Bilaspur High Court: हाई कोर्ट का स्पष्ट आदेश, तलाक के बाद पति की संपत्ति पर नहीं बनता हक
Bilaspur High Court: बिलासपुर हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसला में कहा है कि तलाकशुदा पत्नी को पति की संपत्ति पर हक जताने का कानूनी अधिकार नहीं है। न्यायालय से विवाह विच्छेद की डिक्री पारित होने के बाद पत्नी का दर्जा खत्म हो जाता है। ऐसी स्थिति में पति की संपत्ति पर वह कानूनी अधिकार नहीं जता सकती।

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Bilaspur High Court: बिलासपुर। बिलासपुर हाई कोर्ट के सिंगल बेंच ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि कानूनी रूप से विवाह विच्छेद की डिक्री अदालत से पारित होने के बाद पत्नी का दर्जा खत्म हो जाता है। ऐसी स्थिति में पति की संपत्ति पर भी वह अधिकार नहीं जता सकती। कानूनी रूप से उसका कोई अधिकार नहीं रह जाता है। इस फैसले के साथ ही जस्टिस एनके व्यास के सिंगल बेंच ने पत्नी की याचिका को खारिज कर दिया है। पत्नी ने पति की संपत्ति पर अपना हक जताते हुए कब्जा कर लिया था।
संपत्ति विवाद को लेकर दायर याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि कानूनी रूप से विवाह विच्छेद के बाद पत्नी का दर्जा खत्म हो जाता है। तलाकशुदा महिला फिर पति की संपत्ति पर दावा नहीं कर सकती है। कानूनी रूप से उसका दावा उसी वक्त समाप्त हो जाता है जब परिवार न्यायालय से तलाक की डिक्री जारी कर दिया जाता है। इस मामले में विवाद तब पैदा हुआ जब पति पत्नी के बीच तलाक के बाद तलाकशुदा महिला ने अपने पति की संपत्ति पर हक जताते हुए कब्जा कर लिया। पति ने सिविल कोर्ट में मामला दायर कर तलाकशुदा महिला के कब्जे से अपनी संपत्ति को मुक्त कराने की मांग की। मामले की सुनवाई के बाद सिविल कोर्ट को जब यह जानकारी दी गई है कि जिस महिला से आवेदनकर्ता की संपत्ति पर कब्जा किया है वह उसकी तलाकशुदा पत्नी है। तब सिविल कोर्ट ने तलाकशुदा महिला के कब्जे से संपत्ति को मुक्त कराने और महिला के बेदखली का आदेश पारित किया था। सिविल कोर्ट के फैसले को महिला ने हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी।
घर पर किया कब्जा
पति ने विवाह के पहले ही वर्ष 2005 में रायगढ़ में मकान खरीद कर उसे किराये पर दिया था। तलाक के बाद पत्नी ने कुछ लोगों के साथ मिलकर उक्त मकान पर कब्जा कर लिया था। पति की रिपोर्ट पर पुलिस ने पत्नी के खिलाफ खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
