Begin typing your search above and press return to search.

Bilaspur High Court: पति पर बिना प्रमाण नपुंसकता का आरोप लगाना क्रूरता से कम नहीं, पढ़िये पत्नी के आरोप पर हाई कोर्ट ने क्या कहा

Bilaspur High Court: विवाह के चार साल बाद ही पति पत्नी अलग हो गए। अलग रहने के सात साल बाद पति ने फैमिली कोर्ट में मामला दायर कर पत्नी से तलाक की मंजूरी मांगी।मामले की सुनवाई के दौरान पत्नी ने पति पर नपुंसक होने का सनसनीखेज आरोप लगा दी। आरोप तो लगाई पर किसी तरह का चिकित्सकीय प्रमाण पेश नहीं कर पाई। मामले की सुनवाई के बाद फैमिली कोर्ट ने पति की मांग नामंजूर कर दी थी। इसे चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

Bilaspur Highcourt News
X
By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court: बिलासपुर। विवाह के महज चार साल बाद ही पति पत्नी के संंबंधों में ऐसा दरार आया कि दोनों अलग-अलग रहने लगे। अलग रहने के सात साल बाद पति ने परिवार न्यायालय में विवाह विच्छेद को लेकर याचिका दायर की। मामले की सुनवाइ के दौरान पत्नी ने पति पर गंभीर आरोप लगा दिया। बिना मेडिकल रिपोर्ट के पत्नी ने फैमिली कोर्ट में अपने पति को नपुंसक होने का सनसनीखेज खुलासा किया। मामले की सुनवाई के बाद फैमिली कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था। परिवार न्यायलय के फैसले को चुनौती देते हुए पति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने पति की याचिका को मंजूर करते हुए तलाक का आदेश जारी कर दिया है।

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पत्नी के आरोप के संबंध में कहा कि बिना मेडिकल रिपोर्ट के नपुसंकता का गंभीर आरोप लगाना मानसिक क्रूरता की निशानी है और यह इसी श्रेणी में आता है। कोर्ट ने इस कड़ी टिप्पणी के साथ पति की याचिका को स्वीकार करते हुए तलाक की मंजूरी दे दी है। जांजगीर चांपा निवासी युवक की 2 जून 2013 को बलरामपुर जिले में रहने वाली युवती से हुई थी। विवाह के दौरान शिक्षा कर्मी पति बैकुंठपुर चर्चा कालरी में नौकरी कर रहा था, पत्नी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पद पर काम कर रही है।

विवाह के कुछ महीने बाद पत्नी पति पर वह जहां नौकरी रही है वहीं या आसपास तबादला कराने दबाव बनाने लगी। स्थानांतरण ना होने की स्थिति में नौकरी छोड़ने के लिए दबाव बना रही थी। आपसी विवाद और संवादहीनता के चलते 2017 से दोनों अलग-अलग रहने लगे। इस बीच दोनों की बातचीत भी बंद हो गई। अलगाव के सात साल बाद 2022 में पति ने फैमिली कोर्ट में विवाह विच्छेद के लिए याचिका दायर की। फैमिली कोर्ट में सुनवाई के दौरान पत्नी ने पति पर गंभीर आरोप लगा दिया। यौन संबंध बनाने में अक्षम होने की जानकारी देते हुए नपुंसक होने का आरोप मढ़ दिया। कोर्ट में उसने यह भी स्वीकार किया कि आरोप की पुष्टि के लिए उसके पास मेडिकल रिपोर्ट जैसे वैधानिक कोई दस्तावेज नहीं है। इस आरोप के जवाब में पति ने कोर्ट को बताया कि इसके पहले जब पत्नी ने विवाद किया तब उस पर पड़ोस की महिला के साथ अवैध संबंध के आरोप लगाई थी।

0 हाई कोर्ट ने कहा,बगैर प्रमाण आरोप लगाना मानसिक क्रूरता

मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने लिखा है कि किसी व्यक्ति पर बिना प्रमाणिकता के नपुंसकता जैसे गंभीर आरोप लगाना मानसिक क्रूरता से कम नहीं है। इस तरह के आरोप से मान सम्मान को तो धक्का पहुंचता ही है संबंधित व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर भी बेहद बुरा असर पड़ता है। हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को गंभीर त्रुटिपूर्ण मानते हुए खारिज कर दिया है। पति ने पत्नी के खिलाफ क्रूरता और विवाह विच्छेद के आरोप को सिद्ध कर दिया है। लिहाजा वैवाहिक संबंध को बनाए रखना न्याय और विधि के अनुरुप नहीं होगा। इस टिप्पणी के साथ पति की याचिका को स्वीकार करते हुए तलाक की मंजूरी दे दी है।

Next Story