IPS थानेदार ने गरीब ई-रिक्शा चालक को जेल जाने से बचाया, ऑटो डीलर की कारस्तानी का मामला पहुंच गया हाई कोर्ट के डीबी में
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में बैटरी वाले आटो डीलर ने ऐसा खेल किया कि मामला हाई कोर्ट पहुंच गया। ई-रिक्शा चोरी के इस केस को जानकार आप भी हतप्रभ रह जाएंगे। गनीमत है कि जिस कोटा थाने में यह वाकया हुआ, वहां आईपीएस अधिकारी थानेदार हैं, उन्होंने एक गरीब ऑटो चालक को जेल भेजने की बजाए झूठी चोरी के खेल को बेनकाब कर दिया।

Bilaspur High Court
बिलासपुर। ऑटो चोरी का यह दिलचस्प मामला बिलासपुर जिले के कोटा थाना से जुड़ा हुआ है। हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले याचिकाकर्ता प्रतीक साहू के अधिवक्ता अमित कुमार ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रतीक साहू की ईवी ऑटो रिक्शा 20 जनवरी 2025 को कोटा थाना क्षेत्र से चोरी हो गई थी। इस दिन वह सड़क किनारे ऑटो खड़ा कर लघुशंका कर रहा था, तो एक आदमी उसका ऑटो लेकर भाग गया। उसने कोटा थाना में इसकी रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। पुलिस ने शिकायत के आधार पर अज्ञात आरोपी के खिलाफ अपराध क्रमांक 54/2025 दर्ज किया।
28 फरवरी 2025 को पुलिस ने एक व्यक्ति से चोरी की ई-रिक्शा बरामद किया। उससे पूछताछ में मामला उल्टा निकला। उसने बताया कि वह किश्त में ऑटो डीलर से ऑटो लिया था। कुछ दिनों से वह किश्त नहीं पटा रहा था, जिसे डीलर नाराज था। चूकि कोटा थाने में प्रोबेशनर आईपीएस थानेदार है। वरना कोई दूसरा थानेदार होता तो गरीब ऑटो वाले को जेल भेज दिया होता।
बहरहाल, पुलिस की जांच में पता चला कि ऑटो डीलर ने ऑटो का किश्त न मिलने पर प्रतीक साहू के साथ मिलकर षडयंत्र किया। ऑटो डीलर ने पहले वाले गरीब ऑटो चालक को यह कहते हुए बिल नहीं दिया था कि किश्त की अदायगी के बाद वह सभी कागज दे देगा।
कोटा पुलिस ने NPG.NEWS को बताया कि ऑटो डीलर के साथ प्लानिंग कर प्रतीक ने कोटा थाने में ऑटो चोरी की शिकायत दर्ज कराई ताकि पुलिस ऑटो बरामद कर उसे सौंप दे। इससे पहले उस ऑटो डीलर ने प्रतीक के नाम पर आटो का बिल बना दिया ताकि पुलिस को वह दिखा सके कि मेरा ऑटो है।
पुलिस ने ऑटो डीलर के मैनेजर को पूछताछ के लिए बुलाया तो उसका मालिक थाने पहुंच गया। पुलिस का कहना है कि ऑटो डीलर को लगा कि भेद खुल गया है, इसलिए चुपके से थाने से निकलकर भाग गया।
उधर, प्रतीक साहू ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है, उसमें कहा गया है कि जिस व्यक्ति से चोरी की ई-रिक्शा बरामद हुई थी उसे पुलिस ने पहले तो बिना कार्रवाई के छोड़ा। फिर कोटा पुलिस ने पीड़ित प्रतीक साहू को ही थाने बुलाकर गाली गलौज करते हुए अभद्रता की और धमकी दी। पुलिस ने पीड़ित को ई-रिक्शा किससे खरीदी के दस्तावेज दिखाने का दबाव पीड़ित पर बनाया। उसने इसे पुलिस की प्रताड़ना बताया।
याचिका की सुनवाई सोमवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हुई। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि ई रिक्शा चोरी की रिपोर्ट उनके क्लाइंट ने दर्ज करवाई थी। जिस पर पुलिस के द्वारा अज्ञात आरोपी के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया था। फिर पुलिस को एक आरोपी से चोरी का ई रिक्शा बरामद हो गया। उस पर कार्यवाही करने की बजाय उससे केवल बयान लेकर पुलिस ने उसे छोड़ दिया,जबकि उसके पास कोई दस्तावेज भी नहीं है।
अपने बयान में उसने बताया कि मैंने बीस हजार रुपए में ई रिक्शा खरीदी है। उसे छोड़ने के पश्चात कोटा थाना पुलिस चोरी की रिपोर्ट दर्ज करवाने वाले पीड़ित, पीड़ित ने जिस एजेंसी से गाड़ी खरीदी थी उस एजेंसी की मालकिन,मालकिन के पति और एजेंसी के मैनेजर को ही थाने बुलवा कर गालीदृगलौच करते हुए उनसे ही दस्तावेज मांग रही है।
तर्कों को सुनने के पश्चात चीफ जस्टिस ने पूछा कि कहा का मैटर है? जैसे ही अधिवक्ता ने बताया कि थाना कोटा जिला बिलासपुर तब चीफ जस्टिस ने चौंकते हुए टिप्पणी करते हुए कहा कि “बिलासपुर का मैटर है, यहां के एसपी तो हमेशा न्यूज में रहते हैं। चीफ जस्टिस ने पुलिस अधीक्षक से इस मामले में व्यक्तिगत शपथ पत्र मांगा है। इसके अलावा जांच अधिकारी को भी संबंधित कागजात प्रस्तुत करने को कहा गया है।
अदालत ने यह भी पूछा है कि जिस व्यक्ति से चोरी की ई रिक्शा बरामद हुई उस पर कार्यवाही क्यों नहीं हुई? मामले की अगली सुनवाई 11 मार्च को रखी गई है।