Bilaspur High Court: ASI चालक पदोन्नति में गड़बड़ी: हाई कोर्ट ने लगाई रोक, DGP व ADG छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल से मांगा जवाब
Bilaspur High Court: ASI चालक पदोन्नति में वरिष्ठता को दरकिनार कर जारी की गई सूची पर आपत्ति दर्ज कराते हुए एएसआई ने याचिका दायर की है। मामले की सुनवाइ करते हुए जस्टिस रविंद्र अग्रवाल ने पदोन्नति सूची पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने डीजीपी व एडीजीपी छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

Bilaspur High Court
Bilaspur High Court: बिलासपुर। ASI सहायक उप निरीक्षक (चालक) के पद पर की गई पदोन्नति प्रक्रिया में विभागीय मापदंडों व नियमों का पालन नहीं किए जाने का आरोप लगाते हुए दायर याचिका पर जस्टिस रविंद्र अग्रवाल के सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने जारी पदोन्नति आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने डीजीपी व एडीजीपी छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।
रायपुर निवासी और 20वीं बटालियन परसदा महासमुंद में पदस्थ प्रधान आरक्षक महेंद्र सिंह कोरम ने अधिवक्ता अब्दुल वहाब खान के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि
छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल पुलिस मुख्यालय द्वारा 5 जून 2025 को वर्ष 2025 की पदोन्नति प्रक्रिया के तहत प्रधान आरक्षक चालक से सहायक उप निरीक्षक एमटी/चालक पद के लिए योग्यता सूची जारी की गई थी। इसके आधार पर 27 जून 2025 को 29 प्रधान आरक्षकों के लिए पदोन्नति आदेश जारी किया है। कोर्ट ने सुनवाई के बाद पदोन्नति सूची पर रोक लगा दी है।
डीजीपी के समक्ष पेश की थी आपत्ति
याचिकाकर्ता महेंद्र सिंह कोरम ने अपनी याचिका में बताया है कि वे वर्ष 2003 से प्रधान आरक्षक चालक के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने 9 जून 2025 को डीजीपी के समक्ष आपत्ति प्रस्तुत कर बताया था कि 5 जून को जारी योग्यता सूची में वरिष्ठता की गणना ज्वाइनिंग तिथि के आधार पर की गई है, जो कि विभागीय नियमों के विरुद्ध है। आपत्ति पर ध्यान नहीं दिया गया।
नियमों की अनदेखी के कारण उसे नहीं मिली पदोन्नति
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि 23 सितंबर वर्ष 2022 को जारी योग्यता सूची के अनुसार यदि नियमपूर्वक गणना की जाती तो उसका क्रमांक 30 से 35 के बीच आता। नई सूची में उसे 47वें स्थान पर रखा गया है। याचिका के अनुसार वरिष्ठता के निर्धारण में त्रुटि हुई है, जिससे पूरी पदोन्नति प्रक्रिया संदिग्ध हो गई है। कोर्ट ने यह माना कि याचिका विचाराधीन है और पदोन्नति सूची पर सवाल उठाए गए हैं। कोर्ट ने 27 जून को जारी पदोन्नति आदेश के निष्पादन पर आगामी आदेश तक अंतरिम रोक लगा दी है।