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Bilaspur High Court: हाई कोर्ट का आदेश: 20 अगस्त तक दिव्यांग सर्टिफिकेट वालों को मेडिकल बोर्ड से प्रमाणपत्र लेना जरूरी, पढ़िए आदेश

Bilaspur High Court: दिव्यांग सर्टिफिकेट के जरिए राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में नौकरी कर रहे सरकारी अधिकारी व कर्मचारियों के लिए बिलासपुर हाई कोर्ट ने फरमान जारी कर दिया है। इन सभी लोगों को स्टेट मेडिकल बोर्ड में अपनी फिजिकल टेस्ट कराना होगा। स्टेट मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट विभाग प्रमुख के समक्ष जमा करने की अनिवार्यता रख दी है। हाई कोर्ट ने इसके लिए डेडलाइन भी तय कर दिया है। 20 अगस्त तक ऐसे अधिकारी व कर्मचारियों को स्टेट मेडिकल बोर्ड के समक्ष उपस्थित होकर फिजिकल टेस्ट कराना होगा और जारी सर्टिफिकेट विभाग प्रमुख के जमा करना होगा।

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High Court News

By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court: बिलासपुर। बिलासपुर हाई कोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में काम रहे उन सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए आदेश जारी किया है जो दिव्यांगता सर्टिफिकेट के जरिए नौकरी कर रहे हैं। ऐसे सभी लोगों को स्टेट मेडिकल बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत होना होगा। स्टेट मेडिकल बोर्ड इन लोगों का दोबारा फिजिकल टेस्ट करेगा। टेस्ट के बाद सर्टिफिकेट जारी करेगा। स्टेट मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी सर्टिफिकेट को विभाग प्रमुख के समक्ष जमा करना होगा। हाई कोर्ट ने राज्य शासन को इस संबंध में मानिटरिंग करने और मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी नए सर्टिफिकेट को कोर्ट के समक्ष रिपोर्ट के साथ पेश करने का निर्देश दिया है।

हाई कोर्ट ने दिव्यांग सर्टिफिकेट के जरिए नौकरी करने वाले अधिकारी व कर्मचारियों को 20 अगस्त तक मेडिकल बोर्ड के सामने उपस्थिति देने व फिजिकल टेस्ट कराने का निर्देश दिया है। फिजिकल टेस्ट के बाद मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी नए सर्टिफिकेट विभाग प्रमुखों के समक्ष जमा करना होगा। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि स्टेट मेडिकल बोर्ड के समक्ष उपस्थित होकर फिजिकल टेस्ट नहीं कराने वाले अधिकारी व कर्मचारियों को यह बताना होगा कि आखिर उसने जांच क्यों नहीं कराई। कोर्ट ने यह भी कहा कि तय डेडलाइन के भीतर फिजिकल टेस्ट नहीं कराने और स्टेट मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी नए सर्टिफिकेज जारी नहीं करने वाले सरकारी मुलाजिमों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

सबसे पहले NPG.NEWS

NPG.NEWS ने इस आशय की खबर सबसे पहले जारी किया था। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मुंगेली जिले के कलेक्टर ने विभाग प्रमुखों को पत्र लिखकर दिव्यांग प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी करने वालों की मेडिकल बोर्ड से जांच कराने का निर्देश दिया था। कलेक्टर ने आधा दर्जन विभाग प्रमुखों को पत्र लिखकर मुंगेली जिले में विभिन्न विभागों में नौकरी कर रहे 27 लोगों के प्रमाण पत्र को लेकर शिकायत में आशंका जाहिर की गई है। नए सिरे से जांच कराने और मेडिकल बोर्ड से प्रमाण पत्र पेश कराने का निर्देश दिया था।

फर्जीवाड़ा का खुलासा होने के बाद हाई कोर्ट में दायर कर दी याचिका

गड़बड़ी की आशंका के चलते समिति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी है। कलेक्टर ने अपने पत्र में इस बात का भी हवाला दिया है। कलेक्टर ने अपने पत्र में इस बात की भी जानकारी दी है कि कुछ कर्मचारियों का मेडिकल जांच हुआ है तथा कुछ कर्मचारी मेडिकल जांच में उपस्थित नहीं हो पाए या जानबुझकर उपस्थित नहीं हुए है।

सब श्रवण बाधित

दिव्यांगता मेडिकल सर्टिफिकेट में एक बात जो अचरज करता है वह है, मुंगेली जिले के विभिन्न सरकारी विभाग में काम करने वाले ये सभी 27 कर्मचारी बहरे हैं। यानी सभी ने श्रवण बाधित मेडिकल सर्टिफिकेट हासिल किया है। इससे साफ हो रहा है कि जिले में ऐसा गिरोह लंबे समय से सक्रिय है जो सिम्स से फर्जी दिव्यांगता वह भी श्रवण बाधित सर्टिफिकट बनवा रहा है।

कलेक्टर ने इन विभागों के प्रमुख को लिखा था पत्र

. मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत

. जिला शिक्षा अधिकारी

. उप संचालक, कृषि

. सहायक संचालक, उद्यान

. श्रमपदाधिकारी

. जिला योजना एवं सांख्यिकी अधिकारी

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