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Bilaspur High Court: कलेक्टर ने हाई कोर्ट को बताया कि गलत इंजेक्शन से गर्भवती महिला का नहीं हुआ था अर्बाशन..... इसके पीछे ये था कारण

Bilaspur High Court: पेट दर्द का इलाज कराने परिजनों के साथ सिम्स पहुंची गर्भवती महिला का इलाज के दौरान अस्पताल में ही अर्बाशन हो गया था। तब परिजनों ने सिम्स के चिकित्सकीय स्टाफ पर गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप लगाते हुए हंगामा मचाया था। मीडिया रिपोर्ट को बिलासपुर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने संज्ञान लेते हुए पीआईएल के रूप में सुनवाई प्रारंभ की है। डिवीजन बेंच के निर्देश पर कलेक्टर ने कमेटी की रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंप दी है। इसमें अर्बाशन का कारण गलत इंजेक्शन को नहीं बताया है।

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Bilaspur High Court

By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court:·– बिलासपुर। सिम्स में पेट दर्द का इलाज कराने आई गर्भवती महिला को इंजेक्शन देने के कुछ देर बाद अस्पताल में ही अर्बाशन हो गया था। तब परिजनों ने सिम्स के चिकित्सकों पर गलत इंजेक्शन देने का आरोप लगाते हुए हंगामा मचाया था। हाई कोर्ट के निर्देश के बाद कलेक्टर ने मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम गठित की थी। जांच के बाद कमेटी ने अपनी रिपोर्ट कलेक्टर को सौंप दी है

सोमवार को कलेक्टर अवनीश शरण ने कमेटी की रिपोर्ट डिवीजन बेंच में पेश कर दी है। अर्बाशन का कारण गलत इंजेक्शन के बजाय गर्भवती महिला को पूर्व से ही कई चिकित्सकीय जटिलताओं का कारण बताया गया है।

डिवीजन बेंच को सौंपे रिपोर्ट में कलेक्टर ने बताया है कि गर्भपात का कारण गलत इंजेक्शन नहीं है। महिला को पूर्व से ही कई शारीरिक जटिलताएं थी। ईलाज के दौरान सभी प्रोटोकॉल का पालन किया गया था और गर्भपात की प्रक्रिया जानबूझकर नहीं की गई थी।

कोटा थाना क्षेत्र के करगीखुर्द निवासी गर्भवती महिला को पेट में दर्द होने की शिकायत पर सिम्स में भर्ती कराया गया था। कोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में महिला को दर्द निवारक इंजेक्शन व कुछ दवा देकर सिम्स भेजा गया था। रेफर पर्ची में गंभीर पेट दर्द लिखा गया था। इसके बाद उसे सिम्स लाकर भर्ती कराया गया था। सिम्स प्रबंधन ने अत्यधिक रक्त स्त्राव होने के कारण गर्भपात होने की बात कही। कोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की एक पर्ची भी लगाई गई, जिसमें कोटा में उपचार और रेफरल पर्ची में महिला को दी गई दवा के साथ पेट दर्द व रक्त स्त्राव होने की बात लिखी थी।

चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने कलेक्टर की ओर से गठित चार सदस्यीय जांच टीम की रिपोर्ट प्रस्तुत की। रिपोर्ट में बताया गया है कि कोटा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से गर्भवती महिला को सिम्स रेफर किया गया था। सिम्स में इलाज के दौरान सभी चिकित्सकीय प्रोटोकॉल का पालन किया गया था। महिला को पूर्व से ही कई चिकित्सकीय जटिलताएं थीं। जानबूझकर गर्भपात नहीं किया गया है। गर्भपात का कारण कोई दवा या इंजेक्शन नहीं बल्कि स्वास्थ्य संबंधी पूर्व स्थितियां थी।

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