Chhattisgarh Patwari News: NPG की खबर के बाद कलेक्टर ने आदेश किया संशोधित, पटवारियों का ब्रेकर हटाया, आम आदमी को बड़ी राहत...
Chhattisgarh Patwari News: रजिस्ट्री से पहले पटवारियों से प्रतिवेदन अनिवार्य करने का आदेश कलेक्टर ने बदल दिया है। बता दें, एनपीजी न्यूज ने 26 मई को इस शीर्षक से खबर प्रकाशित किया था...कलेक्टर के इस आदेश से डिजिटलाइजेशन पर लगेगा ब्रेक, आम आदमी को बढ़ेगी मुसीबतें, पटवारियों के लिए खुलेंगे भ्रष्टाचार के रास्ते। इस खबर के वायरल होने के बाद सिस्टम हरकत में आया। क्योंकि, छत्तीसगढ़ सरकार खुद डिजिटलाइजेशन पर जोर दे रही है। सरकार ने जमीनों की रजिस्ट्री के बाद आटोमेटिक नामंतरण सुविधा भी प्रारंभ कर दिया है। बहरहाल, एनपीजी की खबर के बाद कलेक्टर ने अपना आदेश संशोधित कर दिया है। इसमें उन्होंने पटवारियों का ब्रेकर हटाते हुए एसडीएम को अधिकार दिया है। देखिए उनका संशोधित आदेश...

Chhattisgarh Patwari News: रायपुर। हालांकि, संशोधित आदेश पर 26 मई का डेट लिखा है। जाहिर है, जैसा सिस्टम में आमतौर से होता है, वैसा ही बैक डेट जैसा कुछ किया गया होगा। क्योंकि, आदेश कल बाहर आया है। बहरहाल, खबर यह नहीं कि आदेश बैक डेट से निकला...महत्वपूर्ण बात यह है कि आम आदमी को इससे बड़ी राहत मिली है। वरना, आम आदमी को रजिस्ट्री करना दुरूह हो जाता...पटवारियों से ऐसे ही प्रतिवेदन मिलता नहीं।
पहले आदेश में लिखा था पटवारी प्रतिवेदन जरूरी
बस्तर कलेक्टर ने 21 मई के आदेश में जमीन-जायदाद की रजिस्ट्री से पहले पटवारी प्रतिवेदन अनिवार्य कर दिया था। उन्होंने लिखा था कि चूकि सरकार ने रजिस्ट्री के साथ ही आटोमेटिक नामंतरण प्रारंभ कर दिया है इसलिए गलत रजिस्ट्री रोकने पटवारी का प्रतिवेदन जरूरी है। जाहिर है, इससे पटवारियों को करप्शन का बड़ा रास्ता निकल आया था।
सरकार का डिजिटलाइजेशन पर जोर
जबकि, खुद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय चाह रहे कि राजस्व विभाग के मुलाजिमों से आम आदमी का कम-से-कम वास्ता पड़े। इसलिए डिजिटलाइजेशन पर जोर दिया जा रहा है। पंजीयन विभाग के 10 सुधार को लांच करते हुए उन्होंने अपने भाषण में राजस्व विभाग पर प्रहार करते हुए पटवारियों को यमराज से भी बड़ा बताया था। उन्होंने 35 साल पुराना किस्सा सुनाया था कि उनके एक मित्र को नामंतरण के नाम पर तहसीलदार ने कैसे सालों चक्कर कटवाया। उधर, बस्तर कलेक्टर ने आदेश में राजस्व रिकार्ड अपडेट न होने को आधार बनाया था। मगर पटवारी के मैनुअल काम को खत्म करने के लिए 2011 में भुइयां प्रणाली आ गया था। जिसमें सभी लोगों का राजस्व अभिलेख ऑनलाइन है। किसी जमीन के बारे में जो भी जानकारी भरना है पटवारी को ऑनलाइन ही भरना है। उसके बाद कलेक्टर लिख रहे हैं कि पटवारी से ऑफलाइन प्रतिवेदन के बाद रजिस्ट्री करो।
अब एसडीएम को पावर
बस्तर कलेक्टर ने अपने संशोधित आदेश में पटवारी का ब्रेकर हटाते हुए लिखा है कि रजिस्ट्री के बाद हर 15 दिन में उसका डिटेल एसडीएम को भेजना होगा। वाकई कलेक्टर ने अब सही किया है। वैसे भी रजिस्ट्री अगर गलत हो गई है तो एसडीएम को उसे निरस्त करने का अधिकार पहले से ही है। फिर गलत रजिस्ट्री का भय बनाकर राजस्व विभाग के कर्मचारी कलेक्टरों और सरकार को डराते रहते हैं। सरकार अभी तक इसीलिए आटोमेटिक नामंतरण का फैसला नहीं ले पा रही थी कि परसेप्शन बनाकर रखा गया है, गलत रजिस्ट्री हो जाएगी तो उसे कौन देखेगा। तो सवाल यह है कि अभी गलत रजिस्ट्रियां नहीं होती क्या? रायपुर के अशोका बिरयानी का रजिस्ट्री तीन बार हुआ और तहसीलदार ने उसका नामंतरण भी किया।