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Bilaspur High Court: हाई कोर्ट ने कहा: निजी संपत्ति के अधिग्रहण से पहले सीमांकन और मुआवजा का वितरण करना जरुरी, अगर ऐसा नहीं किया तो इसे माना जाएगा असंवैधानिक

Bilaspur High Court: सड़क चौड़ीकरण के तहत की जा रही नगर निगम की तोड़फोड़ कार्रवाई को लेकर हाई कोर्ट ने नगर निगम कमिश्नर को महत्वपूर्ण निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सड़क चौड़ीकरण से पहले सीमांकन करने व प्रभावितों को मुआवजा का वितरण किया जाए। बिना मुआवजा तोड़फोड़ की कार्रवाई को हाई कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया है।

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Bilaspur High Court

By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court: बिलासपुर. सड़क चौड़ीकरण के तहत की जा रही नगर निगम की तोड़फोड़ कार्रवाई को लेकर हाई कोर्ट ने नगर निगम बिलासपुर और संबंधित अधिकारियों को महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी भी संपत्ति को तोड़ने से पहले उसका विधिवत सीमांकन किया जाए। यदि निर्माण व सड़क विस्तार के लिए संपत्ति की आवश्यकता है, तो वैधानिक प्रावधानों के अनुरूप उचित मुआवजा याचिकाकर्ताओं को दिया जाए।

यह है मामला-

याचिकाकर्ता रौनक सलूजा, रीना सलूजा और वंशिका सलूजा ने हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया कि नगर निगम बिलासपुर ने 2 जून 2025 को जारी आदेश में उनके तीन मंजिला भवन और दुकानों को हटाने का निर्देश दिया है। जबकि वे उस भवन के स्वामी और वैध कब्जेदार हैं। निगम को नियमित रूप से संपत्ति कर और वाणिज्यिक कर का भुगतान कर रहे हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ पाण्डेय ने कोर्ट को बताया कि नगर निगम "प्रमुख डोमेन" के सिद्धांत के तहत सार्वजनिक हित में निजी भूमि का अधिग्रहण कर सकता है, किंतु उसके लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन आवश्यक है। जिसमें सीमांकन और उचित मुआवजे का प्रावधान शामिल है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं को तोड़फोड़ से पूर्व न तो नोटिस दिया गया और न ही मुआवजा।

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में ये लिखा

मामले की सुनवाई जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा के सिंगल बेंच में हुई। कोर्ट ने नगर निगम बिलासपुर के कमिश्नर एवं अन्य अधिकारियों को निर्देशित किया कि यदि याचिकाकर्ताओं की संपत्ति पर सड़क निर्माण किया जाना है तो उनकी उपस्थिति में पहले सीमांकन करें। सीमांकन के बाद कानून के अनुसार याचिकाकर्ताओं को मुआवजा दिया जाए। बिना मुआवजा दिए किसी भी निर्माण को तोड़ने की कार्रवाई जाती है तो यह अमान्य होगी। हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अनधिकृत रूप से किसी की संपत्ति को क्षति पहुंचाना संविधान और विधि के सिद्धांतों के विपरीत है। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि विधि सम्मत प्रक्रिया के तहत भूमि अधिग्रहण और मुआवजा सुनिश्चित किए बिना सड़क चौड़ीकरण सहित अन्य निर्माण कार्य जैसी गतिविधियां न्यायोचित नहीं मानी जा सकतीं। जरुरी निर्दे

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