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Bilaspur High Court: हाई कोर्ट के सेक्शन अफसर निलंबित, हाई कोर्ट परिसर में अशोभनीय हरकत का आरोप, देखिए आदेश

Bilaspur High Court: हाईकोर्ट परिसर में अशोभनीय गतिविधियां एवं अनुशासनहीनता के आरोप में रजिस्ट्रार जनरल छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट बिलासपुर द्वारा प्रमोद पाठक को सेवा से निलंबित किया गया।

Bilaspur High Court: हाई कोर्ट के सेक्शन अफसर निलंबित, हाई कोर्ट परिसर में अशोभनीय हरकत का आरोप, देखिए आदेश
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट कर्मचारी संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सेक्शन आफीसर प्रमोद पाठक द्वारा हाईकोर्ट परिसर में अशोभनीय गतिविधियां एवं अनुशासनहीनता के आरोप में रजिस्ट्रार जनरल छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट बिलासपुर द्वारा प्रमोद पाठक को सेवा से निलंबित किया गया।


न्यायालयीन कर्मचारियों की मांग को लेकर हड़ताल की घोषणा करने के नाम अनुशासनहीनता करने वाले सेक्शन अफसर को निलंबन की सजा मिली है। मंगलवार को ही छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट अधिकारी कर्मचारी संघ की हड़ताल का पटाक्षेप ही गया था। अफसरों के आश्वासन के बाद भी पाठक ने धरना को लेकर भ्रम फैलाने की कोशिश की। कर्मचारी संघ के अध्यक्ष पाठक का दावा झूठ निकल गया है। मंगलवार को रात में कोर्ट परिसर में पुलिस के जवानों के अलावा कोई और नजर नही आया था।

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट अधिकारी कर्मचारी संघ के 20 सूत्रीय मांग के संबंध में संघ के पदाधिकारी व रजिस्ट्रार जनरल कार्यालय के अधिकारियों की बैठक हुई। बैठक में मांगों के संंबंध में विस्तार से चर्चा हुई। रजिस्ट्रार जनरल,रजिस्ट्रार जनरल ज्यूडिशयल सहित अफसरों ने मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया। इसके साथ ही मामले का पटाक्षेप हो गया है। संघ के अध्यक्ष प्रमोद पाठक की वह बात झूठी निकली जिसमें उन्होंने हाई कोर्ट परिसर के भीतर स्थिति गांधी प्रतिमा के सामने बैठने का दावा किया था। NPG ने जब इस संबंध में पड़ताल की तब हाई कोर्ट कैम्पस के भीतर पुलिस के जवान तैनात थे। रात्रिकालीन ड्यूटी करने वाले अफसरों के अलावा जवान नजर आए। परिसर के भीतर किसी तरह की और कोई गतिविधि नजर नहीं आई। कर्मचारी संघ के मांग के सिलसिले में शाम को बैठक हुई। बैठक के बाद से ही अध्यक्ष पाठक हाई कोर्ट परिसर से बाहर चले गए थे। जानकारी के अनुसार पूरे मामले का पटाक्षेप हो गया है। कहीं कोई विवाद की स्थिति नहीं है।

ये है प्रमुख मांग

जस्टिस राकेश मोहन पाण्डेय की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में उच्च न्यायालय छग के अधिकारियों/कर्मचारियों को देय वेतनमान देने की अनुशंसा के साथ अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। उसे राज्य शासन को भेजे गये लगभग 14 माह हो गये है, जिस पर अभी तक निर्णय नहीं लिया गया है। इसे अनंत काल तक लंबित नहीं रखा जा सकता।

उच्च न्यायालय के अधिकारीयों/कर्मचारियों हेतु सस्ते दर पर आवासीय भूमि आबंटन किये जाने के संबंध में आवेदन दिये लगभग 05 वर्ष से अधिक हो गया है। आज निर्णय नहीं लिया गया है।

उच्च न्यायालय में कार्यरत् समस्त अधिकारीयों/कर्मचारियों हेतु कैसलेस चिकित्सकीय उपचार की सुविधा का लाभ दिये जाने से संबंधित आवेदन आज भी लंबित है।

उच्च न्यायालय के शाखाओं में चतुर्थ श्रेणी/तृतीय श्रेणी कर्मचारियों की नितांत कमी है। इस ओर कई बार ध्यान आकृष्ट किया गया किन्तु समस्या जस का तस है। इस वर्ग में अधिक संख्या में नियमित भर्ती की आवश्यकता हैं।

न्यायालय में कार्यरत् वाहन चालक की ड्यूटी अवधि 08 घंटे किये जाने की आवश्यकता है, ताकि वे अपने परिवार को भी समय दे सकें। इस समस्या के समाधान हेतु वाहन चालकों की अधिक संख्या में भर्ती कर उनका ड्यूटी अवर निर्धारित किया जा सकें।

संघ द्वारा दिये गये विभिन्न आवेदनों को बिना किसी के कारण नस्तीबद्ध कर दिया जाता है। किस कारण से आवेदन को निरस्त किया जाता है उसका स्पष्ट लेखा किया जाना चाहिये।

