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CG: कलेक्टर के इस आदेश से डिजिटलाइजेशन पर लगेगा ब्रेक, आम आदमी की बढ़ेगी मुसीबतें, पटवारियों के लिए खुलेगा भ्रष्टाचार के रास्ते

CG: एक तरफ छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव सरकार लोगों को राजस्व विभाग की मुसीबतों से छुटकारा दिलाने जमीनों की रजिस्ट्री से लेकर नामंतरण तक में पटवारियों और तहसीलदारों की भूमिका कम कर रही है। कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री और पंजीयन मंत्री ने लोगों को आटोमेटिक नामंतरण सुविधा की सौगात दी। उधर, सूबे के एक कलेक्टर ने रजिस्ट्री से पहले पटवारी से प्रतिवेदन अनिवार्य करने का आदेश जारी कर दिया है। इसे छत्तीसगढ़ में साएं-साएं काम पर ब्रेक लगाने का प्रयास माना जा रहा है।

CG: कलेक्टर के इस आदेश से डिजिटलाइजेशन पर लगेगा ब्रेक, आम आदमी की बढ़ेगी मुसीबतें, पटवारियों के लिए खुलेगा भ्रष्टाचार के रास्ते
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By Sandeep Kumar

रायपुर। बस्तर कलेक्टर ने पंजीयन मंत्री के पत्र का हवाला देते हुए कहा है कि अब रजिस्ट्री के साथ ही जमीनों का नामंतरण हो जाएगा। बस्तर में अभी रिकार्ड अपडेट नहीं है, इसलिए रजिस्ट्री से पहल पटवारी से नक्शा के साथ प्रतिवेदन लें, फिर रजिस्ट्री करें। सवाल उठता है कि रिकार्ड अपडेट नहीं है, तो इसे कौन करेगा। जब पूरे प्रदेश में डिजिटलाइजेशन का काम चल रहा है, जमीनों का खसरा, बटांकन ऑनलाईन किया जा रहा, तब बस्तर में क्यों नहीं किया गया।

कलेक्टर का यह आदेश पटवारियों के भ्रष्टाचार का रास्ता खोलेगा। सरकार चाहती है कि आम लोगों का पटवारियों से कम-से-कम वास्ता पडे। मगर बस्तर कलेक्टर के इस आदेश से लोगों की मुसीबतें और बढ़ जाएगी। क्योंकि, पहले रजिस्ट्री के बाद नामंतरण की कार्रवाई होती थी तो उसका रिकार्ड होता था कि राजस्व विभाग में कितने दिन से पेपर पड़े हुए हैं। अब तो पटवारी का चक्कर लगाने का कोई रिकार्ड नहीं होगा। जाहिर है, पटवारी ऐसे प्रतिवेदन तो देगा नहीं। एक तो आसानी से पटवारी मिलते नहीं। उसके बाद

जानकारों का कहना है, एक तरफ भारत सरकार और विष्णुदेव सरकार भ्रष्टाचार खत्म करने शत प्रतिशत डिजिटाइजेशन करना चाह रही है ,दूसरी तरफ पटवारी प्रतिवेदन मांग कर भ्रष्टाचार का नया जरिया पैदा किया जा रहा है।

जबकि, पटवारी के मैनुअल काम को खत्म करने के लिए 2011 में भुइयां प्रणाली आ गया था। जिसमें सभी लोगों का राजस्व अभिलेख ऑनलाइन है। किसी जमीन के बारे में जो भी जानकारी भरना है पटवारी को ऑनलाइन ही भरना है। उसके बाद कलेक्टर लिख रहे हैं कि पटवारी से ऑफलाइन प्रतिवेदन के बाद रजिस्ट्री करो।

प्रश्न उठता है, ऑनलाइन राजस्व रिकार्ड में क्या ऐसा चीज छुपाया गया है, जिसके कारण ऑफलाइन प्रतिवेदन लेने की जरूरत हो रही है और क्यों नहीं भरा गया है और नहीं भरने वाले पर कार्रवाई क्या हुई है?

नीचे देखिए कलेक्टर का आदेश....


Sandeep Kumar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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