Bilaspur High Court: सहमति से यौन संबंध बनाया, दुष्कर्म का आरोप साबित नहीं होता, हाई कोर्ट ने कहा-युवती बालिग है...
Bilaspur High Court: बिलासपुर हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि युवती बालिग है और सहमति से यौन संबंध स्थापित किया है। युवक के खिलाफ दुष्कर्म का आरोप साबित नहीं होता है। इस टिप्प्णी के साथ कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए युवती की याचिका को खारिज कर दिया है।

Bilaspur High Court
Bilaspur High Court: बिलासपुर। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दोस्ती के बाद प्रेम परवान चढ़ा। आपस में बातचीत होने लगी और फिर दोनों से यौन संबंध भी स्थापित कर लिया। इस बीच युवती को दो बार गर्भ भी ठहरा। युवक के कहने पर गर्भपात भी कराया। युवक ने शादी करने से ना केवल इंकार कर दिया वरन युवती से रुपये की मांग भी करने लगा। परेशान युवती ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने युवक के खिलाफ मामला दर्ज कर एफटीसी कोर्ट में पेश किया। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने युवक को दोषमुक्त करार दिया। निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए युवती ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की और युवक पर शादी का झांसा देकर दुष्कर्म का आरोप लगाया। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए याचिका को खारिज कर दिया है।
याचिकाकर्ता युवती ने अपनी याचिका में कहा है कि युवक से 2018-19 सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिए दोस्ती हुई थी। इसी प्लेटफार्म पर उससे बातचीत होने लगी। बातचीत के दौरान दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे और प्रेम संबंध बन गया। याचिकाकर्ता ने बताया कि वर्ष 2021 में युवक ने फोन कर बुलाया और बाइक में बैठाकर उसे अपने दोस्त के घर ले गया। शादी का वादा किया और शारीरिक संबंध बनाए। याचिका के अनुसार इसके बाद वह कई बार शारीरिक संबंध स्थापित किया। दो बार गर्भ भी ठहरा। युवक ने अबार्शन करा दिया। याचिका के अनुसार जब उसने शादी के लिए दबाव बनाया तब युवक ने 25 लाख रुपये की मांग की और शादी से इंकार कर दिया।
0 एसपी से की शिकायत
युवक द्वारा शादी से इंकार करने पर 26 अप्रैल 2023 को पुलिस अधीक्षक से शिकायत दर्ज कराई। एसपी के निर्देश पर पुलिस ने जुर्म दर्ज कर एफटीसी कोर्ट में चालान पेश किया। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने युवक को दुष्कर्म के इस मामले से दोषमुक्त कर दिया। निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए युवती ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता युवती और युवक के बीच प्रेम संबंध था।
सहमति से शारीरिक संबंध बना रही थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि घटना के दो साल बाद एफआईआर दर्ज कराई गई है। इससे आरोपों की पुष्टि संदेह उत्पन्न करता है। कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि याचिकाकर्ता बालिग थी और सहमति से संबंध बनाए हैं। युवक के साथ रहने और जाने के दौरान उसने कोई विरोध नहीं किया। काेर्ट ने यह भी लिखा है कि दुष्कर्म के मामलों में पीड़िता की गवाही महत्वपूर्ण होती है, लेकिन इस मामले में याचिकाकर्ता का बयान पूरी तरह भरोसेमंद नहीं लगा।