व
अभ्युदय सिंह के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। सभी याचिकाओं पर हाई कोर्ट में एकसाथ सुनवाई चल रही है। मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि ये सभी ऐसे चयनित उम्मीदवार है जिनके खिलाफ सीबीआई को किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं मिली है। लिहाजा इनको ज्वाइनिंग दी जाए। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि जिनके खिलाफ अब तक चार्जशीट पेश नहीं हुआ या जिनके खिलाफ ठोस सबूत नहीं मिले हैं उनको ज्वाइनिंग दी जाए। इसके लिए 60 दिन का समय दिया है।
0 फर्जीवाड़ा की जांच के लिए राज्य सरकार ने सीबीआई को सौंप दिया है मामला
सीजीपीएससी 2021 में बड़े पैमाने पर हुए फर्जीवाड़ा की जांच के लिए राज्य सरकार ने मामला सीबीआई को सौंप दिया है। सीबीआई ने सीबीआई 9 जुलाई को मामला अपने हाथ में लि लिया है और जांच शुरू कर दिया है। अब तक सीबीआई ने चार चयनित अभ्यर्थियों के खिलाफ चालान पेश किया है। दो चयनित उम्मीदवार उद्योगपति श्रवण गोयल के बेटे व बहू हैं। फर्जीवाड़ा के आरोप में सीबीआई ने उद्योगपति श्रवण गोयल, सीजीपीएससी के तत्कालीन चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी, परीक्षा नियंत्रक को गिरफ्तार किया है।
0 पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने दायर की थी पीआईएल
बीजेपी नेता ननकी राम कंवर ने सीजीपीएससी 2021 में फर्जीवाड़ा का आरोप लगाते हुए जनहित याचिका दायर कर जांच की मांग की थी। पीआईएल के साथ 18 चयनित उम्मीदवार के नाम की सूची भी पेश की थी। ये सभी कांग्रेस के नेताओं व अधिकारियों के रिश्तेदार हैं। इनकी बैकडोर इंट्री का आरोप लगाया गया था। कोर्ट में पेश आरोप पत्र के मुताबिक चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी के पांच रिश्तेदारों की नियुक्ति सूची सौंपी गई है. इसमें बेटे नितेश की डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्ति हुई है. रिजल्ट में सरनेम छुपाया गया था. उनकी बहू निशा कोशले का भी डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन हुआ है. उनके बड़े भाई के बेटे साहिल का चयन डीएसपी के पद पर हुआ है. इनका भी चयन सूची में सरनेम नहीं लिखा गया था. उनके भाई की बहु दीपा अजगले की नियुक्ति जिला आबकारी और बहन की बेटी सुनीता जोशी को श्रम अधिकारी बनाया गया है।
CGPSC 2021 घोटाला मामले की जांच पर रही सीबीआई ने पिछले साल नवंबर में पूर्व चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी को गिरफ्तार किया था। बता दें कि CGPSC 2021 में चयनित 18 अभ्यर्थियों के घरों में इस घोटाले को लेकर छापेमारी भी की गई थी। सभी के घरों में दो-दो दिनों तक तलाशी ली गई थी। तब अभ्यर्थियों के यहां 300 से ज्यादा किताबों-नोटबुक को पढ़ा गया। मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप की जांच की गई। जाँच के दौरान एक चयनित अभ्यर्थी के यहां डायरी में लेनदेन का हिसाब भी मिला था। अभ्यर्थियों, उनके परिजन के बैंक खातों की जांच के अलावा सीबीआई ने उनके साथ पीएससी के अफसरों से बातचीत की 5 साल की कॉल डिटेल और लोकेशन भी खंगाल डाली। इसी के आधार पर सीबीआई ने पीएससी के पूर्व चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के वक्त सोनवानी सरगुजा में अपने गांव से मैनपाट जा रहा था, जहां उसका आलीशान फॉर्म हाउस है। कहा जाता है कि, इसे सोनवानी ने अपनी काली कमाई से ही बनवाया था।
रिश्तेदारों का हुआ चयन
जांच में पता चला कि सोनवानी ने भतीजे नीतेश सोनवानी, बड़े भाई के बेटे साहिल, बहू निशा कोसले, भाई की बहू दीपा अजगले, बहन की बेटी सुनीता जोशी समेत 5 रिश्तेदारों का चयन कराया था। इसके अलावा पीएससी सचिव जीवन किशोर के बेटे सुमित ध्रुव, भूपेश सरकार में राज्यपाल के सचिव रहे अमृत खलखो की बेटी नेहा खलखो, बेटा 7 निखिल, डीआईजी ध्रुव की बेटी साक्षी ध्रुव, कांग्रेस नेता की बेटी अनन्या अग्रवाल, एक उद्योगपति का बेटे और बहू, मंत्री के ओएसडी के साढ़ू की बेटी खुशबू बिजौरा, कांग्रेस नेता के बेटे राजेंद्र कौशिक, कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला का बेटा स्वर्णिम, मीनाक्षी गनवीर समेत अन्य शामिल हैं। पीएससी घोटाले की जांच के दौरान सीबीआई ने चयनित अभ्यर्थियों के यहां से प्रश्न-पत्र से जुड़े दस्तावेज मिले। उनके परिजनों के बैंक खातों से ट्रांजेक्शन की भी जानकारी ली। इनके आधार पर सोनवानी को समन जारी किया। कई बार बुलाया गया, लेकिन वह उपस्थित नहीं हुए तब गिरफ्तारी तय की गई।
हार्ड डिक्स और पैन ड्राइव जब्त
सीबीआई ने अभ्यर्थियों के घर से हार्ड डिक्स और पैन ड्राइव जब्त की थी। अभ्यर्थियों, उनके परिजन के बैंक खातों की जांच के अलावा सीबीआई ने उनसे पीएससी के अफसरों के बीच बातचीत की 5 साल की कॉल डिटेल निकाली और लोकेशन भी खंगाला। यह भी देखा कि परीक्षा के दौरान कितनी बार वे संपर्क में थे और कितने बार मिले। सीबीआई टीम प्रश्न पत्र छापने वाली प्रिंटिंग प्रेस भी ले गई। वहां के मालिक और कर्मियों का बयान दर्ज किया गया है।
श्रवण गोयल व बेटे-बहू की पहले ही ख़ारिज हो चुकी है जमानत
घोटाले में आरोपी बनाये गए बजरंग इस्पात के डायरेक्टर श्रवण गोयल के बेटे शशांक गोयल और उनकी बहू भूमिका की पहले ही जमानत याचिका ख़ारिज हो चुकी है। दोनों अभी इस वक्त जेल में है। सीबीआई ने इस घोटाले में मुख्यतः 7 लोगों को आरोपी बनाया है -श्रवण गोयल,शशांक गोयल,भूमिका कटियार,नितेश सोनवानी,साहिल सोनवानी, ललित गणवीर.
