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Bilaspur High Court: स्टंट बाजी, केक कटिंग मामले में हाईकोर्ट का आदेश, कहा- पुलिस की कार्रवाई दिखावे के लिए नहीं, अपराधियों के लिए साबित हो सबक

Bilaspur High Court: हाईकोर्ट ने प्रदेश भर की सड़कों और हाइवे पर स्टंट बाजी के साथ ही केक कटिंग मामले को मानिटरिंग के लिए रखा है.

Bilaspur High Court: स्टंट बाजी, केक कटिंग मामले में हाईकोर्ट का आदेश, कहा- पुलिस की कार्रवाई दिखावे के लिए नहीं, अपराधियों के लिए साबित हो सबक
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court: बिलासपुर। बिलासपुर हाईकोर्ट ने प्रदेश भर की सड़कों और हाइवे पर स्टंट बाजी के साथ ही केक कटिंग मामले को मानिटरिंग के लिए रखा है। साथ ही राज्य शासन से कहा गया है कि वह नियमों और प्रावधानों को कड़ाई से लागू करे। शासन की ओर शपथ पत्र पेश करते हुए मुख्य सचिव की ओर से से कहा गया कि 25 अक्टूबर को मंत्रालय में आईजी प्रेस कांफ्रेस रखी गई थी। इसमें प्रदेश भर के कलेक्टर और एसपी रैंक के अधिकारी शामिल हुए थे। इसमें सभी जिलों को कड़ाई बरतने कहा गया है। पीएचक्यू से भी इसके लिए आदेश जारी किए गए हैं। कोर्ट ने इसके बाद कहा कि जिन गाडि़यों को जब्त किया गया था उन्हें बांड भरवाते हुए और शर्तों के साथ छोड़ा जा सकता है। एक साल में इस तरह की कोई और घटना होने पर जब्ती के साथ ही पेनाल्टी लगानी होगी।

गौरतलब है कि प्रदेश भर में इस तरह के मामले लगातार सामने आ रहें हैं। कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेकर शासन से जवाब मांगा था। हाईकोर्ट की नाराजगी के बाद शासन की ओर से जवाब पेश करते हुए कहा गया कि पुलिस ने मौके पर पहुंचकर अभियान चलाया और स्टंट में शामिल गाड़ियों को जब्त किया गया है। इसके साथ ही कार मालिकों के ड्राइविंग लाइसेंस रद्द करने की सिफ़ारिश भी की गई। यह कार्रवाई सड़क सुरक्षा के नजरिए से की गई ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर रोक लग सके। गाड़ियों के मालिकों की पहचान करने के साथ ही मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने चेतावनी दी कि सार्वजनिक सड़कों पर स्टंटबाजी करने वाले युवाओं को कड़ी सजा मिलनी चाहिए ताकि यह दूसरों के लिए सबक बने।

बांड भरने के बाद छोड़ी जाएंगी गाडि़यां

इससे पहले की सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि पुलिस का प्रकोप अक्सर केवल गरीब, मध्यम वर्ग और दलितों पर पड़ता है। जबकि संपन्न और बाहुबल वाले अपराधियों के खिलाफ पुलिस नख-दंतहीन बाघ बन जाते हैं। ऐसे लोग मामूली जुर्माना भरकर आसानी से छोड़ दिए जाते हैं और उनके वाहन भी वापस कर दिए जाते हैं। कोर्ट ने इसके बाद बिलासपुर क्षेत्र के लावर में पुलिस द्वारा जब्त की गई 18 कारों को हाईकोर्ट की अनुमति के बिना नहीं छोड़ने कहा था। अब शासन की ओर से जवाब पेश करने के बाद इन गाडि़यों को बांड भरने के बाद छोड़ने के आदेश दिए गए हैं।

शासन ने कहा- लोगों में सिविस सेंस जरूरी

शासन की ओर से चीफ सेक्रेटरी ने जवाब पेश करते हुए कहा गया कि इस बारे में लोगों को भी जागरूक होना होगा। सिविक सेंस जरूरी है। शासन अपने स्तर पर कड़ाई के साथ ही नियमों का पालन करा रहा है। इसके साथ ही लोगों में जागरुकता अभियान हर थाने स्तर पर चलाए जा रहे हैं। कलेक्टर और एसपी की ओर से इसके लिए अलग से पत्र जारी किए जा रहे हैं। कोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा कि पुलिस की कार्रवाई केवल दिखावे के लिए नहीं होनी चाहिए बल्कि ऐसी होनी चाहिए जो अपराधियों के लिए सबक साबित हो। गैर जिम्मेदार और खतरे में डालने वाले अपराधियों के खिलाफ सख्ती जरूरी है ताकि आम नागरिक सुरक्षित महसूस करें।

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