Begin typing your search above and press return to search.

Bilaspur High Court: करंट से दो मासूम की मौत, छुट्टी के दिन खुला हाई कोर्ट: डिवीजन बेंच ने चीफ सिकरेट्री से मांगा जवाब

Bilaspur High Court: करंट से दो मासूमों की मौत की घटना को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने गम्भीरता से लेते हुए अवकाश के दिन हाई कोर्ट में सुनवाई की।पीआईएल सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने चीफ सिकरेट्री को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

Bilaspur High Court: करंट से दो मासूम की मौत, छुट्टी के दिन खुला हाई कोर्ट: डिवीजन बेंच ने चीफ सिकरेट्री से मांगा जवाब
X
By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court: बिलासपुर। करंट से दो मासूमों की मौत की गम्भीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है छुट्टी के दिन हाई कोर्ट खुला। जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू हुई। पीआईएल की सुनवाई करते हुये डिवीजन बेंच ने चीफ सिकरेट्री को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने ऐसी घटनाओं को रोकने रोडमैप बनाने का निर्देश दिया है। पीआईएल की अगली सुनवाई के लिए वेंच ने 22 सितंबर की तिथि तय कर दी है।

गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले के करगीकला गांव में 6 साल के बच्चे की खेत के पास खेलते हुए करंट लगने से मौत हो गई थी। दूसरी घटनाकोंडागांव जिले की है। ढाई साल की बच्ची महेश्वरी यादव की करंट की चपेट में आने से जान चली गई थी। दोनो दर्दनाक घटनाओं को हाई कोर्ट ने गंभीर मानते हुए छुट्टी के दिन सुनवाई की।

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा वजस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने दोनों घटनाओं को गंभीर लापरवाही मानते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है। बेंच ने चीफ सिकरेट्री को नोटिस जारी कर व्यक्तिगत शपथ पत्र के साथ जवाब देने कहा है।

डिवीजन बेंच ने साफ कहा कि केवल कर्मचारियों को निलंबित करना पर्याप्त नहीं है। भविष्य में इस तरह की घटनाएं के रोकथाम के लिए ठोस कार्ययोजना व नीति बनाई जाए। बेंच ने यह भी पूछा कि मृत बच्चों के परिजनों को अब तक क्या मुआवजा दिया गया है या नही।

हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य में खेतों में बाड़ पर बिजली का करंट लगाने की घटनाएं भी लगातार सामने आ रही हैं, जिससे इंसान के अलावा पशु और वन्यजीवों की मौतें हो रही हैं। बरसात के मौसम में यह और भी खतरनाक हो जाता है। पानी भरने से पूरा इलाका करंट की चपेट में आ सकता है।

हाई कोर्ट की नाराजगी के बाद सरकार का एक्शन

हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई के बाद महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर मामले की जानकारी दी।

इसके कुछ घंटों के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग के संचालक पीएस एल्मा ने सभी जिलों के कलेक्टर और महिला बाल विकास अधिकारियों को चिट्ठी लिखी। आंगनबाड़ी केन्द्रों में 3 से 6 वर्ष तक के छोटे बच्चे रोजाना आते हैं। माता-पिता उन्हें सुरक्षित मानकर भेजते हैं, लेकिन इस तरह की लापरवाही बच्चों की जान पर भारी पड़ सकती है। इसलिए विभागीय अधिकारियों, कार्यकर्ता, सहायिका, पर्यवेक्षक, परियोजना अधिकारी और जिला कार्यक्रम अधिकारी का यह दायित्व है कि वे अपने-अपने क्षेत्र में सभी केंद्रों का गहन निरीक्षण करें और सुरक्षा की पूरी गारंटी दें।

Next Story