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Bilaspur High Court: 17 साल बाद मिला कर्मचारी को न्याय, डीपी विप्र कॉलेज की याचिका को हाई कोर्ट ने किया खारिज

Bilaspur High Court: डीपी विप्र कॉलेज प्रबंधन ने बुक कीपर के पद पर कार्यरत अरुण कश्यप को बर्खास्त कर दिया था। हाई कोर्ट ने काकेज प्रबंधन की याचिका के साथ ही आफ़र्श को रद्द कर दिया है। 17 साल बाद कर्मचारी को न्याय मिल।

Bilaspur High Court: 17 साल बाद मिला कर्मचारी को न्याय, डीपी विप्र कॉलेज की याचिका को हाई कोर्ट ने किया खारिज
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By Radhakishan Sharma

बिलासपुर। डीपी विप्र कॉलेज में बुक कीपर के रूप में कार्यरत अरुण कश्यप को 17 साल बाद न्याय मिला। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने कॉलेज प्रबंधन की अपील खारिज कर दी है।

डीपी विप्र कॉलेज कॉलेज में अरुण कुमार कश्यप बुक कीपर के रूप में कार्यरत थे । याचिकाकर्ता डीपी विप्र कॉलेज द्वारा 2.फरवरी 2008 के आदेश से अरुण कुमार की सेवाएँ समाप्त कर दी थी। उक्त आदेश के खिलाफ अरुण कुमार ने मध्य प्रदेश शासकीय शिक्षा संस्थान अधिनियम, 1978 ( अधिनियम, 1978) के प्रासंगिक प्रावधानों के अंतर्गत आयुक्त, उच्च शिक्षा निदेशालय, रायपुर के समक्ष अपील प्रस्तुत की थी। मामले की सुनवाई के बाद अपीलीय प्राधिकारी ने अपील स्वीकार कर ली और डीपी विप्र कालेज द्वारा बर्खास्तगी आदेश को रद्द कर दिया। इस आदेश के खिलाफ कॉलेज प्रबंधन ने हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी।

निर्धारित प्रक्रिया का पालन जरूरी

याचिकाकर्ता डीपी विप्र कालेज की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता ने कहा कि अपीलीय प्राधिकारी के आदेश दो आधारों पर रद्द किए जाने योग्य है। आदेश पारित करने से पहले याचिकाकर्ता को सुनवाई का कोई अवसर नहीं दिया गया। यह आदेश गैर-वाक्यांशिक आदेश है। अरुण कुमार कश्यप के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि अधिनियम, 1978 की धारा 6(क)(3) के अनुसार, याचिकाकर्ता के संस्थान के किसी शिक्षक या कर्मचारी को केवल निर्धारित प्रक्रिया का पालन करके ही हटाया या बर्खास्त किया जा सकता है।

उक्त प्रक्रिया मध्य प्रदेश राजकीय शिक्षण संस्थान अध्यापक तथा अन्य कर्मचारी पदच्युत एवं सेवा से हटाने संबंधी प्रक्रिया नियम, 1983 में निर्धारित है। कालेज प्रबन्धन ने 1983 के नियमों के अनिवार्य प्रावधानों का पालन करने में विफल रहा है, जिससे सेवा समाप्ति का आदेश अस्थिर हो गया है। इसलिए, अपीलीय प्राधिकारी ने सेवा समाप्ति आदेश को उचित रूप से रद्द कर दिया है।

रिट याचिका, योग्यताहीन

याचिका की सुनवाई के बाद जस्टिस सचिन सिंह राजपूत ने कहा कि, "किसी भी शिक्षक या अन्य कर्मचारी को सेवा से बर्खास्त या हटाया नहीं जाएगा या उसकी सेवाएँ निर्धारित प्रक्रिया का पालन करने के पश्चात पारित आदेश के अलावा समाप्त नहीं की जाएगी। कोई शिक्षक या अन्य कर्मचारी अपनी बर्खास्तगी, सेवा से हटाए जाने या सेवा समाप्ति के विरुद्ध राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना द्वारा निर्दिष्ट अपीलीय प्राधिकारी को आदेश प्राप्त होने की तिथि से 30 दिनों के भीतर अपील कर सकता है और ऐसा प्राधिकारी निर्धारित तरीके से उचित समझे जाने वाली जाँच करने के पश्चात उक्त आदेश को या तो रद्द कर सकता है, उसकी पुष्टि कर सकता है या उसमें संशोधन कर सकता है। ।इस टिप्पणी के साथ है6 कोर्ट ने रिट याचिका को खारिज कर दिया है।

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