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Bilaspur High Court: 20 साल बाद फैसला: नक्सलियों ने ग्रामीण को मार डाला... 7 नक्सलियों को आजीवन कारावास...

Bilaspur High Court: 17-18 मार्च 2005 की आधी रात तकरीबन 25 सशस्त्र नक्सलियों ने रघुनाथ के घर पर हमला कर उसे रस्सियों से बांध दिया। डंडों और लात-घूंसों से पीट-पीटकर उसकी हत्या कर दी थी। घटना के चश्मदीद गवाह लच्छूराम को बांधकर अधमरा होते तक पिटाई की। जब वह बेहोश हो गया तब नक्सली वापस लौट गए। लच्छूराम की गवाह को ट्रायल कोर्ट ने अपर्याप्त मानते हुए हत्या के आरोप में जेल में बंद सात आरोपियों को बरी करते हुए रिहाई का आदेश जारी कर दिया था। मामला बिलासपुर हाई कोर्ट पहुंचा। डिवीजन बेंच ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए सभी सातों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

Bilaspur High Court: 20 साल बाद फैसला: नक्सलियों ने ग्रामीण को मार डाला... 7 नक्सलियों को आजीवन कारावास...
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court: बिलासपुर। ग्रामीण की मौत और एक ग्रामीण के हत्या के प्रयास में पुलिस ने सात नक्सलियों के खिलाफ एफआईआर कर जेल में बंद कर दिया था। मामले की सुनवाई ट्रायल कोर्ट में चली। सुनवाई के बाद ट्रायल कोर्ट ने गवाहों की गवाही में विरोधाभासों और कुछ अभियुक्तों के नाम एफआईआर में देर से आने को आधार बनाकर, संदेह का लाभ देते हुए सभी आरोपियों को रिहा करने का आदेश दिया था।ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती हुए राज्य सरकार ने बिलासपुर हाई कोर्ट में अपील पेश की थी। घायल चश्मदीद गवाह की गवाही के आधार पर डिवीजन बेंच ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। डिवीजन बेंच ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए सभी सात आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही जुर्माना भी ठोका है।

घटना 2005 की है। ट्रायल कोर्ट में मामला पांच साल चला

2010 में ट्रायल कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए राज्य शासन ने बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपील पेश की थी। 2025 में हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने जरुरी टिप्पणी के साथ फैसला सुनाया है। राज्य सरकार द्वारा दायर अपील की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हुई।

क्या है मामला

17-18 मार्च 2005 को आधी रात तकरीबन 25 सशस्त्र नक्सलियों ने मृतक रघुनाथ के घर पर हमला किया। अभियुक्त सूरजराम, नोहर सिंह, धनिराम, दुर्जन, चैतराम, रमेश्वर और संतोष इस हमले में शामिल थे। मृतक के बेटे व घटना में घायल लच्छूराम ने एफआईआर दर्ज कराई थी। रघुनाथ को रस्सियों से बांधकर डंडों और लात-घूंसों से पीट-पीटकर मार डाला था। लच्छूराम को भी बांधकर अधमरा होते तक पिटाई की। बेहोशी की हालत में उसे छोड़कर वापस लौट गए। ग्रामीण जब आए तब लच्छूराम को अस्पताल पहुंचाया गया।

डिवीजन बेंच ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा

घायल चश्मदीद गवाह लच्छूराम और मृतक की पत्नी पिचोबाई की गवाहियों की समीक्षा की। साथ ही, मेडिकल और फारेंसिक साक्ष्यों का विश्लेषण किया। कोर्ट ने कहा कि, घायल गवाह की गवाही को केवल मामूली विरोधाभासों के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता। यदि अन्य आपराधिक साक्ष्य उसकी पुष्टि करते हैं, तो इसे दोषसिद्धि का आधार बनाया जा सकता है।

हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का फैसले को रद्द करते हुए घटना में शामिल सभी सातों अभियुक्तों को दोषी करार दिया है। डिवीजन बेंच ने सभी आरोपियों को रघुनाथ की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास, घायल लच्छूराम की हत्या के प्रयास में पांच साल कठोर कारावास व 1200 जुर्माना ठोका है। डिवीजन बेंच ने सभी आरोपियों को एक महीने के भीतर ट्रायल कोर्ट के समक्ष सरेंडर करने का आदेश दिया है।

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