Bilaspur High Court: अवमानना के घेरे में फंसे दो IAS अफसर, हाई कोर्ट के आदेश का अवहेलना करने से नाराज कोर्ट ने पूछा- क्यों ना अवमानना की कार्रवाई की जाए शुरू
Bilaspur High Court: हाई कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने के आरोप में दो आईएएस अफसर फंस गए हैं। नाराज कोर्ट ने आईएएस अफसरों को नोटिस जारी कर व्यक्तिगत रूप से तलब किया है। कोर्ट ने पूछा है कि अदालत के आदेश का जानबूझकर अवहेलना करने के आरोप में क्यों ना उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए। याचिकाकर्ता महेश देवांगन ने अधिवक्ता संदीप दुबे व मानस वाजपेयी के माध्यम से तीनों अफसरों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है।

BILASPUR HIGH COURT
Bilaspur High Court: बिलासपुर। हाई कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने के आरोप में दो आईएएस अफसर फंस गए हैं। नाराज कोर्ट ने आईएएस अफसरों को नोटिस जारी कर व्यक्तिगत रूप से तलब किया है। कोर्ट ने पूछा है कि अदालत के आदेश का जानबुझकर अवहेलना करने के आरोप में क्यों ना उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए। याचिकाकर्ता महेश देवांगन ने अधिवक्ता संदीप दुबे व मानस वाजपेयी के माध्यम से तीनों अफसरों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है।
महादेव देवांगन द्वारा दायर अवमानना याचिका पर जस्टिस एनके व्यास के सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान जब याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि याचिका पर हाई कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बाद भी अधिकारियों ने कार्रवाई नहीं की है। न्यायालयीन आदेश का अफसरों ने सीधेतौर पर अवहेलना कर दी है। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि अफसरों ने जानबूझकर न्यायालयीन आदेश की अवहेलना की है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि अवमानना करने वाले अफसरों को एक सप्ताह के भीतर साधारण तरीके के साथ-साथ पंजीकृत तरीके से भी नोटिस जारी करें। कोर्ट ने कहा कि इस न्यायालय द्वारा 08 अगस्त 2025 को पारित आदेश की जानबूझकर अवज्ञा करने के लिए क्यों ना उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए। कोर्ट ने तीनों अफसरों को व्यक्तिरूप से तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 दिसंबर की तिथि तय कर दी है। जाहिर है इस दिन तीनों अधिकारियों को कोर्ट में अपनी उपस्थिति देनी होगी। कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा है कि इस आदेश की एक प्रति प्रतिवादियों को जारी नोटिस के साथ भेजी जाए जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाएगा कि प्रतिवादी 16 दिसंबर, 2025 को प्रातः 10.30 बजे इस न्यायालय के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होंगे।
जांजगीर जिलेे में पदस्थ पटवारी महादेव देवांगन स्थानांतरण आदेश को चुनौती देते हुए अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। दायर याचिका में बताया था कि स्थानांतरण के तुरंत बाद याचिकाकर्ता ने स्थानांतरण समिति के समक्ष अभ्यावेदन पेश किया था, जो आजतलक लंबित है। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा था कि 05 जून 2025 की स्थानांतरण नीति के खंड 8 के अनुसार, स्थानांतरण आदेश के विरुद्ध स्थानांतरण समिति के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का आंतरिक उपाय उपलब्ध है, जो याचिकाकर्ता की शिकायत पर कानून के अनुसार विचार करेगी।
05 जून 2025 की उक्त स्थानांतरण नीति में यह सब
स्थानांतरण से व्यथित शासकीय सेवक द्वारा अपने स्थानांतरण के विरूद्ध अभ्यावेदन केवल स्थानांतरण नीति के उल्लंघन होने पर ही उक्त उल्लंघन होने वाले कंडिका के संबंध में स्पष्ट आधारों के साथ स्थानांतरण आदेश जारी होने की तिथि से 15 दिवस के भीतर प्रश्नाधीन स्थानांतरण आदेश की प्रति सहित शासन द्वारा गठित वरिष्ठ सचिवों की समिति के संयोजक एवं सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग को प्रस्तुत किया जा सकेगा। समिति द्वारा ऐसे प्रकरणों का इस स्थानांतरण नीति के प्रकाश में परीक्षण करने के पश्चात अपनी अनुशंसा संबधित विभाग को प्रेषित की जाएगी।
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में यह लिखा
संबंधित कर्मचारी को स्थानांतरण आदेश के विरुद्ध स्थानांतरण समिति के समक्ष शिकायत करने के लिए आंतरिक उपाय प्रदान किया गया है, इसलिए यह न्यायालय याचिकाकर्ता को इस आदेश की प्रति प्राप्त होने की तिथि से एक सप्ताह के भीतर स्थानांतरण समिति के समक्ष इस आदेश की प्रति के साथ नया अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का निर्देश देना उचित समझता है और स्थानांतरण समिति, याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन पर विधि के अनुसार निष्पक्ष रूप से निर्णय लेगी और दो सप्ताह की अतिरिक्त अवधि के भीतर उसके गुण-दोष के आधार पर एक तर्कसंगत आदेश पारित करेगी। तब तक याचिकाकर्ता के विरुद्ध कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल ने अपने आदेश में लिखा है याचिकाकर्ता को निर्देश दिया जाता है कि वह आज से एक सप्ताह के भीतर इस आदेश की एक प्रति उक्त स्थानांतरण समिति के समक्ष प्रस्तुत करें।
