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Bilaspur High Court: नौकरी के लिए करना पड़ा लंबा इंतजार, नौकरी तो मिलेगी, सीनियारिटी और एरियर्स नहीं

Bilaspur High Court: बिलासपुर हाई कोर्ट में वर्ष 2013-14 में असिस्टेंट ग्रेड-3 के 33 पदों के लिए विज्ञापन जारी हुआ था। भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण नियमों का पालन ना किए जाने का खामियाजा याचिकाकर्ता महिला को भुगतना पड़ा। नौकरी के लिए पूरे एक दशक तक इंतजार भी करना पड़ा। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को नौकरी देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सीनियारिटी और एरियर्स देने से इंकार कर दिया है। पढ़े हाई कोर्ट ने अपने फैसले में क्या लिखा है।

Bilaspur High Court: नौकरी के लिए करना पड़ा लंबा इंतजार, नौकरी तो मिलेगी, सीनियारिटी और एरियर्स नहीं
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court- बिलासपुर। बिलासपुर हाई कोर्ट में वर्ष 2013-14 में असिस्टेंट ग्रेड-3 के 33 पदों के लिए विज्ञापन जारी हुआ था। भूमिका ने परीक्षा दिलाई थी। अलग-अलग कैटेगरी में नंबर भी अच्छा मिला था। आरक्षण प्रक्रिया का पालन ना किए जाने के कारण वह चयन से वंचित हो गई। वर्ष 2015 में याचिका दायर कर चयन प्रक्रिया में आरक्षण प्रक्रिया का पालन ना करने का आरोप लगाते हुए नौकरी की मांग की थी। मामले की सुनवाई जस्टिस एनके व्यास के सिंगल बेंच में हुई। जस्टिस व्यास ने याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने का आदेश देते हुए अपने फैसले में लिखा है कि ओबीसी महिला वर्ग की योग्य अभ्यर्थियों को सामान्य श्रेणी में नहीं रखा गया। याचिकाकर्ता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता को सीनियारिटी का लाभ नहीं मिलेगा और ना ही पिछला वेतन भी। नियुक्ति तिथि से ही वरिष्ठता की गणना की जाएगी।

बिलासपुर हाई कोर्ट द्वारा वर्ष 2013-14 में जारी किए गए विज्ञापन में सहायक ग्रेड-3 के 33 पद को शामिल किया गया था।

ओबीसी महिला वर्ग के लिए 2 पद रिजर्व रखा गया था। 7 फरवरी 2014 को आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि तय की गई थी। याचिकाकर्ता भूमिका ने ओबीसी महिला श्रेणी में आवेदन जमा किया था। लिखित परीक्षा में 27 नंबर मिला। हिंदी टाइपिंग में 12.5, अंग्रेजी टाइपिंग में 13 और इंटरव्यू में 1.5 नंबर मिला। इसके बाद भी उसका सलेक्शन नहीं हुआ। चयन सूची में नाम ना आने के बाद अपने अधिवक्ता के माध्यम से बिलासपुर हाई काेर्ट में याचिका दायर की। दायर याचिका में कहा कि चयन प्रक्रिया के दौरान आरक्षण नियमों का सही ढंग से पालन नही किया गया है। इसके चलते उसे चयन सूची में जगह नहीं मिल पाई है।

ओबीसी महिला वर्ग की अन्य उम्मीदवारों काे सामान्य वर्ग महिला कैटेगर में जगह नहीं दी गई है। याचिकाकर्ता ने कहा लिखित परीक्षा के उसके नंबर सामान्य महिला वर्ग से जिन उम्मीदवारों का चयन हुआ है उससे ज्यादा है। याचिकाकर्ता ने परीक्षा में शामिल महिला अभ्यर्थियों का उदाहरण भी दिया है और बताया कि उससे कहीं अधिक नंबर हासिल करने के बाद भी वह बाहर हो गई है। याचिकाकर्ता ने नौकरी देने के साथ ही सीनियारिटी देने की मांग की थी। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता की नौकरी देने की मांग को स्वीकार करते हुए नियुक्ति देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सीनियारिटी,एरियर्स व अन्य लाभ की मांग को खारिज कर दिया है।

0 हाई कोर्ट ने 7 जनवरी को आर्डर रख लिया था रिजर्व

मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने 7 जनवरी 2025 को आर्डर रिजर्व रख लिया था। जस्टिस व्यास ने 3 अप्रैल को फैसला सुनाया है। याचिकाकर्ता को इस फैसले से राहत मिलेगी।

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