Bilaspur High Court: चर्चोें और प्रार्थना सभा हाल में गैर ईसाईयों पर प्रशासन लगा रहा प्रतिबंध, यूनाइटेड क्रिश्चियन काउंसिल ने हाई कोर्ट में कहा...
Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में यूनाइटेड क्रिश्चियन काउंसिल ने याचिका दायर कर शिकायत दर्ज कराई है कि छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में चर्चों और प्रार्थना सभा हालों में गैर ईसाई व्यक्तियों के प्रवेश पर प्रशासन द्वारा प्रतिबंध लगाया जा रहा है। प्रार्थना में पहुंचने वालों के नामों की सूची बनाने और रजिस्टर मेंटेन करने का दबाव बनाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने दुर्ग जिला मजिस्ट्रेट को कुछ इस तरह का निर्देश जारी किया है। पढ़िए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने दुर्ग जिला मजिस्ट्रेट को क्या आदेश जारी किया है।
Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में यूनाइटेड क्रिश्चियन काउंसिल ने याचिका दायर कर शिकायत दर्ज कराई है कि छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में चर्चों और प्रार्थना सभा हालों में गैर ईसाई व्यक्तियों के प्रवेश पर प्रशासन द्वारा प्रतिबंध लगाया जा रहा है। प्रार्थना में पहुंचने वालों के नामों की सूची बनाने और रजिस्टर मेंटेन करने का दबाव बनाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने दुर्ग जिला मजिस्ट्रेट को कुछ इस तरह का निर्देश जारी किया है। पढ़िए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने दुर्ग जिला मजिस्ट्रेट को क्या आदेश जारी किया है।
याचिकाकर्ता यूनाइटेड क्रिश्चियन काउंसिल एक पंजीकृत संगठन है। काउंसिल ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में संचालित चर्चों व प्रार्थना सभा हाल में गैर ईसाईयों के प्रवेश पर जिला प्रशासन ने प्रतिबंध लगा दिया है। यपचिकाकर्ता काउंसिल ने यह भी शिकायत की है कि राज्य सरकार ने अपने अधिकारियों को मौखिक निर्देश जारी कर दिया है। जिसमें चर्चों और प्रार्थना सभा हॉलों में गैर-ईसाई व्यक्तियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के अलावा निजी भूमि पर बने मौजूदा चर्चों और प्रार्थना सभा हॉलों में प्रार्थना सभाओं पर सीमाएं, और किराए के चर्च और प्रार्थना सभा हॉलों में प्रार्थना सभाओं पर प्रतिबंध शामिल हैं।
0 याचिकाकर्ता काउंसिल का एक आरोप यह भी
याचिकाकर्ता काउंसिल ने अपनी याचिका में यह भी आरोप लगाया है कि प्रशासन ईसाई अल्पसंख्यक संस्थानों से कह रहा है कि चर्चों और प्रार्थना सभा हालों में आने वाले व्यक्तियों का रिकॉर्ड रखा जाए। कौन-कौन से दिन कौन-कौन व्यक्ति प्रार्थना सभा में शामिल हो रहे हैं उसकी पूरी जानकारी रखने कहा जा रहा है। इसके लिए रजिस्टर मेंटेन करने की बात भी कही जा रही है। इसके लिए एक तरह से दबाव बनाने का काम किया जा रहा है।
0 डिवीजन बेंच ने कुछ इस तरह जारी किया निर्देश
मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच में हुई। सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने पाया कि जिला मजिस्ट्रेट, दुर्ग ने याचिकाकर्ता द्वारा र 8 अप्रैल, 2024 और 5 अगस्त, 2024 को प्रस्तुत अभ्यावेदन पर आजतलक निर्णय नहीं लिया है। हाई कोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेट दुर्ग को निर्देश जारी करते हुए कहा कि डिवीजन बेंच के आदेश की प्राप्ति के चार सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता द्वारा पूर्व में पेश किए गए अभ्यावेदन पर विचार करें और निर्णय लें। इस आदेश के साथ डिवीजन बेंच ने यूनाइटेड क्रिश्चियन काउंसिल की याचिका का निपटारा कर दिया है।
0 अब क्या होगा
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के आदेश से यह साफ हो गया है कि याचिकाकर्ता काउंसिल की शिकायतों का निपटारा जिला मजिस्ट्रेट दुर्ग करेंगे।
0 धर्मांतरण रोकने, किस राज्य में कौन सा कानून
0 ओडिशा: पहला राज्य,जहां वर्ष 1967 में कानून लागू। अधिकतम दो वर्ष की जेल और अधिकतम 10 हजार रुपये तक जुर्माना तय किया गया।
0 मध्यप्रदेश: वर्ष 1968 में मतांतरण पर कानून बनाने वाला दूसरा राज्य बना। वर्ष 2020 में शिवराज सरकार ने कानून में संशोधन किया। अधिकतम 10 वर्ष की कैद और एक लाख तक के जुर्माने का प्रावधान।
0 झारखंड: वर्ष 2017 में कानून बना। अधिकतम एक लाख रुपये जुर्माना व चार वर्ष की सजा।
0 उत्तराखंड: वर्ष 2018 में कानून बना। 10 वर्ष की जेल व 50 हजार के जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
0 उत्तर प्रदेश : 27 नवंबर, 2020 को ‘उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध कानून’ लागू। दोषी व्यक्ति को 10 वर्ष की जेल।
0 कर्नाटक: 30 सितंबर, 2022 को कर्नाटक धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण अधिनियम-2022 लागू। कानून का उल्लंघन करने वाले को 3 से 10 साल की जेल का प्रावधान है।
0 उत्तर प्रदेश: 27 नवंबर, 2020 को उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध कानून लागू। दोषी व्यक्ति को 10 वर्ष की जेल।