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Bilaspur High Court : योग के बहाने हिंदू छात्रों को नमाज पढ़ाने वाले सेंट्रल यूनिवर्सिटी के सात प्रोफेसरों की याचिका हाई कोर्ट ने की खारिज...

Bilaspur High Court: गुरुघासी दास सेंट्रल यूनिवर्सिटी बिलासपुर द्वारा लगाए गए NSS Camp में हिंदू विद्यार्थियों को योग के बहाने नमाज पढ़ाने के आरोप में पुलिस ने सेंट्रल यूनिवर्सिटी के सात प्राध्यापकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है। एफआईआर को रद्द करने की मांग करते हुए प्राध्यापकों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की अगुवाई वाली डिवीजन बेंच में हुई। डिवीजन बेंच ने प्राध्यापकों की याचिका को खारिज कर दिया है।

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By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court: बिलासपुर। गुरुघासी दास सेंट्रल यूनिवर्सिटी बिलासपुर के विद्यार्थियों को योग के बहाने नमाज पढ़ाने के आरोप में सेंट्रल यूनिवर्सिटी के सात प्राध्यापकों के खिलाफ कोटा थाना में एफआईआर दर्ज की गई है। एफआईआर रद्द करने की मांग करते हुए प्राध्यापकों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की डिवीजन बेंच में हुई। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने प्राध्यापकों की याचिका को खारिज कर दिया है।

गुरुघासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी बिलासपुर की एनएसएस इकाई ने कोटा थाने के तहत शिवतराई गांव में शिविर लगाया था। आरोप है कि 26 मार्च से 1 अप्रैल 2025 तक शिवतराई, कोटा में आयोजित एनएसएस शिविर में शिविर के समन्वयक शिक्षक दिलीप झा, मधुलिका सिंह, सूर्यभान सिंह, डॉ. ज्योति वर्मा, प्रशांत वैष्णव, बसंत कुमार और डॉ. नीरज कुमारी ने हिंदू छात्रों को योग के बहाने नमाज पढ़ने के लिए मजबूर किया। छात्र आस्तिक साहू, आदर्श कुमार चतुर्वेदी और नवीन कुमार आदि की शिकायत पर कोटा थाना में बीएनएस की धारा 190, 196(1)(बी), 197(1)(बी), 197(1)(सी), 299, 302 और छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 1968 की धारा 4 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।

एफआईआर के बाद आरोपी सहायक प्राध्यापकों ने एफआईआर को रद्द करने की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की थी। याचिकाकर्ताओं ने बताया कि 14-15 दिन की देरी से 14 अप्रैल 2025 को शिकायत दर्ज की गई। इसे राजनीति से प्रेरित बताते हुए कहा कि शिविर में 150 हिंदू छात्र थे, पर केवल तीन ने ही शिकायत दर्ज कराई है । याचिकाकर्ता प्राध्यापकों ने आरोप को झूठा बताया है। मुस्लिम छात्रों ने अपनी इच्छा से नमाज पढ़ी। याचिकाकर्ता प्राध्यापकों को पहले से ही जमानत मिल गई है।

राज्य सरकार ने प्राध्यापकों के तर्कों का विरोध करते हुए कहा कि आरोप गंभीर हैं। याचिकाकर्ताओं ने हिंदू छात्रों को योग के बहाने नमाज पढ़ने के लिए मजबूर किया। गवाहों ने आरोपों की पुष्टि भी कर दी है। जांच अभी जारी है। हाई कोर्ट ने निहारिका इंफ्रास्ट्रक्चर विरुद्ध महाराष्ट्र राज्य के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि एफआईआर रद्द करना दुर्लभतम मामलों में ही संभव है। जांच के दौरान एफआईआर के आरोपों की सत्यता पर टिप्पणी नहीं की जा सकती। पुलिस को जांच पूरी करने दी जानी चाहिए। हाई कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ प्राध्यापकों की याचिका को खारिज कर दिया है।

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