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Bilaspur High Court: दुर्घटना दावा: हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: दुर्घटना से पहले बीमा पॉलिसी रद्द तो.......

Bilaspur High Court: दुर्घटना दावा को लेकर दायर याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि यदि दुर्घटना से पहले बीमा पॉलिसी रद्द होने की सूचना बीमाधारक को मिल चुकी हो, तो बीमा कंपनी तीसरे पक्ष को मुआवजा देने के दायित्व से मुक्त मानी जाएगी।

Bilaspur High Court: दुर्घटना दावा: हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: दुर्घटना से पहले बीमा पॉलिसी रद्द तो.......
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court: बिलासपुर। दुर्घटना दावा को लेकर दायर याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि यदि दुर्घटना से पहले बीमा पॉलिसी रद्द होने की सूचना बीमाधारक को मिल चुकी हो, तो बीमा कंपनी तीसरे पक्ष को मुआवजा देने के दायित्व से मुक्त मानी जाएगी। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने दावा की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है।

मोटर दुर्घटना दावा अपील में हाई कोर्ट ने अहम फैसले में बीमा कंपनी को मुआवजा देने की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि दुर्घटना से पहले ही बीमा पॉलिसी रद्द की जा चुकी थी और इसकी सूचना वाहन मालिक को दे दी गई थी, ऐसे में पे एंड रिकवर का सिद्धांत लागू नहीं होगा।

कोरिया जिले में रहने वाले सुहावन सिंह की 14 अप्रैल 2019 को सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। जांच पड़ताल के दौरान पता चला कि गाड़ी बिलासपुर जिले के रतनपुर निवासी इंतेजार खान की थी।।उसने गाड़ी का ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी से बीमा कराया था। बीमा कंपनी ने दो महीने पहले ही पालिसी को रद्द कर दिया था। बीमा कंपनी ने इसकी जानकारी वाहन मालिक को दे दी थी।

बीमा की अवधि समाप्त होने के कारण मोटर दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल ने बीमा कंपनी को मुआवजा राशि देने से मुक्त कर दिया था। ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ पतंगो बाई और अन्य ने सड़क दुर्घटना में मृत सुहावन सिंह की मौत के लिए मुआवजे की मांग करते हुए हाई कोर्ट में दायर की थी। याचिकाकर्ताओ ने ओरिएंटल इंश्योरेंस और वाहन मालिक इंतेजार खान को पक्षकार बनाया था।

बीमा कंपनी ने बताया कि प्रीमियम की राशि जमा ना करने के कारण पॉलिसी 7 फरवरी 2019 को रद्द कर दी गई थी। इसकी जानकारी 11-12 फरवरी 2019 को वाहन मालिक व आरटीओ को दे दी थी। 14 अप्रैल 2019 को दुर्घटना के समय बीमा पॉलिसी प्रभावी ही नहीं थी। बीमा पॉलिसी की अवधि समाप्त हो चुकी थी, ऐसे में बीमा कंपनी पर जिम्मेदारी नहीं डाली जा सकती। कंपनी के तकों से सहमति जताते हुए हाई कोर्ट ने कंपनी को जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया।

हाई कोर्ट ने कहा, पॉलिसी प्रभावी नहीं होने से कंपनी जवाबदेह नहीं

हाई कोर्ट ने ट्रिब्यूनल के निर्णय को सही ठहराते हुए याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि बीमा पॉलिसी प्रभावी नहीं होने के कारण बीमा कंपनी को जवाबदेह नहीं माना जा सकता। हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि यदि दुर्घटना से पहले बीमा पॉलिसी रद्द होने की सूचना बीमाधारक को मिल चुकी हो, तो बीमा कंपनी तीसरे पक्ष को मुआवजा देने के दायित्व से मुक्त मानी जाएगी।

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