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कार्यपालन अभियंता को स्थानांतरित कर सहायक अभियंता को दिया गया ईई का प्रभार, सहायक अभियंता ने कर ली जॉइनिंग, पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

कार्यपालन अभियंता को स्थानांतरित कर सहायक अभियंता को दिया गया ईई का प्रभार, सहायक अभियंता ने कर ली जॉइनिंग, पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
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By NPG News

बिलासपुर। कार्यपालन अभियंता को स्थानांतरित कर सहायक अभियंता को उनके जगह ईई का प्रभार देने पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। मामला मुंगेली डिवीजन का है। जहां के पीडब्ल्यूडी के ईई को वहां से स्थानांतरित कर दिया गया था

और उनकी जगह उनसे पदक्रम में निचे के अफसर को प्रभारी ईई बना दिया गया था। जिस पर ईई ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। सहायक अभियंता ने इस बीच ईई का प्रभार सम्हाल भी लिया था, पर हाईकोर्ट ने स्टे दे दिया।

मुरारी लाल शर्मा पिता परमल शर्मा लोक निर्माण विभाग में कार्यपालन अभियंता के पद पर पदस्थ है। उनकी पदस्थापना पीडब्ल्यूडी के मुंगेली डिवीजन में ईई के पद पर थी। उनका तबादला वहां से मुख्य अभियंता कार्यालय नया रायपुर में कर दिया गया था। उनकी जगह हाईकोर्ट टेक्निकल सेक्शन बिलासपुर में पदस्थ सहायक अभियंता ममता पटेल को स्थानांतरित करते हुए मुंगेली डिवीजन में प्रभारी ईई बना दिया गया था। जिस पर मुरारी लाल शर्मा ने अधिवक्ता डॉक्टर सुदीप अग्रवाल के माध्यम से आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी।

हाईकोर्ट में जस्टिस प्रार्थ प्रतीम साहू की सिंगल बैंच में मामले की सुनवाई हुई। जिसमें अधिवक्ता सुदीप अग्रवाल ने तर्क रखते हुए बताया कि यदि याचिकर्ता का स्थानांतरण किया गया है तो उनकी जगह उनके समकक्ष अधिकारी को ही वहां पदस्थ किया जाना चाहिए। पर उनसे एक रैंक नीचे पदस्थ सहायक अभियंता ममता पटेल को वहां ट्रांसफर पर लाकर ईई का प्रभार दे दिया गया है। यह शासन की स्थानांतरण नीति क्रमांक 2.9 का उल्लंघन है। साथ ही याचिकर्ता के रिटायरमेंट में सिर्फ 9 माह बचे हैं, उसके बावजूद भी स्थानांतरित किया जाना नियमों के उल्लंघन के साथ ही मानवीय दृष्टिकोण से सही नही है। अदालत के समक्ष सहायक अभियंता ममता पटेल के अधिवक्ता ने भी अपना पक्ष रखते हुए बताया कि उनके पक्षकार ने नई पदस्थापना में जॉइनिंग दे दी है इसलिए उन्हें राहत प्रदान की जाए। तर्कों को सुनने के पश्चात अदालत ने कहा कि यदि नियमों के विपरीत जाकर स्थानांतरण किया गया है तो उस स्थिति में जॉइनिंग कर लेने से भी राहत प्रदान नही किया जा सकता। इसके साथ ही अदालत ने ट्रांसफर आर्डर पर स्टे दे दिया। साथ ही शासन को 6 सप्ताह में नियमानुसार निराकरण करने के निर्देश देकर याचिका निराकृत कर दी।

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