Begin typing your search above and press return to search.

Bilaspur High Court: चीफ जस्टिस को क्यों बोलना पड़ा, फ्री की योजनाओं के बाद भी लोगों को सुविधाएं क्यों नहीं मिल रही...

Bilaspur High Court- बिलासपुर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की नाराजगी उस वक्त सामने आई जब पीड़ितों को समय पर सुविधाएं मुहैया नहीं कराई गई। नाराज चीफ जस्टिस ने छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारियों से पूछा कि राज्य सरकार जब फ्री की योजनाएं चला रही है तो उसका सही ढंग से क्रियान्वयन क्यों नहीं हो पा रहा है। जिनके लिए मुफ्त की योजनाएं और सुविधाएं दी जा रही है समय पर उनको सुविधा क्यों नहीं मिल पा रही है। नाराज चीफ जस्टिस ने हेल्थ सिकरेट्री और SECR के डीआरएम को नोटिस जारी कर शपथ पत्र के साथ पूरी जानकारी पेश करने का निर्देश दिया है।

Bilaspur High Court: चीफ जस्टिस को क्यों बोलना पड़ा, फ्री की योजनाओं के बाद भी लोगों को सुविधाएं क्यों नहीं मिल रही...
X
By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court-बिलासपुर। दो अमानवीय घटनाओं को लेकर बिलासपुर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने सिस्टम को लेकर बड़ा सवाल खड़ा किया है। नाराज चीफ जस्टिस ने हेल्थ सिकरेट्री और SECR के डीआरएम को नोटिस जारी कर शपथ पत्र के साथ पूरी जानकारी पेश करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान पूछा कि जब छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा फ्री की योजनाएं चलाई जा रही है तो उन लोगों को समय पर योजनाओं का लाभ क्यों नहीं मिल पा रहा है। यह किसका फैल्युअर है और लापरवाही के लिए जिम्मेदार कौन है। SECR के बिलासपुर रेलवे स्टेशन में कैंसर पीड़ित मरीज को एंबुलेंस नहीं मिल पाया। जब आया तब तक देर हो चुकी है। इसमें भी अमानवीय स्थिति ये कि एंबुलेंस के ड्राइवर ने डेडबाडी को लेकर जाने से साफ इंकार कर दिया।

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस अरविंद वर्मा की डिवीजन बेंच में पीआईएल की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने राज्य शासन से पूछा कि व्यवस्था में सुधार और लोगों को समय पर सुविधाएं मुहैया कराने के लिए क्या काम किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार आम लोगों को राहत मिले इसलिए फ्री की योजनाओं का संचालन कर रही है। सिस्टम ऐसा है कि लोगों को फ्री सुविधाओं का जरुरत के समय लाभ नहीं मिल पा रहा है। नाराज सीजे ने हेल्थ सिकरेट्री से यह भी पूछा है कि आपातकालीन स्थिति में जरुरतमंदों को एंबुलेंस की सुविधा क्यों नहीं मिल पा रही है। दंतेवाड़ा में समय पर एंबुलेंस की उपलब्धता ना होने के कारण एक मरीज की मौत हो गई थी। बिलासपुर रेलवे स्टेशन में तो अमानवीय घटना घटी। कैंसर पीड़ित महिला के डेड बाडी को ले जाने से एंबुलेंस के ड्राइवर ने साफतौर पर इंकार कर दिया था।

0 इन दो घटनाओं ने चीफ जस्टिस की बढ़ाई नाराजगी

मध्यप्रदेश के बुढ़ार की कैंसर पीड़ित महिला परिजनों के साथ रायपुर से ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस से बिलासपुर के लिए रवाना हुई थी। बिलासपुर पहुंचने से पहले ही रास्ते में उनकी तबियत बिगड़ गई। परिजनों ने इसकी सूचना रेल कर्मचारियों को दी। कुलियों ने स्ट्रेचर के जरिए महिला को कोच से निकालकर उसे गेट के बाहर छोड़ दिया। परिजनों के सूचना के बाद भी तकरीबन एक घंटे बाद एंबुलेंस आई, तब तक महिला की मौत हो गई थी। एंबुलेंस के ड्राइवर ने शव को ले जाने से इंकार कर दिया। परिजनों ने दूसरे वाहन की व्यवस्था कर बुढ़ार के लिए रवाना हुए। एक घटना बस्तर में घटी। दंतेवाड़ा जिले के गीदम में एंबुलेंस समय पर ना पहुंचने और इलाज में विलंब के चलते मरीज की मौत हो गई।

0 कोर्ट ने कहा, रेलवे के पास संसाधनों की कमी ना होने के बाद बनी ऐसी स्थिति

सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने रेलवे प्रशासन के कामकाज को लेकर नाराजगी जताई। डिवीजन बेंच ने कहा कि रेलवे के पास अपना खुद का अस्पताल है। इसके बाद कैंसर मरीज को इलाज के लिए समय पर एंबुलेंस उपलब्ध नहीं करा पाना सिस्टम का फैल्युअर है। नाराज कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार फ्री की सुविधाएं उपलब्ध करा रही है उसके बाद जरुरतमंदाें को समय पर सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। यह तो हेल्थ डिपार्ट की गंभीर लापरवाही है।

Next Story