Bilaspur High Court: शासन करेगा 10 नदियों का संरक्षण और संर्वधन: उद्गम स्थल राजस्व रिकार्ड में होंगे दर्ज
Bilaspur High Court: राज्य शासन 10 नदियों का संरक्षण और संर्वधन करेगा. उद्गम स्थल राजस्व रिकार्ड में दर्ज होंगे. पीआईएल की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य शासन को निर्देश दिया है. फिलहाल यह नदियां और उनके उद्गम स्थल नाले के रूप में दर्ज हैं. पहले चरण में 10 नदियों महानदी, हसदेव, तांदूला, पैरी, केलो, मांड के संरक्षण और संवर्धन लिए कमेटी का गठन किया गया है.

Bilaspur High Court: बिलासपुर। राज्य से निकलने वाली नदियों के उद्गम स्थल आखिर क्यों सूख रहे हैं, यह जानने और इन स्थलों को तलाशने के लिए राज्य सरकार द्वारा कमेटी बनाई जाएगी। इसके साथ ही प्रदेश की 10 नदियों के संरक्षण और संर्वधन पर यह कमेटी काम करेगी। जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने इसके आदेश दिए। इसके साथ ही सभी नदियों और उनके उद्गम स्थल को राजस्व रिकार्ड में दर्ज करने का भी आदेश दिया गया है। दरअसल रिकार्ड में यह नदियां और उनके उद्गम स्थल फिलहाल नाले के रूप में दर्ज है। शासन द्वारा सोमवार को पेश जवाब में कहा गया कि 7 नदियों अरपा, महानदी, हसदेव, तांदूला, पैरी, केलो, मांड के लिए कमेटी का गठन कर दिया गया है। हाईकोर्ट ने कोरबा की लीलागर, पेण्ड्रा की सोनभद्र और तिपान नदी को भी संरक्षित करने कहा है। मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को हाेगी।
अरपा नदी के साथ ही प्रदेश की अन्य नदियों के संरक्षण और संवर्धन की मांग करते हुए लगाई गई जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। हाईकोर्ट में राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि अरपा में सालभर पानी की योजना के साथ प्रदेश की 10 प्रमुख नदियों के रिवाइवल की योजना पर काम किया जा रहा है। राज्य सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है। इस दौरान 2018 में बनाई गई भागवत कमेटी की बात याचिकाकर्ताओं की तरफ से उठाई गई। यह कमेटी नदियों के संरक्षण पर काम करने के लिए बनी थी।
इतिहासकार, लेखक, पर्यावरणविद रहेंगे कमेटी में
हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य से निकलने वाली नदियों के उद्गम स्थल आखिर क्यों सूख रहे हैं, यह जानने और इन स्थलों को तलाशने के लिए राज्य सरकार द्वारा कमेटी बनाई जानी चाहिए। शासन की ओर से इस पर सहमति जताई गई। इस कमेटी में जानकार तकनीकी अधिकारी अफसर, इतिहासकार, लेखक और पर्यावरणविद भी शामिल किए जाएंगे। यह कमेटी उद्गम स्थलों को पुनर्जीवित करने और इनसे पानी का बहाव बनाए रखने की दिशा में काम करेगी। कमेटी का सबसे पहला काम होगा नदियों के उद्गमों की तलाश करना। शासन ने कहा कि जिन जिलों से नदियों का उद्गम है वहां के कलेक्टर इसके अध्यक्ष रहेंगे। इसके साथ ही खनिज, वन और जिला पंचायत के अधिकारी कमेटी के सदस्य होंगे।
छोटी-बड़ी 19 नदियां निकलती हैं प्रदेश से
याचिकाकर्ता अरविंद शुक्ला ने बताया कि छत्तीसगढ़ में 19 छोटी-बड़ी नदियों का उद्गम है। इनमें धमतरी के सिहावा से महानदी, राजनांदगांव के अंबागढ़ से शिवनाथ नदी, कांकेर के भानुप्रतापपुर से तांदुला नदी, मनेन्द्रगढ़ के रामगढ़ से हसदेव नदी, गुरुर के पेटेचुआ से खारून नदी, महासमुन्द से जोंक नदी बिन्द्रानवागढ़ से पैरी नदी, मैनपाट से माड नदी, जशपुर के पंरापाट से ईब नदी, रायगढ़ के लुडेग से केलो नती, कोरबा के पठार से बोराई नदी, मलाजकुंडम से दूध नदी, बिलासपुर के खुड़िया पठार से कन्हार नदी, सरगुजा की मातरिंगा पहाड़ी से रिहन्द नदी, दुर्ग के उच्च भूमि से कोटरी नदी, बैलाडील से शबरी नदी, डांगरी-डोंगरी से डंकिन नदी, बैलाडीला से शखिनी नदी, राजनांदगांव के पठार से बाघ नदी और कोडागांव से नारंगी नदी निकलती है।
गंदा पानी रोकने निगम ने पेश किया शपथ पत्र
सोमवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में नगर निगम की ओर से शपथ पत्र पेश किया गया है। इससे पहले कोर्ट ने पूछा था कि अरपा के गंदे पानी को साफ करने के लिए बनाए जा रहे एसटीपी की क्या हालत है। निगम द्वारा इससे पहले पेश जवाब में कहा गया है कि 103 करोड़ की कार्ययोजना बनाई गई है। इसके अनुसार नदी में गिरने वाले पानी की सफाई के लिए अरपा में 4 एसटीपी निगम बना रहा है। इसमें 30 करोड़ की लागत से मंगला में 2 और कोनी व जवाली नाला पर 1-1 एसटीपी के निर्माण का कार्य अंतिम चरण में है। अब इसके साथ ही निगम ने तीन और एसटीपी बनाने का फैसला लिया है। इसमें चिंगराजपारा में 40 एमएलडी का, तिलकनगर में 4 एमएलडी का और शनिचरी में 8 एमएलडी का एसटीपी बनाया जाएगा। निगम की ओर से कहा गया कि दिसंबर तक मंगला और ज्वाली नाले पर बनाए जा रहे एसपीटी पूरे कर लिए जाएंगे। इससे पहले भी चिल्हाटी और दो मुहानी में बने एसटीपी से गंदे पानी को साफ किया जा रहा है।
