Bilaspur High Court News: कर्मचारियों के लिए हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश: समान काम का समान वेतन निर्धारण को लेकर राज्य सरकार को जारी किया नोटिस
Bilaspur High Court News: बिलासपुर हाई कोर्ट के सिंगल बेंच का यह फैसला कर्मचारियों के लिए राहत वाली साबित हो सकता है। सिंगल बेंच ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर समान कार्य का समान वेतन निर्धारण का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता आशा वर्मा व अन्य ने अधिवक्ता मतीन सिद्धीकी के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यह समझ से परे है कि एक ही पद के लिए दो अलग-अलग वेतन संरचनाएं कैसे बनाई जा सकती हैं।

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बिलासपुर। बिलासपुर हाई कोर्ट के सिंगल बेंच का यह फैसला कर्मचारियों के लिए राहत वाली साबित हो सकता है। सिंगल बेंच ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर समान कार्य का समान वेतन निर्धारण का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यह समझ से परे है कि एक ही पद के लिए दो अलग-अलग वेतन संरचनाएं कैसे बनाई जा सकती हैं।
हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि सभी लैब टेक्नीशियनों को 2800 रुपये का ग्रेड पे प्रदान किया जाए। कोर्ट ने यह माना कि समान योग्यता, समान कार्य और समान दायित्व वाले कर्मचारियों को अलग-अलग वेतनमान देना प्राकृतिक न्याय और समानता के सिद्धांतों का उल्लंघन है।
आशा वर्मा व अन्य ने अधिवक्ता अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका के अनुसार 2 मई 2014 को जारी भर्ती विज्ञापन में लैब टेक्नीशियन के 26 पदों के लिए वेतनमान ₹5200–20200 के साथ ₹2800 ग्रेड पे स्पष्ट रूप से दर्शाया गया था। इसके बावजूद, चयन के बाद जारी नियुक्ति आदेशों में ग्रेड पे घटाकर ₹2400 कर दिया गया। याचिकाकर्ताओं ने इस परिवर्तन को मनमाना, अवैध और संवैधानिक समानता के अधिकार (अनुच्छेद 14) का उल्लंघन बताया है।
याचिका की सुनवाई जस्टिस दीपक कुमार तिवारी के सिंगल बेंच में हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता दानिश सिद्दीकी ने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा 30 मार्च 2013 और 7 मई 2013 को जारी आदेशों के माध्यम से कुछ पदों को ₹2800 और कुछ को ₹2400 ग्रेड पे के साथ स्वीकृत किया गया था। यही कारण है कि एक ही विज्ञापन और समान कार्य वाले कर्मचारियों के बीच वेतन असमान हो गया है। अधिवक्ता दानिश सिद्धीकी ने कहा कि जब कार्य, योग्यता और उत्तरदायित्व एक समान हैं, तो वेतन में भेदभाव न केवल अनुचित है, बल्कि समान कार्य के लिए समान वेतन के संवैधानिक सिद्धांत के विपरीत भी है।
राज्य शासन की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने स्वीकार किया कि प्रदेश के अन्य चिकित्सा महाविद्यालयों में लैब टेक्नीशियनों को पहले से ही ₹2800 का ग्रेड पे दिया जा रहा है, जैसा कि छत्तीसगढ़ चिकित्सा शिक्षा विभाग अलिपिकीय वर्गीय तृतीय श्रेणी सेवा भर्ती नियम, 2015 (राजपत्र में 25 सितंबर 2015 को प्रकाशित) के अनुसूची-1, क्रमांक 28 में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है। दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने के बाद कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यह समझ से परे है कि एक ही पद के लिए दो अलग-अलग वेतन संरचनाएं कैसे बनाई जा सकती हैं।
अदालत ने पाया कि चूंकि 2015 के नियमों में लैब टेक्नीशियन के लिए ग्रेड पे ₹2800 निर्धारित है, इसलिए ₹2400 ग्रेड पे देना नियमविरुद्ध और अनुचित है। कोर्ट ने राज्य शासन को निर्देशित किया है कि याचिकाकर्ताओं का ग्रेड पे नियुक्ति तिथि से ₹2800 निर्धारित करने तथा दो माह के भीतर सभी बकाया राशि 6% वार्षिक ब्याज के साथ भुगतान किया जाए। कोर्ट ने साफ कहा कि भविष्य में वेतन निर्धारण इसी अनुसर किया जाएगा।