व्यवस्था के नाम पर किसी का 20 वर्षों में एक भी स्थानांतरण न करना वहीं दूसरी ओर व्यवस्था के नाम पर 20 वर्षों में 20 बार स्थानांतरण करना यह इस लिये हो रहा है कि कही कोई स्थानांतरण पालिसी नहीं है। संघ द्वारा इस संबंध में अनेकों आवेदन दिया गया है पर आज दिनांक तक स्थानांतरण पालिसी नहीं बनी है।

न्यायालय में कार्यरत समस्त अधिकारी/कर्मचारियों एवं बाहर से आने वालो के लिये मंत्रालय की तर्ज पर सस्ते दर पर भोजन / नास्ते की सुविधा स्वच्छ व साफ वातावरण में उपलब्ध कराया जायें।

न्यायालय में कार्यरत् अधिकारियों/कर्मचारियों के लिये परिवहन की कोई सुविधा नहीं है जैसा की ज्ञात हुआ था कि पुराने से नये उच्च न्यायाल भवन में सिफ्ट होने पर दूरी को ध्यान में रखते हुए राज्य शासन द्वारा 04 स्टाफ बस की अनुशंसा की गई थी किन परिस्थतियों में इस पर अमल नहीं हो पाया आज भी अज्ञात है। अतः 04 स्टाफ बस चलायें जाने की आवश्यकता है। ताकि समय पर सभी अधिकारी/कर्मचारी सुरक्षित तरीके से अपने कर्तव्य पर पहुंच सकें, मंत्रालय में ये सुविधा वहां पर कार्यरत् सभी के लिये उपलब्ध हैं।

अधिकारी/कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति पर होने वाले कार्यक्रम को रजिस्ट्री द्वारा करने हेतु फंड की व्यवस्था की जायें जिससे सम्मानपूर्वक सेवानिवृत्ति दी सकें। इस संबंध में संघ द्वारा दिया गया आवेदन आज भी लंबित रखा गया है। आवेदन दिये लगभग 2-3 वर्ष हो गये।

अधिकारी / कर्मचारियों की सेवानिवृत्त के अगले दिन ही प्रमोशन के हकदार को प्रमोशन का पत्र मिल जाना चाहिये रजिस्ट्री द्वारा ऐसी व्यवस्था को अपनाया जायें/अथवा किन्ही कारणों से नहीं होने पर पद रिक्त दिनांक से समस्त आर्थिक लाभ को प्राप्त करने का अधिकार है।

प्रमोशन के पद नये सृजित पद को 30 दिन से अधिक लंबित न रखा जायें एवं समस्त आर्थिक देयक का भुगतान पद रिक्त दिनांक एवं पद सृजित दिनांक से देय हो ऐसी व्यवस्था की जायें।

केन्द्रीय विद्यालय की स्थापना हेतु संघ द्वारा आवेदन दिया गया था, आवेदन समस्त अधिकारीयों / कर्मचारियों/ अधिवक्ता के बच्चें व स्थानीय बच्चों के हित को ध्यान में रखते हुए दिया गया था। जिस पर कार्यवाही न कर समस्त बच्चों के हित प्रभावित हुए है। यह समझ से परे है कि आवेदन पर कार्यवाही क्यों नहीं की गई।

उच्च न्यायालय से आये दिन दो पहिया वाहन की चोरी होती रहती है। जबकि उच्च न्यायालय परिसर सबसे सुरक्षित माना जाता है वहाँ से निरंतर चोरी होना समझ से परे है। साथ ही सुरक्षा व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगता है। जबकि परिसर में जगह-जगह पर कैमरा लगा है। सभी गेटों पर सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है।

निर्धारित अवधि से अधिक ड्यूटी लिये जाने पर ओवर टाईम दिया जायें जैसा की माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपना विचार रखा गया था।

न्यायालय परिसर में अधिकारीयों / कर्मचारियों हेतु एक भी वाहन स्टैण्ड नहीं है सारे वाहन स्टैण्ड केवल अधिवक्ताओं हेतु सुरक्षित रखा गया है, जैसा की वाहन स्टैण्ड बोर्ड में लिखा है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि माननीय न्यायालय में मंत्रालयीन कर्मचारी कार्यरत् ही नहीं है। पता नही PWD किस मानसिकता के साथ काम करता है। माननीय न्यायालय में कार्यरत् अधिकारीयों/कर्मचारियों के लिये पृथक से वाहन स्टैण्ड की व्यवस्था हो जैसा की अधिवक्ताओं के लिये किया गया है।

कार्यालय आते वक्त गेट नंबर-02 एवं 03 में अधिवक्ता एवं अधिकारी / कर्मचारियों का आये दिन दुर्घटनाएँ होते रहते है।

प्रायः यह देखा जाता है कि न्यायिक शाखाओं में कार्यरत् समस्त कर्मचारियों को देर रात तक रूक कर अपने कार्य का संपादन करना पड़ता है, उसका कारण यह है कि अगले दिन केस लगाये जाने का दिशानिर्देश प्रायः संध्या के 05:00 बजे के बाद ही दिया जाता है, जिस कारण महिला/पुरुष कर्मचारियों को दिक्कतों का सामना करना पडता है।

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