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Bilaspur High Court: भरण पोषण को लेकर हाई कोर्ट का आया महत्वपूर्ण फैसला: दूराचरण साबित होने पर पत्नी को भरण-पोषण का नहीं है अधिकार, पढ़िए हाई कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा है

Bilaspur High Court: हिंदू दत्तक एवं भरण-पोषण को लेकर बिलासपुर हाई कोर्ट के सिंगल बेंच का महत्वपूर्ण फैसला आया है। जस्टिस एनके व्यास ने अपने फैसले में लिखा है कि दूराचरण साबित होने पर पत्नी को भरण-पोषण मांगने का अधिकार नहीं रह जाता है। पत्नी के साथ रहते दूसरे पुरुष के साथ अवैध संबंध बनाने और यह साबित हो जाने पर पत्नी भरण-पोषण की अधिकारिणी नहीं रह जाती। जस्टिस व्यास ने इस फैसले के साथ फैमिली कोर्ट के पूर्व के फैसले को यथावत रखते हुए पत्नी की याचिका को खारिज कर दिया है।

Bilaspur High Court: भरण पोषण को लेकर हाई कोर्ट का आया महत्वपूर्ण फैसला: दूराचरण साबित होने पर पत्नी को भरण-पोषण का नहीं है अधिकार, पढ़िए हाई कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा है
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By Radhakishan Sharma

Bharan Poshan Ko Lekar Faisla: बिलासपुर। हिंदू दत्तक एवं भरण-पोषण को लेकर बिलासपुर हाई कोर्ट के सिंगल बेंच का महत्वपूर्ण फैसला आया है। जस्टिस एनके व्यास ने अपने फैसले में लिखा है कि दूराचरण साबित होने पर पत्नी को भरण-पोषण मांगने का अधिकार नहीं रह जाता है। पत्नी के साथ रहते दूसरे पुरुष के साथ अवैध संबंध बनाने और यह साबित हो जाने पर पत्नी भरण-पोषण की अधिकारिणी नहीं रह जाती। जस्टिस व्यास ने इस फैसले के साथ फैमिली कोर्ट के पूर्व के फैसले को यथावत रखते हुए पत्नी की याचिका को खारिज कर दिया है।

परिवार न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए पत्नी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर हिंदू दत्तक अधिनियम के तहत भरण-पोषण की मांग की थी। मामले की सुनवाई के दौरान पति की ओर से पंचायत की बैठक का हवाला दिया गया, जिसमें पत्नी ने दूसरे पुरुष के साथ संबंध बनाने और उसके साथ ही रहने की इच्छा जताई थी। पति ने यह भी आरोप लगाए कि घर में ही उसने दूसरे पुरुष के साथ संबंध बनाए। उनकी इस हरकत को उसने और उसके बेटे ने भी अपनी आंखों से देखा था। पति के आरोपों को पत्नी झूठला नहीं पाई।

मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि यदि पत्नी के अवैध संबंध प्रमाणित हो जाते हैं तो वह हिंदू दत्तक एवं भरण-पोषण अधिनियम के तहत भरण-पोषण का दावा नहीं कर सकती। ना ही वह हकदार होगी। इस टिप्पणी के साथ सिंगल बेंच ने पत्नी द्वारा भरण-पोषण की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है।

दंपती का विवाह वर्ष 1975 में हिंदू रीति-रिवाज से हुआ था। दोनों के चार बच्चे हैं। साथ-साथ रहने के बाद भी दाेनों के संबंधों में दरार आने लगी और विवाद भी होने लगा। पति उसके साथ मारपीट करने लगा। इस बीच दोनों के बीच विवाद इतना बढ़ा कि पति ने पत्नी को 17 अप्रैल 2001 को घर से निकाल दिया। जिसके बाद वह अपने भाई के घर रहने लगी। पत्नी का यह भी कहना था कि पति ने उसके जेवर अपने पास रख लिए और भरण-पोषण देने से भी मना कर दिया। पत्नी ने अपनी याचिका में बताया कि पति के पास 10 एकड़ कृषि भूमि है और व्यवसाय से अच्छी आय हो रही है। इन्हीं बातों का हवाला देते हुए भरण-पोषण की मांग की थी।

हाई कोर्ट ने कहा अवैध संबंध जैसे काम गोपनीय होते हैं, पर उन्हें परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर भी सिद्ध किया जा सकता है। हाई कोर्ट ने हिंदू दत्तक एवं भरण-पोषण अधिनियम की धारा 18 (3) का हवाला देते हुए कहा कि यदि पत्नी अशुद्ध आचरण में लिप्त पाई जाती है, तो उसे पति से अलग निवास और भरण-पोषण का अधिकार नहीं मिलता।

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