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हाई कोर्ट ने दी जीएनएम अभ्यर्थियों को स्टाफ नर्स की चयन प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति

हाई कोर्ट ने दी जीएनएम अभ्यर्थियों को स्टाफ नर्स की चयन प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति
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By NPG News

बिलासपुर । चंदूलाल चंद्राकर स्मृति शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय दुर्ग में ज्ञापित 171 पदों पर भर्ती के लिए लगी याचिका में चीफ जस्टिस की डिवीजन बैंच में सुनवाई हुई। सुनवाई में चार अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने का आदेश डिवीजन बैंच द्वारा दिया गया।

चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कालेज में शासन के अधिग्रहण के बाद 171 स्टाफ नर्स की भर्ती के लिए आवेदन 9 जून 22 को ज्ञापित किया गया था। उक्त भर्ती के लिए वांछित शैक्षिक योग्यता बीएससी नर्सिंग अथवा पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग उतीर्ण होना निर्धारित किया गया था। उक्त 2012 वाले नियम की अनुसूची और उपनियमों को मनमाने व गलत ढंग से प्रयोग में लाये जाने से राजनांदगांव की दीप्ति तिवारी व तीन अन्य अभ्यर्थियों ने अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और घनश्याम कश्यप के माध्यम से याचिका दायर की।

दायर याचिका में याचिकाकर्ताओ के द्वारा बताया गया कि वे साढ़े तीन वर्षीय नर्सिंग डिप्लोमा धारी हैं। और उन्होंने राज्य के रायपुर संभाग व दुर्ग संभाग समेत अनेक संस्थानों से यह कोर्स पूरा किया है। कोर्स पूरा करने के उपरांत उन्होंने छतीसगढ़ नर्सेस रजिस्ट्रेशन परिषद रायपुर में अपना पंजीयन करवाया है। याचिकाकर्ताओ के अधिवक्ता ने बताया कि राजनांदगांव के मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी ने 22 अप्रैल 2022 को तीन पद ज्ञापित किये थे। जिसमे योग्यता नर्सिंग स्नातक, पोस्ट बेसिक नर्सिंग स्नातक तथा जीएनएम को छतीसगढ़ नर्सिंग परिषद में पंजीयन अनिवार्य किया गया था। 16 जून 2022 को सँयुक्त संचालक स्वास्थ्य विभाग ने 16 जून 2022 को स्टाफ नर्स के 122 पदों पर नियुक्ति हेतु विज्ञापन जारी किया गया था। जिसमे भी योग्यता पोस्ट बेसिक नर्सिंग स्नातक अथवा जीएनएम/ वरिष्ठ मिडवाइफरी के प्रशिक्षण में सफल होना वांछित था। इसमें भी नर्सिंग परिषद में नर्स के रूप में पंजीयन होना अनिवार्य ठहराया गया था।

उच्च न्यायालय में चीफ जस्टिस अरुप गोस्वामी व जस्टिस प्रार्थ प्रतीम साहू की डिवीजन बैंच में सुनवाई हुई। जिसमें याचिका कर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि स्टाफ़ नर्स के पद के लिए जीएनएम डिप्लोमा धारी अभ्यर्थी ही पात्र होंगे। अधिवक्ता ने यह भी तर्क दिया कि भारतीय नर्सिंग परिषद अधिनियम 1947 की धारा 10 (1) में भी साफ साफ यह आज्ञापक प्रावधान हैं कि मान्यता प्राप्त संस्थानों से पंजीकृत हो चुके अभ्यर्थियों को ही इस पद के लिए योग्य माना जायेगा। मामले की सुनवाई में डिवीजन बैंच ने कहा कि शासन व प्रशासन के तहत जो स्टाफ नर्स की पोजिशन एक समान आधार पर जो दो अलग अलग योग्यताओं की मांग की जा रही है वह अनुचित प्रतीत होती हैं। इसके साथ ही दीप्ति तिवारी व राजनांदगांव व बिलासपुर के कविता साहू,पुष्पा टण्डन व गायत्री साहू को अंतरिम राहत देते हुए सबको स्टाफ़ नर्स की भर्ती व नियुक्ति हेतु चयन प्रक्रिया में शामिल होने के लिए अनुमति प्रदान कर दी गई।


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