Bilaspur High Court: हाई कोर्ट का समय खराब करने पर दवा कंपनी को झटका, सीजे ने जुर्माने के साथ याचिका की खारिज, दृष्टिबाधित स्कूल को राशि देने का आदेश
बिलासपुर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कोर्ट का समय खराब करने के मामले में दवा कंपनी पर जुर्माना ठोक दिया है। याचिका पर सुनवाई करते हुए दवा निर्माता कंपनी को 25 हजार रुपये का जुर्माना किया है। जुर्माने की राशि जशपुर के शासकीय दृष्टिबाधित बालक-बालिका विद्यालय को देने का निर्देश जारी किया है।

Bilaspur High Court: बिलासपुर। दवा कंपनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कंपनी की लापरवाही को लेकर नाराज चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका खारिज करने के साथ ही 25 हजार रुपये का जुर्माना भी ठोक दिया है। जुर्माने की राशि को जशपुर के शासकीय दृष्टिबाधित बालक-बालिका विद्यालय को देने का निर्देश जारी किया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा बार-बार दोषपूर्ण याचिका दायर करने और सुनवाई में कोर्ट का बेशकीमती समय खराब करने के आरोप में जुर्माना अधिरोपित किया है।
दवा कंपनी की एक याचिका हाई कोर्ट ने पहले ही खारिज कर दी थी। दोबारा याचिका दायर की वह भी दोषपूर्ण। राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारियों ने जब आपत्ति दर्ज कराई और पूर्व में याचिका के खारिज होने की जानकारी दी तब कोर्ट याचिकाकर्ता के इस तरह के कृत्य से नाराज हो गया और कोर्ट का बेशकीमती समय बर्बाद करने के आरोप में जुर्माना ठोक दिया। याचिकाकर्ता दवा कंपनी के लिए राहत वाली बात ये कि कोर्ट ने उसे याचिका दायर करने की अनुमति दे दी है। याचिकाकर्ता दवा कंपनी ने भविष्य में राज्य सरकार द्वारा जारी करने वाली निविदाओं की प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति की मांग की थी।
डिवाइन लेबोरेटरीज द्वारा सीजीएमएससीएल को हीपैरीन इंजेक्शन का आपूर्ति किया जाता था। लैब टेस्ट में इंजेक्शन को अमानक छैफ पाए जाने के बाद सीजीएमएससीएल ने डिवाइन लेबोरेटरीज को 16 जून 2025 को आदेश जारी कर ब्लैक लिस्टेड करते हुए खरीदी बिक्री पर रोक लगा दी थी। इस निर्णय के खिलाफ लेबोरेटरीज ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। डिवाइन लेबोरेटरीज सीजीएमएससीएल को हीपैरीन इंजेक्शन का आपूर्ति करता था। इस दौरान राज्य शासन को शिकायत मिली कि कंपनी द्वारा आपूर्ति किए जा रहे इंजेक्शन अमानक स्तर का है। जो मापदंड तय किया गया है, इंजेक्शन का निर्माण नहीं किया जा रहा है। अमानक स्तर के होने के कारण इससे लोगों को जानमाल का खतरा हो सकता है। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए सीजीएमएससीएल ने इंजेक्शन का लैब टेस्ट कराया। लैब टेस्ट में इंजेक्शन अमानक स्तर का मिला। इसके बाद सीजीएमएससीएल ने आपूर्तिकर्ता कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया।
डिवाइन लेबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ब्ळडैब्स्) के उस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिसमें कंपनी के द्वारा आपूर्ति किये गए हीपैरीन सोडियम इंजेक्शन को अमानक (छैफ) पाए जाने के कारण कंपनी को केवल हीपैरीन सोडियम इंजेक्शन के लिए तीन वर्षों के लिए ब्लैकलिस्ट किया गया था।
याचिकाकर्ता कंपनी ने ब्ळडैब्स् के उस आदेश को रद्द करने का आग्रह किया था, जिसके अंतर्गत उसे हीपैरीन इंजेक्शन आपूर्ति से तीन वर्षों के लिए प्रतिबंधित किया गया था। इस मामले में राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल प्रफुल भारत ने पक्ष रखा।
सीजीएमएससीएल की ओर से अधिवक्ता राघवेंद्र प्रधान, स्टैंडिंग काउंसिल के रूप में प्रस्तुत हुए।
याचिकाकर्ता डिवाइन लेबोरेटरीज की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी. जयंत के राव ने याचिका का पक्ष रखा। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने याचिका को निरस्त कर दिया है। याचिका खारिज करने के साथ ही याचिकाकर्ता पर 25 हजार रुपये का जुर्माना किया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता कंपनी को आवश्यकता होने पर भविष्य में पुनः कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने की स्वतंत्रता प्रदान की है।
0 रायपुर और अंबिकापुर के सरकारी अस्पतालों में मिला था अमानक इंजेक्शन
रायपुर और अंबिकापुर के सरकारी अस्पतालों से हीपैरीन इंजेक्शन की प्रभावशीलता को लेकर गंभीर शिकायतें प्राप्त हुई थीं। ब्ळडैब्स् द्वारा की गई गुणवत्ता जांच में यह इंजेक्शन मानक से कम गुणवत्ता (छैफ) पाया गया।
जन स्वास्थ्य सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए ब्ळडैब्स् ने संदिग्ध बैचों को तत्काल वापस मंगाया । दर अनुबंध (तंजम बवदजतंबज) को समाप्त करते हुए हीपैरीन इंजेक्शन के लिए डिवाइन लेबोरेटरीज को तीन साल के लिए ब्लैक लिस्ट कर दिया।
