Bilaspur High Court: दिव्यांग आरक्षण: हाई कोर्ट ने कहा- श्रेणी तय करना सरकार व नियुक्तिकर्ता प्राधिकारी का है विशेषाधिकार
Bilaspur High Court: दिव्यांग आरक्षण को लेकर बिलासपुर हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। डिवीजन बेंच का कहना है दिव्यांगजनों के लिए श्रेणी तय करने से लेकर नियुक्ति का अधिकारी राज्य सरकार या नियुक्तिकर्ता प्राधिकारी का विशेषाधिकार है। याचिकाकर्ता कॉमर्स फैकल्टी में असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए रिटर्न टेस्ट पास करने के बाद इंटरव्यू क्वालीफाई किया था। इंटरव्यू से बाहर होने के बाद याचिका दायर की थी। डिवीजन बेंच ने याचिका को खारिज करते हुए महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है।

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Bilaspur High Court: बिलासपुर। हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच के फैसले से राज्य सरकार और सीजीपीएससी को राहत मिली है। दिव्यांग कैटेगरी से युवक ने सीजीपीएससी के माध्यम से कॉमर्स फैकल्टी में असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए रिटर्न टेस्ट पास किया था। रिटर्न टेस्ट के बाद सीजीपीएससी ने इंटरव्यू काॅल किया था। इंटरव्यू से बाहर होने के बाद याचिका दायर की थी। बेंच ने अपने फैसले में कहा कि दिव्यांगजन श्रेणी में नियुक्ति देने का अधिकार राज्य सरकार को है।
सहायक प्राध्यापक भर्ती में दृष्टिहीन व कम दृष्टि वाले उम्मीदवारों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में हुई। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने कहा कि किस पद के लिए और किस कैटेगरी के दिव्यांग को नियुक्ति देनी है यह नियोक्ता बेहतर ढंग से तय करता है। बेंच ने यह भी कहा कि चयन प्रक्रिया पूरी होने की स्थिति में असफल होने की स्थिति में कोई उम्मीदवार रोस्टर या आरक्षण प्रक्रिया को चुनौती नहीं दे सकता। इस महत्वपूर्ण व्यवस्था के साथ डिवीजन बेंच ने याचिका को खारिज कर दिया है।
सीजीपीएससी ने असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती के लिए जारी किया था विज्ञापन
सीजीपीएससी ने वर्ष 2019 में सहायक प्राध्यापक के 1384 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। अन्य विषयों के साथ ही वाणिज्य विषय के लिए 184 पद जारी किया था। ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तारीख 5 मार्च 2019 तय की गई थी। 23 फरवरी 2019 को आयोग ने एक शुद्धिपत्र जारी कर शारीरिक रूप से दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए पदों की संख्या में संशोधन कर दिया।
याचिकाकर्ता ने कहा, दृष्टिहीनों को दो फीसदी आरक्षण का है प्रावधान
रायगढ़ निवासी सरोज क्षेमनिधि ने नवंबर 2020 में आयोजित लिखित परीक्षा पास की। रिटर्न टेस्ट क्लीयर करने के बाद इंटरव्यू के लिए काल किया। अंतिम चयन सूची में उनका नाम नहीं आया। हाई कोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि सीजीपीएससी ने कॉमर्स विषय में दृष्टिहीन और अल्प दृष्टि वाले अभ्यर्थियों को 2 प्रतिशत आरक्षण उपलब्ध का प्रावधान किया था। प्रावधान के अनुसार सीजीपीएससी ने सुविधा का लाभ नहीं दिया। याचिकाकर्ता ने कॉमर्स में असिस्टेंट प्रोफेसर के बैकलॉग पदों पर दृष्टिहीन और अल्प दृष्टिहीन उम्मीदवारों के लिए आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए शुद्धिपत्र जारी करने की मांग की। याचिकाकर्ता ने इस कैटेगर के लिए आरक्षित किए गए पदों पर भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने डिवीजन बेंच को बताया कि कॉमर्स विषय के 1384 पदों में से 2 प्रतिशत आरक्षण दृष्टिहीन व अल्प दृष्टि वाले अभ्यर्थियों को दिया जाना था, लेकिन सीजीपीएससी ने ऐसा नहीं किया। याचिकाकर्ता ने दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 का हवाला देते हुए कहा कि यह दिव्यांजन अधिकार अधिनियम का सीधेतौर पर उल्लंघन है।
विज्ञान व कॉमर्स विषय में व्यवहारिक दिक्कतें, आरक्षण का लाभ देना संभव ही नहीं
राज्य सरकार की ओर से पैरवी करते हुए एडवोकेट जनरल आफिस के अफसरों ने डिवीजन बेंच के समक्ष पैरवी करते हुए कहा कि आटर्स फैकल्टी में दृष्टिबाधित उम्मीदवारों के लिए पद रिर्जव रखा गया है। कॉमर्स और साइंस जैसे फैकल्टी में व्यवहारिक रूप से यह संभव नहीं है।
