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Bilaspur High Court: गजब की पुलिस: बेल बांड जमा करने थाने गए पार्षद को गिरफ्तार कर भेज दिया जेल, हाई कोर्ट ने कुछ ऐसा दिया निर्देश

Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट से सर्शत अग्रिम जमानत मिलने के बाद बेल बांड जमा करने थाने गए भाजपा के पार्षद को पुलिस ने पुराने मामले का हवाला देते हुए गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। पुलिस की इस कार्रवाई के विरोध में पार्षद जालंधर सिंह ने गिरफ्तारी को चुनौती देने के साथ ही वैशाली नगर थाना प्रभारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।

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Bilaspur High Court

By Radhakishan Sharma

बिलासपुर। भाजपा पार्षद संतोष उर्फ जालंधर सिंह ने एक पुराने मामले में बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अग्रिम जमानत की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने जरुरी शर्तों के साथ जमानत दे दी थी। हाई कोर्ट की शर्त के अनुसार बेल बांड जमा करने वैशाली नगर थाना पहुंचे पार्षद को पुलिस ने पुराने मामले का हवाला देते हुए गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। पुलिस की इस कार्रवाई काे चुनौती देते हुए पार्षद ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने पुलिस को निर्देशित किया है कि याचिकाकर्ता पार्षद को 24 घंटे के भीतर रिहा किया जाए। याचिका की अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 24 मार्च की तिथि तय कर दी है।

भिलाई वैशाली नगर थाने में 21 मार्च 2023 को कश्मा यादव ने भादवि की धारा 420 और 34 के तहत एन. धनराजू और अरविंद के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराया था। इसी मामले में भाजपा पार्षद संतोष उर्फ जालंधर सिंह को पुलिस ने आरोपी बनाया था। मामले को लेकर एन. धनराजू ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने जांच में लेटलतीफी को लेकर डीजीपी और दुर्ग एसपी को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया था।

हाई कोर्ट के निर्देश पर दुर्ग एसपी ने शपथपत्र पेश करते हुए प्रकरण और जांच के संबंध में जानकारी पेश की थी। मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने जवाब को संतोषजनक ना मानते हुए नाराजगी जताई थी। नाराज कोर्ट ने डीजीपी को रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था। डीजीपी ने शपथ पत्र पेश कर बताया कि जांच में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। डीजीपी के जवाब के बाद हाई कोर्ट ने जांच छह सप्ताह में जांच पूरी करने का निर्देश देते हुए याचिका को निराकृत कर दिया था।

0 पुलिस कार्रवाई को लेकर हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि जिस मामले में याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी की गई, वह 2017 का है। 8 साल बाद मामले को सामने लाया जा रहा है। जांच में गड़बड़ी करने वाले अधिकारी को डीजीपी ने दंडित किया है। याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हुई। मामले की सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने वैशालीनगर पुलिस की कार्रवाई को लेकर नाराजगी जताई। कोर्ट ने 24 घंटे के भीतर याचिकाकर्ता को रिहा करने का निर्देश दिया है। डिवीजन बेंच ने आदेश की कापी डीजीपी और जिला जज दुर्ग को भेजने का निर्देश दिया।

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