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Bilaspur High Court-अनुकंपा नियुक्ति पर हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: यदि परिवार के सदस्यों में से एक सरकारी सेवा में है, तो नहीं मिलेगी अनुकंपा नियुक्ति...

Bilaspur High Court: अनुकंपा नियुक्ति को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बिलासपुर हाई कोर्ट के सिंगल बेंच ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। नगर निगम बिलासपुर की एक महिला कर्मचारी की मृत्यु के बाद बेटे ने अनुकंपा नियुक्ति को लेकर याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि याचिकाकर्ता का पिता नगर निगम में कार्यरत है और वह नौकरी कर रहा है। यह जानकारी सामने आने के बाद जस्टिस बीडी गुरु के सिंगल बेंच ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। नगर निगम बिलासपुर की ओर से अधिवक्ता संदीप दुबे ने पैरवी की। पढ़िए हाई कोर्ट ने अपने फैसले में क्या व्यवस्था दी है।

Bilaspur High Court-अनुकंपा नियुक्ति पर हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: यदि परिवार के सदस्यों में से एक सरकारी सेवा में है, तो नहीं मिलेगी अनुकंपा नियुक्ति...
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court बिलासपुर। अनुकंपा नियुक्ति को लेकर दायर याचिका की सुनवाई के बाद जस्टिस बीडी गुरु ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में लिखा है कि यदि परिवार के सदस्यों में से एक सरकारी सेवा में है, तो अनुकंपा नियुक्ति के लिए आश्रित के दावे पर विचार नहीं किया जाएगा। इस टिप्पणी के साथ सिंगल बेंच ने याचिका को खारिज कर दिया है। प्रमुख पक्षकार बिलासपुर नगर निगम की ओर से अधिवक्ता संदीप दुबे ने पैरवी की।

बहतराई अटल निवास बिलासपुर निवासी मुरारीलाल रक्सेल ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मां की मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति देने की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने बताया कि उसकी मां नगर निगम बिलासपुर में नियमित कर्मचारी के रूप में कार्यरत थीं। 21.10.2020 को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण उनकी मृत्यु हो गई। याचिका के अनुसार वह अपनी मां के स्थान पर अनुकंपा नियुक्ति के लिए उसने 22.02.2021 को सभी प्रासंगिक दस्तावेजों के साथ नगर निगम में आवेदन किया। नगर निगम ने 13.09.2023 को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता के पिता पहले से ही नगर निगम में सरकारी कर्मचारी के रूप में काम कर रहे हैं, इसलिए वह अनुकंपा नियुक्ति के हकदार नहीं हैं।

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि पिता लंबे समय से उससे अलग रह रहे हैं और वह अपनी मां पर आश्रित था, जिनकी 21.10.2020 को सेवा के दौरान मृत्यु हो गई थी।

0 निगम के अधिवक्ता संदीप दुबे ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिया हवाला

प्रमुख पक्षकार नगर निगम बिलासपुर की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता संदीप दुबे ने कहा कि वर्तमान में प्रचलित नीति के अनुसार, यदि मृतक कर्मचारी के परिवार का कोई भी सदस्य सरकारी सेवा में है, तो परिवार के अन्य सदस्य के दावे पर अनुकंपा नियुक्ति के लिए विचार नहीं किया जाएगा। अधिवक्ता संदीप दुबे ने छत्तीसगढ़ राज्य एवं अन्य बनाम उमेश ठाकुर, रिट अपील संख्या 236/2022 में बिलासपुर हाई कोर्ट द्वारा 21.06.2023 को पारित किए गए निर्णय का हवाला भी दिया। अधिवक्ता दुबे ने यह भी बताया कि याचिकाकर्ता की मां की मृत्यु 21.10.2020 को हो गई थी; और याचिकाकर्ता के पिता मृतक कर्मचारी की मृत्यु के समय नगर निगम में सरकारी कर्मचारी के रूप में कार्यरत थे।

0 हाई कोर्ट ने अपने फैसले में यह लिखा

मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस बीडी गुरु ने अपने फैसले में लिखा है कि रिट याचिका की दलीलों से यह स्पष्ट है कि अनुकंपा नियुक्ति के लिए याचिकाकर्ता के आवेदन को 13.09.2021 के आदेश द्वारा इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि परिवार के सदस्यों में से एक यानी उनके पिता पहले से ही सरकारी सेवा में हैं। राज्य शासन के परिपत्र 29.08.2016 के प्रकाश में, जिसमें यह प्रावधान है कि यदि परिवार के सदस्यों में से एक सरकारी सेवा में है, तो अनुकंपा नियुक्ति के लिए आश्रित के दावे पर विचार नहीं किया जाएगा। सामान्य प्रशासन विभाग, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जारी परिपत्र दिनांक 29.08.2016 के अनुसार यह प्रावधान किया गया है कि यदि परिवार का कोई सदस्य सरकारी नौकरी में है। सेवा के दौरान आश्रित के अनुकंपा नियुक्ति के दावे पर विचार नहीं किया जाएगा।

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