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Bilaspur High Court: रेल कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर, कोर्ट का आदेश- किसी कर्मचारी को बतौर सजा नहीं कर सकते डिमोशन

Bilaspur High Court: हाई कोर्ट ने रेलवे के एक कर्मचारी को राहत देते हुए विभागीय कार्रवाई में मिली सजा में आंशिक बदलाव कर दिया है। डीविजन बेंच ने कहा कि किसी कर्मचारी को बतौर सजा सीधे निचले पायदान पर डिमोशन नहीं कर सकते।

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By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court: बिलासपुर। हाई कोर्ट ने रेलवे के एक कर्मचारी को राहत देते हुए विभागीय कार्रवाई में मिली सजा में आंशिक बदलाव कर दिया है। मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि जूनियर इंजीनियर इलेक्ट्रिकल के पद से सीधे सबसे निचले पद टेक्नीशियन ग्रेड-3 पर डिमोशन करना नियम विरुद्ध है। जस्टिस संजय के अग्रवाल और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने कर्मचारी को उसके ठीक निचले पद मास्टर क्राफ्ट्समैन पर डिमोट करने निर्देश दिया है।

बिलासपुर के एसईसीआर कॉलोनी निवासी याचिकाकर्ता सीसीएस राव की टेक्नीशियन ग्रेड-3 के पद पर नियुक्ति हुई थी। क्रमिक पदोन्नति के माध्यम से वह टेक्नीशियन ग्रेड-2, टेक्नीशियन ग्रेड-1, मास्टर क्राफ्ट्समैन और वर्तमान में पदोन्नति पाकर जूनियर इंजीनियर इलेक्ट्रिकल के पद पर पहुंचे। 15 जुलाई 2013 को 16 जून 2013 से 15 जुलाई 2013 तक अनाधिकृत रूप से ड्यूटी से अनुपस्थित रहने के लिए चार्जशीट जारी की गई थी। विभागीय जांच के बाद अनुशासन कमेटी ने 11 मार्च 2014 को सेवा से हटाने की सजा सुनाई थी। कमेटी के आदेश के खिलाफ अपील की। अपीलीय प्राधिकारी ने 5 जून 2014 को सजा को संशोधित करते हुए जूनियर इंजीनियर इलेक्ट्रिकल से सबसे निचले टेक्नीशियन ग्रेड-3 के पद पर 3 साल के लिए डिमोट कर दिया। इसके अलावा डिमोशन की अवधि में इंक्रीमेंट पर ब्रेक लगा दी। इस पर उन्होंने पुनरीक्षण याचिका लगाई। मामले की सुनवाई के बाद डिमोशन अवधि को 3 साल से घटाकर 1 साल कर दिया गया। सजा पूरी होने के बाद उन्हें उनके मूल पद जूनियर इंजीनियर इलेक्ट्रिकल पर बहाल करने कोर्ट ने आदेश दिया है।

इस आदेश को उन्होंने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण जबलपुर बेंच में आवेदन किया। कैट ने 8 नवंबर 2024 को पुनरीक्षण प्राधिकारी के आदेश को सही ठहराते हुए आवेदन खारिज कर दिया। इसके बाद हाई कोर्ट में याचिका लगाई गई। हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता को जूनियर इंजीनियर इलेक्ट्रिकल के पद से मास्टर क्राफ्ट्समैन के पद पर एक साल की अवधि के लिए डिमोट किया जाएगा। पुनरीक्षण प्राधिकारी द्वारा लगाई गई बाकी सभी शर्तें बरकरार रहेंगी।

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